बरसों से इस बंगले में कोई नहीं रहता था, और लोग इसके पास से गुजरने से भी कतराते थे। यह माना जाता था कि बंगले में आत्माएं बसती हैं, और जो भी वहां गया, वो या तो वापस नहीं लौटा या लौटकर कभी कुछ कह नहीं पाया।
कहते हैं कि काली हवेली कभी एक बेहद अमीर व्यापारी की थी। व्यापारी अपनी पत्नी और बेटे के साथ उस हवेली में रहता था। एक रात, किसी कारणवश पूरी हवेली में आग लग गई। लोग कहते हैं कि आग किसी दुर्घटना से नहीं बल्कि हवेली के नौकरों ने लगाई थी, क्योंकि व्यापारी के बर्ताव से वे सभी बहुत नफरत करते थे। उस आग में व्यापारी, उसकी पत्नी और बेटा जिंदा जल गए। उसके बाद से ही हवेली में अजीब घटनाएं होने लगीं, और कुछ समय बाद लोगों ने उसे “भूतिया बंगला” घोषित कर दिया।
कई सालों बाद, एक दिन राज, एक युवक जो पुरानी जगहों की कहानियों में रुचि रखता था, इस हवेली के बारे में सुनकर वहां जाने का फैसला करता है। उसके दोस्तों ने उसे बहुत मना किया, लेकिन राज अपनी जिज्ञासा के आगे उनकी बात मानने को तैयार नहीं था। वो सोचता था कि ऐसी बातें महज डराने के लिए फैलाई जाती हैं।
राज एक रात अपने कैमरे और टॉर्च के साथ काली हवेली के पास पहुंचता है। हवेली की ओर बढ़ते हुए वह महसूस करता है कि वहां का माहौल अजीब-सा है। हर चीज़ चुपचाप, जैसे कि जंगल में कोई हलचल नहीं हो रही हो। उसने कभी ऐसी खामोशी महसूस नहीं की थी।
जैसे ही वो हवेली के बड़े काले गेट के पास पहुंचता है, उसे अचानक ठंड का एहसास होने लगता है, जबकि वो रात सामान्यतः ठंडी नहीं थी। उसने गेट को धकेलने की कोशिश की, और गेट एक भयानक आवाज के साथ खुल गया। हवेली का परिसर घास और झाड़ियों से भरा हुआ था, और हवेली के खिड़कियों से अंधेरा झाँक रहा था।
राज ने हवेली के मुख्य दरवाजे को खोला और भीतर कदम रखा। हवेली के अंदर एक अजीब-सी गंध फैली हुई थी, मानो वहां बरसों से कुछ सड़ा हुआ हो। सीढ़ियाँ चरमराती हुईं थीं, और दीवारों पर घनी धूल की परत जमी हुई थी। उसने दीवारों पर फैले अजीब-ओ-गरीब चित्रों को देखा। उन चित्रों में एक आदमी, एक औरत, और एक बच्चा बने हुए थे, जिनकी आँखें सीधे राज की ओर देखती प्रतीत हो रही थीं।
अचानक, हवेली में एक सन्नाटे के बीच एक धीमी सरसराहट की आवाज सुनाई दी। राज ने सोचा कि यह केवल उसकी कल्पना का खेल हो सकता है, और उसने इसे नजरअंदाज किया। वो धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया।
राज ने एक कमरे का दरवाजा खोला और देखा कि वहां एक पुराना झूला पड़ा था। वह सोचने लगा कि शायद यह झूला व्यापारी के बेटे का होगा। जैसे ही उसने झूले को हाथ से छुआ, झूला अपने आप धीरे-धीरे झूलने लगा। राज को यह देखकर झटका लगा। वह तुरंत झूले से दूर हो गया, लेकिन तभी उसे बच्चे की हंसी सुनाई दी, जो इस सन्नाटे में किसी तूफान से कम नहीं थी।
उस हंसी से राज के रोंगटे खड़े हो गए। उसने तुरंत उस कमरे से बाहर निकलने का फैसला किया, लेकिन जैसे ही उसने कदम बढ़ाया, दरवाजा अपने आप जोर से बंद हो गया।
भयानक अंधेरा और अचानक प्रकट होती परछाई
अब राज को लगने लगा था कि वो एक भयानक जाल में फँस चुका है। उसने अपना टॉर्च जलाया, लेकिन अचानक टॉर्च की रोशनी खुद-ब-खुद बंद हो गई। पूरे कमरे में अंधेरा छा गया। राज की सांसें तेज हो गईं, और उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है। उसने धीरे-धीरे पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।
जैसे ही उसने आगे बढ़ने का सोचा, अचानक एक परछाई उसकी टॉर्च के सामने आई। उस परछाई का चेहरा विकृत था, आंखें लाल और भयानक थी। राज के कदम जड़ हो गए, और उसके पैरों में जैसे जान ही नहीं रही।
मृत आत्माओं का सामना
राज को लगा कि अब उसकी मौत निश्चित है। उसकी सांसें घुटने लगीं, और दिल की धड़कन इतनी तेज हो गई मानो छाती से बाहर निकलने वाली हो। तभी उसे एक आवाज सुनाई दी, “तुमने यहाँ आकर बहुत बड़ी गलती की है। इस हवेली में जो भी आता है, उसे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।”
उसके बाद कमरे के सभी दरवाजे खुल गए, और उसे दिखाई देने लगे लोग – व्यापारी, उसकी पत्नी, और उनका बेटा, जो पूरी तरह जले हुए थे। उनके शरीर से धुआं निकल रहा था और उनकी आंखों में एक अजीब-सी चमक थी, जो भयावह थी।
राज ने सोचा कि वह भाग सकेगा, लेकिन उसके पैर उसकी मर्जी के खिलाफ जड़ हो गए थे। अब वो हवेली की भयानक सच्चाई को जान चुका था।
आत्माओं ने राज को चारों तरफ से घेर लिया। उनके चेहरे पर भयानक मुस्कान थी, मानो वे उसके दर्द का मजा ले रही हों। राज ने अपने साथ लाया हुआ धार्मिक लॉकेट पकड़ लिया और प्रार्थना करने लगा। आत्माओं ने उसकी प्रार्थना का मजाक उड़ाते हुए कहा, “यहाँ कोई भगवान नहीं है, केवल मौत है।”
परन्तु राज ने हार नहीं मानी। उसने पूरी शक्ति से भागने की कोशिश की और दरवाजे की ओर दौड़ा। जैसे ही वो दरवाजे के करीब पहुंचा, एक जोरदार चीख ने पूरे कमरे को हिला दिया और सभी आत्माएं धुएं में बदलकर गायब हो गईं।
राज जैसे-तैसे करके बाहर निकला और हवेली के गेट को पार किया। वह दौड़ता हुआ जंगल से बाहर निकला और घर पहुंचा। उस रात की घटनाओं ने उसकी जिंदगी बदल दी। उसने काली हवेली की भयानक सच्चाई जान ली थी, और वह समझ चुका था कि ऐसी जगहों से दूर रहना ही बेहतर होता है।
काली हवेली आज भी वहीँ खड़ी है, और कोई भी व्यक्ति जो उसकी सच्चाई जानता है, वहाँ दोबारा जाने की हिम्मत नहीं करता। कहते हैं कि उस रात के बाद राज ने किसी को उस हवेली के पास भी जाने की सलाह नहीं दी।
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