हर साल धान की फसलों की कटाई के बाद  लाखों टन पराली (फसल अवशेष ) भारत में जला दी जाती है

हर साल धान की फसलों की कटाई के बाद  लाखों टन पराली (फसल अवशेष ) भारत में जला दी जाती है



थोडा सब्र थोडा श्रम करे पराली को अपनालो यह सोना हे खाद भी हे
। इससे होने वाला धुआं वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय संकट का एक बड़ा कारण बनता है। पराली जलाने से न केवल हमारी वायु गुणवता पर असर पड़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी घटती है।
सबसे पहले नजरिया बदलें
पराली को एक समस्या के बजाय समाधान के रूप में देखा जाए। नजरिया बदलते ही आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे की पराली के इतने सारे सकारात्मक उपयोग है जो कि किसानों के लिए भी लाभकारी हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं सकारात्मक उपयोग सामने आते हैं, जो न केवल किसानों के लिए लाभकारी हैं, बल्कि पर्यावरण सुरक्षा में भी मददगार हैं। हम पराली के उपयोगों को जानेंगे, जो इसे प्रदूषण की समस्या से निकालकर संभावनाओं के नए द्वार खोलते हैं।


जमीन की आत्म निर्भरता के लिए 15% अपना हक़ मांगती हे -खाद के लिए 2%, पानी के लिए 3%, पर्यावरण (फल दार पोधो) के लिए 10% बाकि की आपके के अनुसार खेती के लिए 85% का उपयोग करे अमृत पानी बनाकर एक स्प्रे पम्प में डेढ कप अमृत पानी डालकर एक एकड़ में 10 पम्प छिडकाव फसल, शब्जी, फल दार पोधो में डालने पर किसी खाद की जरुरत नही होती  (एक बूढी देशी गाय 10 एकड़ खेती के लिए पर्याप्त गोबर गो मूत्र देती हे उसकी रक्षा करे)
बरसाती पानी को सहेजना – जहा से आपके खेत में पानी आता हो वही पर 80 फुट लम्बी, चार फुट चोडी, चार फुट गहरी, खंती बनाकर पानी का उत्पादन करे इससे पुरे खेत में नमी लम्बे समय तक बनी रहेगी  
जमीन को ढका रहने दे – जमीन को खुला नहीं छोड़े पराली को खेत में फेला दीजिये जमीन साफ़ दिखाना जरूरी नही? पराली नमी को बचाने का काम करेगी सिचाई की कम जरुरत होगी
पराली जलाने के हानी कारक प्रभाव
पराली जलाने से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्स ऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। साथ ही, इससे मिट्टी की उपजाऊ परत भी नष्ट हो जाती है, जिससे खेती की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। पृथ्वी हमारी माता है, और हम उसके पुत्र हैं, हमें धरती की रक्षा करनी चाहिए और उसके संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए। पराली के सदुपयोग के कई तरीकों से हम इस दायित्व को निभा सकते हैं।


पराली के सकारात्मक उपयोग के महत्वपूर्ण सुझाव
जैविक खाद (कम्पोस्ट) के रूप में पराली का उपयोगः पराली के ढेर में अमृत पानी बनाकर बगेर किसी खर्चे के जैविक खाद (कम्पोस्ट) में बदलकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है। कम्पोस्टिंग प्रक्रिया में पराली के पोषक तत्व मिट्टी में मिल जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। कम्पोस्टिंग से न केवल खेतों की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि रासायनिक खादों की जरूरत भी कम होती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अमृत पानी केसे बनाये प्लस्टिक कनस्टर (गुम्मा) में 10 लीटर पानी डालकर 1 किलो गोबर 1 किलो गो मूत्र 1 किलो नीम की पत्ती, ½ किलो दाल का बेशन और 250 गुड डालकर हर अगले दिन मिक्स करने के लिए लकड़ी से घुमा दीजिये आठ वे दिन इसे छेद वाली बोरी से छान लीजिये इसे हम अमृत पानी कहते हे 200 किलो पराली की खाद बनाने के लिए इसे 50 लीटर पानी में मिलाकर छिड़ककर 60 दिन के लिए छोड़ दे आपकी खाद बनकर तैयार हे इसी अनुपात में पराली की मात्रा को बना सकते हे   


