आजकल सोशल मीडिया का जादू हर किसी पर सिर चढ़कर बोल रहा है। लोग अपने जीवन के हर पल को कैमरे में कैद करना चाहते हैं, चाहे वो कितना भी निजी या गंभीर क्यों न हो। पर कहीं-कहीं यह जुनून इतना बढ़ गया है कि लोग अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी अपनी मां के सामने भी कैमरा लेकर नाचने में लग गए हैं। ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया, जब एक युवती अपनी बीमार मां के सामने रील बनाते हुए नजर आई। पूछने पर उसने बड़ी मासूमियत से कहा, “यह मेरा समय बिताने का तरीका था।”
रील का बुखार: मनोरंजन का नया तरीका या मर्यादा की हदें?
सोशल मीडिया पर फैले इस ‘रील बुखार’ ने लोगों की संजीदगी को हंसी का पात्र बना दिया है। सोचिए, जहां लोग अपनों की बीमारी पर दुख और सहानुभूति जाहिर करते थे, वहां अब नाच-गाना चल रहा है। लगता है, आजकल भावनाएं भी 15 सेकंड की रील में समा गई हैं। इस रील के वायरल होते ही युवती ने अपनी ‘गलती’ को स्वीकार किया और कहा, “मम्मी ठीक महसूस कर रही थी, इसलिए मैंने समय का उपयोग कर लिया।” यानी समय का सही उपयोग अब ये हो गया है कि आप हॉस्पिटल में भी बिदाई के नाच-गाने कर सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर, झांसी में एसडीएम लिखी गाड़ी पर एक बारबाला का नाचते हुए वीडियो वायरल हो गया। यह एसडीएम की गाड़ी नहीं थी, बल्कि उनके ओएसडी की थी, और यह ड्राइवर का कारनामा निकला। ड्राइवर को पुलिस ने पकड़ लिया, पर बारबाला का नृत्य और गाड़ी की शान ठसक देखकर सब लोग हंसी में पड़ गए। अब सोचिए, एक ओर लोग सरकारी गाड़ियों का इस्तेमाल ऑफिस के कामों में करते हैं और दूसरी ओर ड्राइवर महाशय इसे फिल्मी गाड़ी बना रहे हैं।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रील का यह बुखार अब बेकाबू होता जा रहा है। लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं, भावनाएं कहीं गायब हो रही हैं, और मर्यादा तो जैसे छुट्टी पर चली गई है। रील का यह शौक मनोरंजन से कहीं आगे बढ़कर अब एक सामाजिक चुनौती बन गया है।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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