जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से पूछा है िक एमबीबीएस करने के डेढ़ साल बाद याचिकाकर्ता डॉक्टर को ग्रामीण क्षेत्र में पोस्टिंग क्यों दी। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने संचालक चिकित्सा शिक्षा और आयुक्त स्वास्थ्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
भोपाल निवासी डॉ अंश पंड्या की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया िक नियमानुसार एमबीबीबीएस के बाद शासन द्वारा तत्काल पोस्टिंग आदेश जारी किए जाने चाहिए। डेढ़ वर्ष का विलंब होने से याचिकाकर्ता के कैरियर पर विपरीत असर पड़ा है। याचिका में पांच वर्ष की ग्रामीण पोस्टिंग के बदले 25 लाख रुपए के जुर्माने को भी चुनौती दी है। दलील दी गई िक 25 लाख के अत्यधिक जुर्माने पर संसद में चर्चा हुई थी और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मध्य प्रदेश राज्य को निर्देश दिया था कि वह ग्रामीण बाॅण्ड छोड़ने के इच्छुक छात्र पर लगाए गए 25 लाख रुपए के जुर्माने की समीक्षा करे। उन्होंने कहा िक 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाना संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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