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48 लाख शादियों का सीजन देश में 18 दिनों में 6 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार का अनुमान

48 लाख शादियों का सीजन देश में 18 दिनों में 6 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार का अनुमान

भारत में शादी को सिर्फ एक सामाजिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक भव्य उत्सव की तरह मनाया जाता है। हिंदू संस्कृति में शादी का विशेष महत्व होता है और इसे धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक पवित्र संस्कार माना जाता है। वर्तमान में देश में शादी का सीजन चल रहा है, और अगले 18 दिनों में लगभग 48 लाख शादियों का अनुमान लगाया गया है, जिससे 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान है। इस समीक्षा में हम विवाह के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं शादी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

हिंदू धर्म में विवाह को ‘सोलह संस्कारों’ में से एक माना जाता है। विवाह न केवल दो व्यक्तियों का मिलन है बल्कि दो परिवारों और उनके संस्कारों का संगम भी है। विवाह को ‘धर्मिक कर्तव्य’ समझा जाता है और इसमें वर-वधू को कई धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, और संस्कार निभाने पड़ते हैं। हिंदू विवाह में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेने की परंपरा है, जो पति-पत्नी के सात जन्मों तक साथ रहने के संकल्प को दर है शुभ मुहूर्त और ज्योतिष



शादी का मुहूर्त हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण होता है। विवाह की तिथि और समय का निर्धारण ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर किया जाता है। विवाह के लिए शुभ मुहूर्त निकाले जाते हैं, जिसमें ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। इसे पंचांग और कुंडली मिलान के माध्यम से तय किया जाता है ताकि नवविवाहित जोड़े को शुभ फल प्राप्त हो सकविवाह से जुड़ी रस्में और परंपराएँ

हिंदू विवाह कई रस्मों और परंपराओं का संगम है, जो हर क्षेत्र और समुदाय के अनुसार बदलती हैं। लेकिन मुख्य रूप से इनमें हल्दी, मेहंदी, संगीत, कंगन, बारात, फेरे और विदाई जैसी रस्में होती हैं। ये रस्में कई दिनों तक चलती हैं और इसमें वर-वधू के परिवार, रिश्तेदार और मित्र शामिल होते हैं।



हल्दी की रस्म को शुभ और पवित्र माना जाता है, जिसमें वर-वधू को हल्दी लगाई जाती है। मेहंदी की रस्म में दुल्हन के हाथों पर मेहंदी लगाई जाती है, जिसे उसके सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है

विवाह के दौरान सात फेरे लिए जाते हैं, जिसमें वर-वधू सात वचन लेते हैं। इसके बाद वर अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है और उसे मंगलसूत्र पहनाता है, जो विवाह की पहचान होती है।



भारत में शादियों को भव्य रूप से मनाने की परंपरा है। आयोजन की तैयारी कई महीनों पहले से शुरू हो जाती है। शादी के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए विभिन्न व्यवस्थाएं की जाती हैं, जैसे विवाह स्थल का चयन, भोजन, सजावट, कपड़े, और उपहार। इन सब व्यवस्थाओं में लाखों से लेकर करोड़ों रुपये का खर्च होता है।



विवाह स्थल का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें बैंकेट हॉल, होटलों, और भव्य रिसॉर्ट्स का चयन किया जाता है। आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का ट्रेंड भी बढ़ा है, जिसमें लोग खास जगहों पर जाकर विवाह का आयोजन करतेb

भारतीय शादियों में भोजन का खास महत्व होता है। आमतौर पर शादी में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें भारतीय, चाइनीज, कॉन्टिनेंटल जैसी विभिन्न व्यंजन शैलियाँ शामिल होती हैं। इसे शादी के आयोजन का एक मुख्य आकर्षण माना जाता है।

शादी की सजावट में फूल, लाइटिंग, रंगीन कपड़े, और थीम आधारित डिजाइनों का उपयोग किया जाता है। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी आधुनिक शादियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है, जिसमें विभिन्न कैमरा एंगल और ड्रोन शूटिंग का उपयोग किया जाता है।



