शहडोल संभाग के राजनीतिक परिदृश्य में आदिवासी समाज के हितों के नाम पर हो रही राजनीति और अनूपपुर के विकास से जुड़े मुद्दों के बीच एक गंभीर संघर्ष चल रहा है। पुष्पराजगढ़ के कांग्रेस विधायक श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ने शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में जगह न मिलने पर अपना असंतोष प्रकट किया है और विरोध स्वरूप कार्यक्रम स्थल पर अनशन की चेतावनी दी है। इस मुद्दे पर कुछ सवाल खड़े होते हैं, जो संभाग की राजनीति और विकास योजनाओं पर असर डाल सकते हैं।
शहडोल संभाग, जिसमें अनूपपुर उमरिया और शहडोल जिले आते हैं, लंबे समय से विकास योजनाओं में पीछे रहा है। आदिवासी बहुल होने के कारण यह क्षेत्र विशेष सुविधाओं और योजनाओं का पात्र है, परंतु बड़े संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, कृषि महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, और रोजगार एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि इन संस्थानों की अनुपस्थिति ने संभाग के विकास को सीमित कर दिया है।
जब बीजेपी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की योजना बनाई, तो इसे आदिवासी समाज को सम्मान देने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया गया। लेकिन कांग्रेस, विशेषकर विधायक मार्को जी, ने इसे स्टंट मानते हुए भाजपा के प्रति नाराजगी व्यक्त की। विधायक का अनशन कहीं इन विकास परियोजनाओं से ध्यान भटकाने का प्रयास तो नहीं है? क्योंकि ऐसे बड़े सरकारी कार्यक्रमों में घोषणाएं आम हैं, और हो सकता है कि बीजेपी सरकार इस मौके का लाभ उठाकर संभाग के लिए कुछ नई योजनाओं का ऐलान करती, जिससे कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो जाती।
अनूपपुर में शैक्षणिक चिकित्सा सुविधाओं और रोजगार की कमी
अनूपपुर और शहडोल के निवासियों का वर्षों से सपना रहा है कि संभाग में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, और कृषि महाविद्यालय जैसे संस्थान खुलें। इन संस्थानों की कमी के कारण छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूर-दराज के स्थानों पर जाना पड़ता है, जिससे समय, पैसा और संसाधनों की बर्बादी होती है।
शहडोल संभाग की जनता इस ओर आशा भरी नजरों से देखती है कि सरकार इस बार जनजातीय गौरव दिवस पर कुछ ठोस घोषणाएं करे, ताकि इन संस्थानों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सके। वहीं, कांग्रेसी विधायक का यह अनशन कहीं इस संभावना को बाधित करने का प्रयास तो नहीं? क्योंकि यदि सरकार ने इस मंच से कुछ विकास योजनाओं की घोषणा कर दी, तो इससे बीजेपी की छवि आदिवासी समाज में मजबूत होगी, और कांग्रेस का आदिवासी समाज पर प्रभाव कमजोर हो सकता है।
आईजीएनटीयू और अन्य संस्थानों के अभाव का मुद्दा
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) भी शहडोल संभाग के लिए एक बड़ा मुद्दा है। यह एकमात्र ऐसा केंद्रीय विश्वविद्यालय है जो आदिवासी समाज को उच्च शिक्षा में विशेष अवसर प्रदान कर सकता है। लेकिन इसके विस्तार और सुविधाओं में कमी के कारण यह विश्वविद्यालय भी संभाग की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ साबित हो रहा है। अनशन के माध्यम से विधायक कहीं इस बात की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं कि इस प्रकार की योजनाओं पर चर्चा ही न हो?
ऐसे समय पर जब जनता अपने लिए बेहतर शैक्षणिक और चिकित्सा सुविधाओं की मांग कर रही है, कांग्रेस द्वारा किया जा रहा यह विरोध कहीं संभाग के प्रमुख मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास हो सकता है। यदि विकास योजनाओं की घोषणा होती है, तो कांग्रेस के लिए जनता के बीच अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
राजनीतिक लाभ और संभावनाएं
अनूपपुर उमरिया और शहडोल जिले के आदिवासी समाज के बीच कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक तरह की प्रतिस्पर्धा चल रही है। बीजेपी द्वारा जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से आदिवासी समाज के वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। बीजेपी के लिए यह एक अवसर है कि वह इस बड़े मंच का उपयोग कर विकास की घोषणाएं करे और आदिवासी समाज को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करे।
हालांकि, कांग्रेस इस बात को बखूबी समझती है कि यदि भाजपा ने इस कार्यक्रम के दौरान कुछ ठोस घोषणाएं कर दीं, तो आने वाले चुनावों में इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। इसलिए कांग्रेस की रणनीति संभवतः यह हो सकती है कि कार्यक्रम स्थल पर अनशन और विरोध प्रदर्शन के जरिए जनता का ध्यान उस ओर न जाने दिया जाए, और उन्हें यह बताने का प्रयास किया जाए कि भाजपा का यह आयोजन केवल एक राजनीतिक चाल है।
संभाग के मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास या वास्तविक असंतोष?
विधायक मार्को द्वारा अनशन की चेतावनी देना कहीं संभाग के लोगों की असल समस्याओं से ध्यान हटाने का एक साधन भी हो सकता है। क्षेत्र में चिकित्सा, शिक्षा, और रोजगार की कमी एक गंभीर समस्या है। यदि इस जनजातीय गौरव दिवस के दौरान इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ घोषणाएं होती हैं, तो यह पूरे संभाग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
विधायक का अनशन का निर्णय कहीं इस बात का प्रतीक तो नहीं कि वह नहीं चाहते कि इन मुद्दों पर कोई ध्यान दे और बीजेपी इसका श्रेय न ले? यदि इस प्रकार की घोषणाएं होती हैं, तो कांग्रेस का आदिवासी समाज पर प्रभाव कमजोर हो सकता है, और यह बात कांग्रेस के नेताओं को पसंद नहीं आएगी।
आदिवासी समाज के वास्तविक मुद्दों का समाधान
आदिवासी समाज के लिए केवल प्रतीकात्मक आयोजन या भाषण नहीं, बल्कि ठोस कार्यों की आवश्यकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में सुधार ही आदिवासी समाज को सशक्त बना सकते हैं। जनता अब इस बात को समझने लगी है कि राजनीति में सिर्फ नारों और आयोजनों से काम नहीं चलता, बल्कि जमीनी स्तर पर काम की जरूरत है।
यदि इस कार्यक्रम में विकास योजनाओं की घोषणा होती है और संभाग में लंबे समय से अधूरी पड़ी योजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए जाते हैं, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा लाभ होगा। विधायक का इस कार्यक्रम में शामिल न होना और विरोध का रुख अपनाना संभवत एक राजनीतिक चाल हो सकती है ताकि बीजेपी को इस मामले में सफलता न मिले।
शहडोल संभाग के विकास से जुड़े मुद्दे और आदिवासी समाज के हितों की आड़ में हो रही यह राजनीतिक खींचतान, दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। यह मामला केवल एक राजनीतिक मंच तक सीमित नहीं है, बल्कि इस पर उमरिया अनूपपुर और शहडोल जिले के विकास का भविष्य भी निर्भर करता है।
Leave a Reply