जब वो काट चुकी उम्र कैद…तब निर्दोष साबित हुई!

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साँच को आंच नहीं…14 साल बाद महिला बेदाग बरी
सुनवाई के दौरान
हाईकोर्ट ने की पुलिस जांच की निंदा
गवाहों के साथ पुलिस कर्मियों पर प्रकरण दर्ज करने के आदेश
जबलपुर। एक कहावत है कि साँच को आंच नहीं… ये शब्द उच्च न्यायालय में हत्या के एक मामले में सुनवाई के दौरान चरितार्थ हो गए। पूरे 14 साल बाद हत्या की आरोपी महिला को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया।सुनवाई के दौरान
हाईकोर्ट ने  पुलिस जांच की निंदा की और
गवाहों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों पर प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिये।
मामले में पीड़िता की भाभी को भी अपने दो मासूम बच्चों के साथ जेल में साढ़े तीन माह तक जेल में रहना पड़ा। हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस आहलूवालिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अपीलकर्ता महिला को तत्काल रिहा करने के आदेश दिये हैं।।
उम्र कैद की सजा सुनाई थी
दरअसल हाईकोर्ट में यह अपील खंडवा निवासी सरजूबाई तथा उसकी भाभी भूरी बाई ने साल 2010 में न्यायालय द्वारा देवर की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने के खिलाफ  दायर की थी। प्रकरण के अनुसार अपीलकर्ता सरजू अपने पति की मौत के बाद देवर हरी उर्फ भग्गू के साथ रहने लगी थी। घटना के 15 दिन पूर्व दोनों में विवाद हुआ था, जिसके कारण हरी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था। अभियोजन के अनुसार 21 सितम्बर 2008 को हरी उर्फ  भग्गू नीम के पेड़ में फांसी के फंदे पर लटका हुआ था। जिसे नीचे उतारने के बाद अपीलकर्ता तथा उसकी भाभी भूरी बाई उसे बैलगाडी से अस्पताल ले गये। अस्पताल में जांच करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पूरा मामला संदिग्ध व संदेहास्पद  होने पर व पूरे मामले का अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया था कि अपीलकर्ता के बरामदे में पुलिस को कीटनाशक दवाई की खाली बोतल मिली थी। गांव में जो लोग खेती करते हैं, उनके घर पर कीटनाशक दवाइयां होती हैं। पुलिस पूरी जांच में अभियोजन पक्ष के गवाहों के आधार पर विवेचना करती रही। एकलपीठ ने अपने
शत्रुता के कारण दर्ज कराया प्रकरण
कोर्ट ने आदेश में कहा था कि शत्रुता के कारण गवाहों ने दो महिलाओं के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कराया गया, जबकि वह निर्दोष थी। अपीलकर्ता की भाभी गर्भवती थी और उसे अपने एक साल की बेटी तथा तीन साल के बच्चे के साथ जेल जाना पड़ा। पूरे मामले में बच्चों का कोई दोष नहीं था। लगभग साढ़े तीन माह बाद उसे जमानत का लाभ मिल गया था। अपीलकर्ता विगत 14 सालों से केंद्रीय जेल में निरुद्ध है। संबंधित न्यायालय ने भी इन मुद्दे पर विचार नहीं किया। आरोपी का एक मात्र हथियार जिरह है। केन्द्रीय जेल इंदौर की ओर से बताया गया कि महिला की सजा 14 साल लगभग पूर्ण होने वाली है। युगलपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाह मृतक की मां सुकमा बाई, बहन फूल बाई, सेवंती बाई, भाई सुरेश, थाना प्रभारी बीएस चौहान, पुलिस कर्मी एसआर रावत तथा एन के सूर्यवंशी के खिलाफ  प्रकरण दर्ज करने के आदेश देते हुए अपीलकर्ता महिला को रिहा करने के आदेश जारी किये है।

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