
अनूपपुर अमर कंटक IGNTU जैसे शिक्षा संस्थानों में उच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा निजी स्वार्थ और बाहरी हस्तक्षेप किस तरह से पूरे संस्थान को दूषित कर सकते हैं। छात्रों के ज्ञापन में उल्लिखित मुद्दे केवल एक संस्थान विशेष के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य कई शिक्षा संस्थानों के लिए भी प्रासंगिक हैं जहाँ स्थानीय राजनीतिक और आर्थिक स्वार्थ शिक्षण संस्थानों के उद्देश्य से परे हटकर अपने निजी हितों की पूर्ति में लिप्त हो जाते हैं।
प्रशासनिक अराजकता
छात्रों का दावा है कि कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने एक अराजक माहौल स्थापित कर दिया है। यह स्थिति शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के बीच असंतोष पैदा करती है और संस्थान की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुँचाती है। ऐसे में, विश्वविद्यालय प्रशासन को पारदर्शी बनाना और बाहरी जांच का आयोजन करना आवश्यक है।

शिक्षा से भटकाव
IGNTU का उद्देश्य जनजातीय छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना था, परंतु प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह उद्देश्य कहीं खोता जा रहा है। छात्रों की सुविधा, बस सेवा, हॉस्टल आवंटन जैसी समस्याओं का समाधान करने की बजाय प्रशासन ने इन सुविधाओं को सीमित कर दिया है। इससे छात्रों को शिक्षा के अवसरों से वंचित होना पड़ता है, जो क्षेत्रीय विकास में भी बाधा उत्पन्न करता है।
निजी हितों का खेल
छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि विश्वविद्यालय में निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। कुछ स्टाफ सदस्य और नेता निजी लाभ के लिए विश्वविद्यालय का उपयोग कर रहे हैं। इस स्थिति से बचने के लिए एक स्वतंत्र जाँच समिति का गठन करके आरोपों की पुष्टि की जानी चाहिए।

धार्मिक आस्था को ठेस
विश्वविद्यालय परिसर में “गुप्त नर्मदा” नामक स्थान का नाम नर्मदा नदी से जोड़ना स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्थाओं को आहत करने वाला है। नर्मदा नदी को जीवनदायिनी और पवित्र मानते हुए इसे नाले से जोड़ना अस्वीकार्य है। इस विषय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और धार्मिक संगठनों की राय को ध्यान में रखकर समाधान निकाला जाना चाहिए।
क्षेत्रीय विकास और मेडिकल कॉलेज का मुद्दा
मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज स्थापित नहीं हो सका है। छात्रों का कहना है कि राजनीतिक असहमति और निजी स्वार्थों के चलते यह परियोजना लंबित है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना न केवल शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी क्षेत्रीय जनता को लाभान्वित करेगी। इस विषय में राज्य सरकार को अविलंब कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मुख्यमंत्री की घोषणाओं को प्रभावी बनाया जा सके।
राजनीतिक हस्तक्षेप और आर्थिक शोषण
छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रशासन में बाहरी राजनीतिक हस्तक्षेप बहुत अधिक है। इस हस्तक्षेप से शिक्षकों और छात्रों का शोषण हो रहा है। बाहरी राजनीतिक दखल को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय आयोग द्वारा नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति और शिक्षा मंत्रालय को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए। विश्वविद्यालय में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच समिति का गठन करके आरोपों की सत्यता की जाँच की जानी चाहिए।
कुलपति और अन्य वरिष्ठ पदों पर बैठे अधिकारियों की भूमिका की विस्तृत समीक्षा की जानी चाहिए। यदि उनके खिलाफ लगे आरोप सत्यापित होते हैं, तो उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
विश्वविद्यालय में छात्रों के हितों की रक्षा के लिए उनके द्वारा बताई गई समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हॉस्टल सुविधाएँ बढ़ाने, बस सेवा पुनः चालू करने और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए।
धार्मिक आस्था से जुड़े मुद्दों पर स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों की राय को मान्यतानुसार सम्मानित किया जाना चाहिए।
मेडिकल कॉलेज और अन्य आवश्यक शैक्षिक इकाइयों की स्थापना की प्रक्रिया को गति दी जानी चाहिए, जिससे क्षेत्र के लोगों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।

इस पूरे मामले में छात्रों की आवाज़ को ध्यान से सुनना और शिक्षा की गरिमा को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। यदि इन मुद्दों का समाधान नहीं होता है, तो यह न केवल IGNTU की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकता है, बल्कि भविष्य में अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक बुरा उदाहरण बन सकता है। राष्ट्रपति महोदय के नाम से ज्ञापन के माध्यम से छात्रों ने अपनी चिंता व्यक्त की है, और अब यह महत्वपूर्ण है कि प्रशासन उनकी बात को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए।




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