मध्यप्रदेश में सर्कुलर इकोनॉमी और ई-अपशिष्ट प्रबंधन से स्वच्छ भारत-उत्तम भारत की ओर कदम

मध्यप्रदेश में सर्कुलर इकोनॉमी और ई-अपशिष्ट प्रबंधन से स्वच्छ भारत-उत्तम भारत की ओर कदम

स्वच्छ भारत-उत्तम भारत की अवधारणा को लागू करने के लिए इंदौर में ई-अपशिष्ट प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री गुलशन बामरा ने एक प्रभावी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। कार्यशाला का उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन को सुधारना और सर्कुलर इकोनॉमी के माध्यम से स्वच्छ भारत की ओर बढ़ना था। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण, संसाधनों का संरक्षण, और अपशिष्ट को न्यूनतम करने के उपायों पर विशेष बल दिया गया सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट प्रबंधन  सर्कुलर इकोनॉमी में “रियूज” और “रिसाइकल” को प्रमुखता से अपनाने का प्रयास किया जा रहा है। श्री बामरा ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सर्कुलर इकोनॉमी को तेजी से लागू किया जा रहा है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशन में इसे योजनाबद्ध ढंग से प्रभावी बनाया जा रहा है।

अप्रैल नीति और नियम श्री आनंद कुमार, संचालक, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए “ईपीआर” (एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी) नीति के तहत नए नियम लागू किए जा रहे हैं, ताकि उल्लंघन करने वालों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिरोपित की जा सके।


स्थानीय स्तर पर इंदौर का उदाहरण इंदौर, जो देश का सबसे स्वच्छ शहर है, ने अपनी सटीक और कुशल कचरा प्रबंधन प्रक्रिया से अन्य शहरों के लिए एक मिसाल पेश की है। यहां की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना को अन्य शहरों में भी लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें द्वार-से-द्वार कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन (अलगाव), और जैविक अपशिष्ट से खाद बनाना शामिल है।
इन्फार्मल सेक्टर को फॉर्मलाइजेशन की दिशा में कार्य कार्यशाला में एक प्रमुख पहल के रूप में गैर-संगठित (इन्फार्मल) क्षेत्रों को संगठित (फॉर्मल) बनाने पर जोर दिया गया। इससे छोटे और स्थानीय स्तर पर कार्य करने वाले लोग भी अपशिष्ट प्रबंधन के मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे सकते हैं।


विभिन्न सेक्टर्स का योगदान कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर के स्टेक होल्डर्स, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, एसबीआई के प्रबंधक, और सस्टेनेबल इलेक्ट्रॉनिक रिसाइकिलिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। उनके योगदान से स्वच्छ भारत-उत्तम भारत की अवधारणा को तेजी से लागू करने में मदद मिलेगी।



स्वच्छता प्रक्रिया की समीक्षा
इंदौर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की उत्कृष्ट प्रक्रिया को देखकर प्रदेश के अन्य शहरों को भी इस मॉडल को अपनाने की प्रेरणा दी गई। इंदौर की प्रक्रिया में शामिल मुख्य तत्वों में साप्ताहिक सफाई समीक्षा बैठकें, “स्मार्ट डस्टबिन” का उपयोग, और सघन जागरूकता अभियान शामिल हैं। इससे न केवल सफाई सुनिश्चित हुई, बल्कि नागरिकों को भी इस प्रक्रिया में भागीदार बनाया गया।

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