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वृद्ध हमारी धरोहर- अनूपपुर वृद्ध आश्रम में विधिक जागरूकता और स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का सफल आयोजन

वृद्ध हमारी धरोहर- अनूपपुर वृद्ध आश्रम में विधिक जागरूकता और स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का सफल आयोजन



वृद्धजन समाज की अमूल्य धरोहर हैं। उनका जीवन अनुभव, ज्ञान, और संस्कारों का एक अनमोल खजाना है, जिसे वर्तमान पीढ़ी के लिए संजोकर रखना अत्यावश्यक है। इसी कड़ी में 5 नवंबर 2024 को मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के मार्गदर्शन में अनूपपुर के कल्याण वृद्ध आश्रम में एक विधिक जागरूकता एवं स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य वृद्धजनों के कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके स्वास्थ्य की देखभाल करना था। यह आयोजन समाज के उस वर्ग के प्रति संवेदनशीलता का परिचायक है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।


वृद्धजनों के कानूनी अधिकारों के प्रति जानकारी की कमी होने से वे अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। इस शिविर में जिला न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती मोनिका आध्या ने वृद्धजनों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने उनके दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं, स्वास्थ्य और खान-पान संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने वृद्धजनों को यह भी समझाया कि उनके कानूनी अधिकार क्या हैं और कैसे वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। यह जानकारी उनके आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता को बढ़ाने का प्रयास था।



वृद्धावस्था में सबसे बड़ी समस्या शारीरिक स्वास्थ्य की होती है। शरीर कमजोर हो जाता है, और अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस शिविर में जिला चिकित्सालय अनूपपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने वृद्धजनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसमें डॉ. सुजीत सिंह, डॉ. गायत्री करोलिया, नर्सिंग ऑफिसर श्रीमती प्रभा सिंह और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने वृद्धजनों की विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का निरीक्षण किया। उनके रक्तचाप, शुगर और अन्य प्रमुख शारीरिक मापदंडों की जांच की गई, और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी सलाह दी गई। इसके अतिरिक्त, उनकी मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर भी ध्यान दिया गया, जो इस पहल का एक महत्वपूर्ण पहलू था। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और देखभाल वृद्धजनों की गुणवत्ता जीवन में सुधार लाने में सहायक होती है।


शिविर के दौरान वृद्धजनों को दवाइयां और फल वितरित किए गए। इस पहल का उद्देश्य उनके पोषण स्तर को बनाए रखना और उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सामग्री उपलब्ध कराना था। उम्र के इस पड़ाव में उचित पोषण और चिकित्सा देखभाल अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दवाइयां और पोषण उन्हें शारीरिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होंगे और उनके स्वास्थ्य में सुधार का मार्ग प्रशस्त करेंगे। ऐसे आयोजनों से न केवल उनकी सेहत सुधरती है बल्कि उन्हें यह भी महसूस होता है कि समाज उनके बारे में चिंतित है और उनकी देखभाल के प्रति संजीदा है।


वृद्धजनों की समस्याओं को समझने और उन्हें हल करने में पैरालीगल वालेंटियर्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस शिविर में महेन्द्र श्रीवास्तव, बिन्दु सिंह और दीपक रौतेल जैसे वालेंटियर्स ने वृद्धजनों की सहायता की और उनके अनुभवों को साझा किया। यह संवेदनशीलता और सहयोग उनके आत्मसम्मान को बनाए रखने में सहायक होती है। पैरालीगल वालेंटियर्स के इस योगदान से वृद्धजनों को यह विश्वास मिला कि समाज उनके अधिकारों की रक्षा में उनके साथ खड़ा है।



वृद्धाश्रम का जीवन अक्सर कठिन होता है, क्योंकि वृद्धजन अपने परिवार से दूर होते हैं। समाज का वह वर्ग, जिसने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा दूसरों की सेवा और समर्थन में बिताया, आज अकेलापन और उपेक्षा महसूस करता है। ऐसे में इस प्रकार के शिविर उन्हें मानसिक और भावनात्मक संबल प्रदान करते हैं। यह पहल एक प्रकार से उन वृद्धजनों के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति है, जिन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समाज और परिवार के लिए समर्पित किया है।


वृद्धजन हमारे समाज की धरोहर हैं। उनके अनुभव और ज्ञान से समाज समृद्ध होता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है, बल्कि समाज में उनके प्रति संवेदनशीलता और सम्मान की भावना भी जाग्रत होती है।

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