शिक्षा और ज्ञान के प्रसार के लिए एक समर्पित संस्था, पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी, जो लगभग 40 वर्षों से अनूपपुर शहर की बौद्धिक संपत्ति रही है, वर्तमान में बंद पड़ी है। भगवा पार्टी के जिला महामंत्री वरुण चटर्जी ने इसे पुनः खोलने की मांग करते हुए जिला प्रशासन को चेताया है कि इसके बंद होने से शिक्षा और प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे जरूरतमंद छात्र-छात्राएं प्रभावित हो रहे हैं।
यह समीक्षा इस मांग की पृष्ठभूमि, लाइब्रेरी के महत्व, इसके बंद होने के प्रभाव, और भगवा पार्टी की मांग
पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी की स्थापना वर्ष 1984 में नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष भाईलाल पटेल द्वारा की गई थी।
यह लाइब्रेरी युवाओं, विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों के लिए एक शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित की गई थी।
1988 में इसका स्थान बदलकर पुलिस थाने के सामने किया गया, जहां इसे एक सुव्यवस्थित भवन और संसाधन प्रदान किए गए।
राम नारायण पांडे, जिन्होंने 32 वर्षों तक इस लाइब्रेरी की सेवा की, ने इसे एक समृद्ध और प्रभावशाली संस्थान बनाया। उन्होंने साहित्यिक गोष्ठियों, परिचर्चाओं और महापुरुषों की जयंती जैसे आयोजनों के माध्यम से इसे समाज के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया
नगर पालिका के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने लाइब्रेरी के रखरखाव और संचालन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया
सेवानिवृत्ति के बाद लाइब्रेरी की जिम्मेदारी उन कर्मचारियों को दी गई, जिन्हें इसकी देखरेख का अनुभव नहीं
कोविड-19 के दौरान लाइब्रेरी पूरी तरह से बंद कर दी गई, जिससे इसका पुनरुद्धार और भी कठिन हो गया आधुनिक तकनीकी युग की चुनौती
डिजिटल और मोबाइल प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के चलते पढ़ने की आदतों में गिरावट आई है, जिससे लाइब्रेरी जैसी संस्थाएं अप्रासंगिक लगने लगी है
गरीब और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को महंगी किताबें और पत्रिकाएं मुफ्त में उपलब्ध होती थीं, जो अब संभव नहीं
साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र होने के कारण यह संस्थान नगर में रचनात्मकता को बढ़ावा देता था, जो अब रुक गया है।
लाइब्रेरी में लगभग 4000 बहुमूल्य किताबें, फर्नीचर और अलमारियां बेकार पड़ी हैं, जिनकी कीमत 10-15 लाख रुपये आंकी गई है।
नगर पालिका पर लाखों रुपये की बकाया राशि होने के कारण विक्रेताओं का नुकसान हुआ हुआ
लाइब्रेरी भवन की मरम्मत और पुनर्नवीनीकरण कर इसे जल्द से जल्द चालू किया जाए
लाइब्रेरी की देखरेख के लिए एक योग्य और समर्पित लाइब्रेरियन की नियुक्ति की जाए।
धूल खा रही बहुमूल्य किताबों, फर्नीचर और अन्य संसाधनों का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
समाचार पत्र विक्रेताओं के बकाया भुगतान
जिन विक्रेताओं के पैसे फंसे हैं, उन्हें शीघ्र भुगतान किया जाए
“मोबाइल और इंटरनेट के जमाने में पढ़ने की आदत को खत्म होने से बचाने के लिए लाइब्रेरी आवश्यक है।”
“शिक्षा और जागरूकता समाज के विकास का मूल आधार हैं, और लाइब्रेरी इसका प्रमुख साधन है।”
“यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि नगर के वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और बच्चों के लिए भी ज्ञान का स्रोत है।”
अनूपपुर के कलेक्टर द्वारा हाल ही में समय सीमा बैठक में लाइब्रेरी भवन का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए थे, जिससे उम्मीद जगी है कि इसे पुनः चालू किया जा सकता है। लेकिन इसकी वास्तविकता पर सभी की निगाहें टिकी है
भगवा पार्टी की यह मांग तर्कसंगत और समयानुकूल है।
लाइब्रेरी जैसी संस्थाएं शिक्षा को सुलभ और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी न केवल एक शैक्षिक संस्थान है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक और बौद्धिक पहचान का प्रतीक भी है।
यह लाइब्रेरी समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और समान अवसर प्रदान करने का माध्यम थी
प्रशासन का यह दायित्व है कि वह नगर की सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर को सुरक्षित रखे और उसे प्रोतसाहित
लाइब्रेरी के पुनर्निर्माण और संचालन के लिए स्थानीय संगठनों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इसे डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।
साहित्यिक गोष्ठियों, परिचर्चाओं और काव्य पाठ जैसे आयोजनों को पुनः प्रारंभ किया जाए
लाइब्रेरी के लिए आवंटित धनराशि का पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
भगवा पार्टी द्वारा उठाई गई यह मांग अनूपपुर के शैक्षिक और सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी को पुनः प्रारंभ करना न केवल छात्रों के लिए बल्कि पूरे नगर के लिए एक सकारात्मक कदम होगा।
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