शादी के सीजन में भारत का पूरा बाजार एक नए उत्साह के साथ सक्रिय हो जाता है। शादी में भारी मात्रा में धन खर्च किया जाता है, जिसका असर विभिन्न उद्योगों पर भी पड़ता है। इसमें आभूषण, कपड़े, सजावट, खानपान, होटल, ट्रैवल और टूरिज्म उद्योग

शादी के समय सोने और चांदी के आभूषणों की बिक्री बढ़ जाती है। दुल्हन के गहनों में भारी सोने के आभूषण, हीरे की अंगूठी, हार, कंगन और अन्य आभूषण शामिल होते हैं। इससे ज्वेलरी उद्योग में अच्छा खासा व्यापार होता है

शादी के मौके पर वर-वधू और उनके परिवार के लोग विशेष परिधानों को पहनते हैं, जिनमें महंगे लहंगे, शेरवानी, साड़ी और अन्य वस्त्र शामिल होते हैं। इससे कपड़ा उद्योग में भी आर्थिक उछाल आता है

डेस्टिनेशन वेडिंग के चलन से टूरिज्म और होटल उद्योग को भी बड़ा फायदा होता है। लोग शादी के लिए विशेष स्थलों का चयन करते हैं, जिससे उन स्थानों पर होटल बुकिंग और पर्यटन में वृद्धि

भारतीय शादियों में कई बार अत्यधिक खर्च और दिखावा देखने को मिलता है। यह न केवल परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ाता है, बल्कि इससे समाज में अनावश्यक प्रतिस्पर्धा और दबाव

हालांकि दहेज प्रथा गैरकानूनी है, फिर भी भारत में कई स्थानों पर यह कुप्रथा आज भी देखी जाती है। दहेज की मांग और इससे जुड़े दबावों के कारण कई परिवारों पर आर्थिक बोझ आ जाता है, और कई बार यह हिंसा और उत्पीड़न का कारण भी बनता है।




कई बार शादियों में दिखावा करने के लिए अत्यधिक धन खर्च किया जाता है, जिससे गरीब परिवारों पर भी दबाव बढ़ता है। लोग अपनी क्षमता से अधिक खर्च कर देते हैं, जिससे वे कर्ज में डूब सकते हैं।


शादियों में भारी मात्रा में सजावट, लाइटिंग, और आतिशबाजी का उपयोग किया जाता है, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह खासकर शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण का कारण बनता है।
आधुनिक भारतीय शादियों में बदलाव

समाज में बढ़ती जागरूकता के कारण अब लोग सादगीपूर्ण और छोटे आयोजनों को तरजीह देने लगे हैं। लोग अब दिखावे और अत्यधिक खर्च से बचने की कोशिश कर रहे हैं और एक जिम्मेदार आयोजन को प्राथमिकता दे रहे हैं।कोर्ट मैरिज और छोटे आयोजन

अब लोग कोर्ट मैरिज और छोटे आयोजनों का भी चुनाव कर रहे हैं। इसमें सीमित मेहमानों के साथ शादी का आयोजन किया जाता है, जिससे धन और समय की बचत होती है।

समाज सेवा और दान

कुछ लोग अब शादी के आयोजन में धन की बचत कर उसे समाज सेवा और दान कार्यों में लगाने लगे हैं। यह समाज के प्रति जिम्मेदारी का एक अच्छा उदाहरण है।


भारतीय शादियों में न केवल संस्कृति, परंपरा, और परिवार के मिलन का महत्व है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। शादी के सीजन में विभिन्न उद्योगों को बढ़ावा मिलता है और हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है। लेकिन इसके साथ ही हमें समाज में होने वाले अत्यधिक खर्च, दिखावा, और अनावश्यक कुप्रथाओं से बचने की जरूरत है।

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