मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को लेकर अपनी सकारात्मक दृष्टि प्रकट की। उनकी बयान में कुछ प्रमुख बिंदु उभरकर सामने आए, जो राज्य और क्षेत्र की एकता, विकास के प्रति प्रतिबद्धता, और वन्यजीव संरक्षण में सहकारिता के महत्व को दर्शाते हैं। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: डॉ. यादव ने अपने वक्तव्य में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सदियों पुराने संबंधों पर प्रकाश डाला, यह बताते हुए कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश का हिस्सा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान परिस्थितियों के बावजूद दोनों राज्यों में गहरा आपसी संबंध है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई का विशेष उल्लेख किया, जिनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और क्षेत्र के विकास की नींव रखी गई।


विकास की ओर बढ़ते कदम: डॉ. यादव ने छत्तीसगढ़ की पिछली सरकारों के कारण उत्पन्न विकासात्मक रुकावटों का उल्लेख किया और कहा कि वर्तमान में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ तेजी से प्रगति की ओर अग्रसर है। इस सकारात्मक दृष्टिकोण से संकेत मिलता है कि सरकारें भले ही अलग हों, लेकिन दोनों राज्यों का लक्ष्य समान है—क्षेत्र का समृद्ध विकास।
वन्यजीवों के आकस्मिक आगमन पर नियंत्रण: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में हाथियों का अचानक आगमन अक्सर स्थानीय समुदायों और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे नियंत्रित करने के लिए, डॉ. यादव ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर कार्य करने की योजना बनाई है। यह वन्यजीव संरक्षण और मानव-संरक्षण के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकता है।



छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव पर शुभकामनाएं: डॉ. यादव ने छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव पर शुभकामनाएं प्रकट कीं और कहा कि निकट भविष्य में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से विकास संबंधी विषयों पर चर्चा की जाएगी। यह वक्तव्य दोनों राज्यों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है और सुझाव देता है कि सीमाओं के बावजूद, वे एक दूसरे की समस्याओं और विकासात्मक जरूरतों को समझने के लिए तत्पर हैं।
क्षेत्रीय सीमाओं से ऊपर उठकर कैसे दोनों राज्य एक दूसरे के लिए समर्थन का आधार बने रह सकते हैं।



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