मुकेश त्रिपाठी पर 20,000 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है, और उन्हें लोकायुक्त पुलिस द्वारा रंगे हाथों ट्रैप किया गया। यह घटना CGST विभाग में फैले भ्रष्टाचार की एक गंभीर मिसाल के रूप में देखी जा रही है, जो आम नागरिकों और व्यवसायियों के लिए एक चिंता का विषय है।
लोकायुक्त पुलिस को एक व्यापारी से शिकायत मिली थी कि CGST सुपरिंटेंडेंट मुकेश त्रिपाठी ने एक क्लियरेंस के मामले में 20,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने एक जाल बिछाया, जिसमें मुकेश त्रिपाठी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। शिकायतकर्ता व्यापारी को कहा गया था कि उनकी कागजी कार्रवाई और निरीक्षण की प्रक्रिया को सरल बनाने के बदले में पैसे देने होंगे, अन्यथा काम में बाधाएं पैदा की जा सकती हैं।
लोकायुक्त पुलिस की कार्यवाही
लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले की शिकायत पर तुरंत संज्ञान लिया और व्यापारी को पैसे के साथ भेजा। जैसे ही मुकेश त्रिपाठी ने पैसे लिए, लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें मौके पर गिरफ्तार कर लिया। इस ट्रैपिंग ऑपरेशन में लोकायुक्त की टीम ने पूरी तैयारी के साथ काम किया ताकि भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हो सकें। उन्हें रिश्वत के पैसे के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया, और रिश्वत के पैसे भी जब्त कर लिए गए हैं।
मुकेश त्रिपाठी के खिलाफ आरोप
मुकेश त्रिपाठी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। भ्रष्टाचार के इस मामले में यह देखा जा रहा है कि कैसे सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करके आम जनता को परेशान करते हैं और रिश्वत की मांग करते हैं। CGST विभाग का यह मामला खासकर व्यापारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
सरकारी अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर आम लोगों को आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान करते हैं। इस तरह के मामलों से न केवल विभाग की छवि खराब होती है बल्कि यह लोगों के मन में सरकारी संस्थानों के प्रति विश्वास को भी कम करता है।
खंडवा में CGST (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स) प्रभाग के सुपरिंटेंडेंट मुकेश त्रिपाठी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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