कुरुक्षेत्र में हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का सम्मिलन न केवल इस आयोजन का महत्व बढ़ाता है, बल्कि गीता के सार्वभौमिक संदेश को और अधिक व्यापक रूप से फैलाने का माध्यम भी बनता है।
गीता जीवन का दर्पण
गीता, जिसे श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से भी जाना जाता है, केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं है यह जीवन के हर पहलू के लिए एक मार्गदर्शक है। 5000 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश न केवल अर्जुन को कर्म का मर्म समझाने के लिए थे, बल्कि यह सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक मार्गदर्शन है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस आयोजन को जीवन की सार्थकता से जोड़ते हुए गीता को “जीवन शैली में उतारने योग्य शिक्षा” बताया।
गीता का सार और उसकी समकालीन प्रासंगिकता
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में जो “कर्मवाद” का संदेश दिया, वह आज भी हर परिस्थिति में प्रेरणा देने वाला है।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन श्लोक केवल कर्म करने पर ध्यान होना चाहिए फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
समत्वं योग उच्यते जीवन में समानता और संतुलन का महत्व, चाहे सफलता हो या विफलता, यह संदेश आज के व्यस्त जीवन में मानसिक शांति और स्थिरता के लिए प्रासंगिक है।
अभय और आत्मसंयम का पाठ गीता के अध्यायों में भगवान ने भय, लोभ, मोह, और अहंकार जैसे तत्वों से उबरने की शिक्षा दी है, जो आज के दौर में भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक हो सकता है।
गीता महोत्सव की विशेषता
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव न केवल भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का उत्सव है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान और दर्शन के महत्व को दर्शाता है।
कुरुक्षेत्र का महत्व यह वही स्थान है, जहां पर कौरव और पांडवों के बीच धर्मयुद्ध हुआ था और भगवान ने गीता का अमर संदेश दिया।
हरियाणा सरकार की पहल इस महोत्सव में भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा को बढ़ावा दिया जाता है।
संतों की भागीदारी देश के कई प्रमुख संत और अध्यात्मिक गुरुओं की उपस्थिति से इस आयोजन की गरिमा बढ़ती है।
मुख्यमंत्री का योगदान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि गीता का संदेश केवल एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी मानव जाति के लिए है। उनका यह दृष्टिकोण गीता के सार्वभौमिक महत्व को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। उनका इस आयोजन में शामिल होना भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक कदम है।
मानव जीवन में स्थिरता हर परिस्थिति में कर्म करते रहना और फल की चिंता छोड़ना।
आध्यात्मिकता और भौतिकता में संतुलन जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता और भौतिक उपलब्धियों के बीच संतुलन बनाना।
विश्व शांति का संदेशगीता का ज्ञान सभी प्रकार के युद्ध और संघर्ष को समाप्त कर शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है।
गीता के इन संदेशों को समझना और अपनाना हर व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे आयोजन गीता के संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जैसे नेताओं की भागीदारी से यह संदेश और अधिक प्रभावशाली बनता है। कुरुक्षेत्र की यह पावन स्थली न केवल अतीत की गवाही देती है, बल्कि यह आज के युग में भी एक प्रेरणास्त्रोत है।
पांच हजार साल पुरानी कुरुक्षेत्र की पावन भूमि पर गीता का संदेश आज भी प्रासंगिक, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संबोधन
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