विश्वविद्यालयों का उद्देश्य समाज के उत्थान, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक न्याय का संवर्धन होता है। लेकिन जब ऐसे संस्थान भ्रष्टाचार और क्षेत्रीयता के आरोपों में घिर जाते हैं, तो यह न केवल समाज की उम्मीदों को तोड़ता है बल्कि उच्च शिक्षा की गरिमा को भी गिराता है। हाल ही में राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अनूपपुर पर लगे गंभीर आरोपों ने इसे चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
भ्रष्टाचार और अवैध नियुक्तियों के गंभीर आरोप
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में विश्वविद्यालय के कुलपति और पांच प्रोफेसरों पर भ्रष्टाचार, क्षेत्रवाद और नियुक्तियों में भारी अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:
भ्रष्टाचारपूर्ण भर्ती प्रक्रिया
विश्वविद्यालय में नॉन-टीचिंग पदों पर भर्तियां भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में हैं। बताया गया है कि 15-20 लाख रुपये तक लेकर इन पदों को बेच दिया गया।
अनुपपुर और मध्य प्रदेश की अनदेखी
लिखित परीक्षा के लिए किसी भी केंद्र को मध्य प्रदेश या अनूपपुर में नहीं रखा गया, जिससे उम्मीदवारों को परीक्षा देने में कठिनाई हुई। परीक्षा केंद्र जानबूझकर रायपुर और बिलासपुर में रखे गए कार्यकाल समाप्ति के करीब नियुक्तियां
कुलपति के कार्यकाल समाप्त होने में मात्र 15 दिन बचे हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार के निर्देशों की अनदेखी कर भर्तियां की जा रही हैं।
भ्रष्टाचार का तंत्र: फिक्सिंग, पेपर लीक और निजी फर्मों का उपयोग
भाजपा ने आरोप लगाया है कि कुलपति ने अपने परिचितों को लाभ पहुंचाने के लिए भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की। परीक्षा के संचालन के लिए एक निजी फर्म, आरडी इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्टमैटिक लर्निंग, को टेंडर दिया गया। इस फर्म का उच्च शिक्षा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। आरोप हैं कि प्रश्नपत्र पहले ही लीक कर दिए गए थे और आर्थिक लाभ प्राप्त करने वालों को तैयारी कराई गई थी।
अनियमितताओं का प्रमाणित ढांचा
वर्षों से खाली पड़े पदों को कार्यकाल समाप्ति के कुछ दिन पहले भरने का प्रयास किया गया।
कार्यपरिषद का दुरुपयोग
कार्यपरिषद में फर्जी सदस्यों को नामित कर निर्णय लिए गए।
स्थानीय छात्रों की अनदेखी
विश्वविद्यालय में स्थानीय छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने के बजाय, परीक्षा केंद्रों को दूरदराज के इलाकों में रखा गया। इससे मध्य प्रदेश और अनूपपुर के उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल होने से रोका गया।
एसआईटी जांच की मांग
राजेश सिंह ने इन अनियमितताओं की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के गठन की मांग की है। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह मामला शिक्षा के मंदिर में अपराध का उदाहरण है और इसे जल्द सुलझाना आवश्यक है
राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अनूपपुर जैसे संस्थानों पर लगे गंभीर आरोप समाज और छात्रों के लिए चिंता का विषय हैं। यदि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह उच्च शिक्षा प्रणाली में जनता के विश्वास को और कमजोर करेगा। शिक्षा संस्थानों को भ्रष्टाचार मुक्त रखने के लिए सख्त कदम उठाना समय की मांग है।
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