कार्य सौंपने से संबंधित उक्त ठेकेदार खासा चर्चा का विषय बना हुआ है चर्चा एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय पर है। आमतौर पर, किसी भी ठेकेदार पर यदि सरकारी देय बकाया है या वे डिफॉल्टर की श्रेणी में आते हैं, निलंबित कर दिए जाते हैं। जब तक बकाया राशि जमा न हो।
खनिज विभाग विभिन्न प्रकार के खनिज, जैसे कोयला, बॉक्साइट, ग्रेनाइट रेत पत्थर आदि के खनन और आपूर्ति के लिए ठेकेदारों को अनुबंध देता है। यदि ठेकेदार खनिज की निर्धारित मात्रा के अनुसार रॉयल्टी या अन्य शुल्क जमा करने में विफल होते हैं, तो विभाग द्वारा उन पर वित्तीय रिकवरी की जाती है। जो लगाई गई लेकिन जमा नहीं कराई गई यही चर्चा का विषय है।
सरकार की रिकवरी और डिफॉल्टर नीति रिकवरी प्रक्रिया: यदि ठेकेदार खनिज निष्कर्षण या रॉयल्टी के भुगतान में चूक करता है, तो उन पर रिकवरी ब्याज सहित लगाई जाती है। अनूपपुर खनिज विभाग में रिकवरी का प्रतिशत, अनुबंध की राशि, देय तिथि और भुगतान की स्थिति के आधार पर निर्भर करता है।
डिफॉल्टर को पुन कार्य देने की नीति: वर्तमान में, सरकार आमतौर पर डिफॉल्टर ठेकेदारों को पुनः कार्य नहीं देती है जब तक कि उन्होंने पहले की सभी देय रिकवरी पूरी तरह से जमा नहीं की हो। नियमों के अनुसार, डिफॉल्टर ठेकेदारों को भविष्य में किसी भी खनिज अनुबंध में भाग लेने से पहले अपने देय बकाया को चुकाना पड़ता है। कुछ विशेष मामलों में, ठेकेदार को काम देने से पहले अतिरिक्त सुरक्षा राशि जमा कराने का प्रावधान है। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मौजूदा रेत ठेकेदार ने डिफॉल्टर को रेत खदान सौंप दी ।यानी फिर वही कहानी दोहराई जायेगी रेत खदान पिछले मर्तबा जैसे खदान विभाग को वापस सौंपने की यह कहानी बनाकर की घाटा हो रहा है या माहौल सही नहीं है
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