बायोगैस उत्पादन में पराली का उपयोग
पराली से बायोगैस का उत्पादन करके स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है बायोगैस उत्पादन की प्रक्रिया में पराली को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे ऊर्जा की मांग पूरी की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत में पराली का सही ढंग से उपयोग करके 50 प्रतिशत तक
पराली के ग्यारह नवाचार, खोलेंगे समृद्धि का द्वार
1 ऊर्जा जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। मशरूम उत्पादन में पराली का उपयोगः
पराली का उपयोग मशरूम की खेती के लिए भी किया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व मशरूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त होते हैं। यह विधि न केवल किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत बनती है, बल्कि पराली के उपयोग का एक व्यावसायिक तरीका भी प्रदान करती है।
2 पशु आहार के रूप में पराली
पराली को पशुओं के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे खाद्य पदार्थों में मिलाकर पशुओं के आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। यह खासकर उन क्षेत्रों में फायदेमंद होता है, जहां पशुओं के लिए प्राकृतिक चारे की कमी होती है।
3 पराली से पेपर और पैकेजिंग सामग्री का निर्माण:
पराली से कागज और पैकेजिंग सामग्री बनाई जा सकती है। इसमें मौजूद सेल्यूलोज का उपयोग कागज, कार्डबोर्ड और अन्य पैकेजिंग उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। इससे प्लास्टिक पर निर्भरता कम होती है और पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर विकल्प मिलता है।
4 बायोचार उत्पादन में पराली का उपयोग
बायोचार एक चारकोल जैसा पदार्थ होता है, जिसे पराली से बनाया जाता है और इसे मिट्टी में मिलाने से उसकी उर्वरता बढ़ती है बायोचार मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाता है और उसमें स्थायी रूप से कार्बन को संरक्षित करता है, जो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायक है।
5 फाइबर और निर्माण सामग्री का उत्पादनः
पराली से फाइबर तैयार किया जा सकता है, जिसका उपयोग ईको-फ्रेंडली निर्माण सामग्री जैसे ईंट और ब्लॉक्स के निर्माण में किया जाता है। यह तरीका पराली के अपशिष्ट को एक टिकाऊ उत्पाद में बदलने का बेहतर तरीका है।
6 बायो एथेनॉल उत्पादनः
पराली से बायोएथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है, जो एक स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन है। बायोएथेनॉल के उपयोग से न केवल पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम होगी, बल्कि यह पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाए रखेगा। इससे किसानों के लिए नई आर्थिक संभावनाएं खुलती हैं।
7 जैव ऊर्जा उत्पादनः
बायोमास ऊर्जा उत्पादन में पराली का उपयोग करके बिजली पैदा की जा सकती है। भारत में कई बायोमास पावर प्लांट्स में पराली का इस्तेमाल हो रहा है। इससे न केवल ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो रही हैं, बल्कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से भी बचा जा सकता है।
8 पराली से गलाकर (कार्डबोर्ड) का उत्पादन :
पराली से गलाकर (कार्डबोर्ड) बनाए जा सकते हैं। इसका उपयोग पैकेजिंग उद्योग में किया जाता है, जो प्लास्टिक की जगह एक इको-फ्रेंडली विकल्प प्रदान करता है।
9 मृदा संरक्षण के लिए मल्चिंग में पराली का उपयोगः
मल्चिंग की विधि में पराली का उपयोग करके फसल की जड़ों को ढंका जाता है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और खरपतवारों की वृद्धि कम होती है। यह विधि से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उपयोगी है, जि लागत घटती है और फसल की गुणवत्ता में सुधा


पर्यावरणविदों ने भी पराली के सकारात्मक उपयोगों पर जोर दिया है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद अल गोर का मानना है, फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन पर्यावरण को सुधारने और कृषि की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है। डॉ. वंदना शिवा का कहना है, कृषि में फसल अवशेषों का उचित उपयोग हमारे जलवायु और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
अंततः हमारे किसान भाइयों को भी समझना होगा कि पराली जलाना पराली के निराकरण का सही तरीका कतई नहीं है और इसे आज नहीं तो कल आपको बंद करना ही होगा। पराली जलाने की समस्या का समाधान उसके सकारात्मक उपयोगों में छिपा है। यदि हम पराली को सही ढंग से प्रबंधित करें और उसके विभिन्न उपयोगों को अपनाएं, तो यह प्रदूषण की समस्या को दूर कर सकता है और कृषि को अधिक लाभदायक बना सकता है। पराली न केवल ऊर्जा, खाद और फाइबर के रूप में उपयोगी हो सकती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। अतः पराली के सही उपयोग से हम एक स्थायी और हरित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
भारत लाल नामदेव
सामाजिक एवं पर्यावरण कार्यकर्ता
9425466762
bharatnamdeojbp@gmail.com

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