चित्रकूट में गधों का मेला  परंपरा, मेहनतकश पशुओं का सम्मान और रंगीन बाजार का संगम

चित्रकूट में गधों का मेला  परंपरा, मेहनतकश पशुओं का सम्मान और रंगीन बाजार का संगम



गधा (Equus africanus asinus) एक पालतू पशु है, जो घोड़े की प्रजाति का सदस्य है। इसे इसके बोझ ढोने और श्रम कार्यों में विशेष उपयोगिता के लिए जाना जाता है। गधे को उसके कठोर परिश्रम, सरलता और स्थायित्व के लिए पहचाना जाता है। गधे का उपयोग प्राचीन काल से ही भार ढोने, खेतों में कार्य करने, और सामान को इधर-उधर ले जाने में किया जाता रहा है। इनकी सामाजिक संरचना और कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता इन्हें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बनाती है।

आम बोलचाल में, गधा अक्सर एक शांत और मेहनती पशु के रूप में देखा जाता है। इसके बारे में समाज में कई तरह की धारणा भी प्रचलित है, जिनमें इसे अनुशासन, ईमानदारी और धैर्य का प्रतीक भी माना गया है।

चित्रकूट का गधों का मेला उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में हर साल लगने वाला एक अनोखा और पारंपरिक मेला है। यह मेला दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के समय लगभग पांच दिनों तक चलता है और इसे विशेष रूप से पशु व्यापार के लिए जाना जाता है, जिसमें गधों की खरीद-बिक्री मुख्य आकर्षण होती है। इसे “गधा मेला” भी कहा जाता है।

मेले का ऐतिहासिक महत्व

चित्रकूट का गधा मेला सदियों पुरानी परंपरा है और इसे मवेशी व्यापारियों और स्थानीय ग्रामीणों के लिए महत्वपूर्ण आयोजन माना जाता है। यह मेला मुख्य रूप से कृषि कार्यों में मददगार गधों की खरीदी-बिक्री के लिए मशहूर है। गधों के अलावा, यहाँ खच्चर, घोड़े, ऊँट, और अन्य पशु भी बेचे जाते हैं, लेकिन गधे इस मेले का प्रमुख आकर्षण होते हैं। पहले यह मेला स्थानीय व्यापार का एक मुख्य स्रोत हुआ करता था, लेकिन आज यह सांस्कृतिक और पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है।


पारंपरिक वेशभूषा और सजावट मेले में गधों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उन पर सुंदर रंग-बिरंगे कपड़े और पेंट से सजावट की जाती है, जिससे मेले का दृश्य और आकर्षक हो जाता है।


अनूठे नाम गधों को कई अनोखे और हास्यप्रद नाम दिए जाते हैं, जैसे “बजरंगी,” “सुल्तान,” और “शेरू,” जो दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

विवाह और मनोरंजन इस मेले के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, लोक नृत्य, और गधों की दौड़ का आयोजन भी होता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग यहाँ आकर पारंपरिक गीत-संगीत का आनंद लेते हैं।

व्यापार और सौदेबाजी यहाँ पर किसान, व्यापारियों और दूर-दराज से आए लोग गधों के लिए अच्छी कीमतों पर सौदे करते हैं। यह मेला पशु व्यापारियों के लिए एक वार्षिक उत्सव के समान है जहाँ व्यापार भी होता है और मनोरंजन भी।



मेले का सांस्कृतिक महत्व

यह मेला स्थानीय ग्रामीण जीवन, उनके व्यवसाय और संस्कृति को उजागर करता है। गधे ग्रामीण क्षेत्रों में सामान ढोने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और इस मेले के माध्यम से उनकी उपयोगिता और स्थानीय जीवन में उनका महत्व भी समझा जा सकता है। कई ग्रामीण लोग, जिनके लिए गधा आय का साधन है, यहाँ गधे खरीदते हैं और पुरानी गधों को बेचते हैं ताकि उनकी आय में सुधार हो सके।

मेले में होने वाले अनोखे आयोजन

गधों की दौड़: मेला का एक प्रमुख आकर्षण गधों की दौड़ है, जिसमें गधों को खास ट्रैक पर दौड़ाया जाता है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।

पुरस्कार वितरण: सबसे तेज दौड़ने वाले, सबसे सुंदर, और सबसे मजबूत गधों को पुरस्कार दिए जाते हैं। इस तरह के आयोजनों से मेला और भी रोमांचक बन जाता है।  मेले का स्वरूप कुछ बदला है, और अब यह केवल गधों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं रहा है। यह मेला पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, जहाँ न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुँचते हैं।

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