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ओडिशा में आने वाले चक्रवात हर साल गंभीर प्राकृतिक आपदा के रूप में उभरते हैं।

ओडिशा में आने वाले चक्रवात हर साल गंभीर प्राकृतिक आपदा के रूप में उभरते हैं।

उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों का निर्माण होता है, जो ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। ये चक्रवात तेज हवाओं, भारी बारिश, और तूफानी लहरों के साथ आते हैं, जिससे जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान होता है।

विशेषकर 1999 का सुपर साइक्लोन अत्यंत विनाशकारी साबित हुआ, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए। इस चक्रवात ने ओडिशा के तटीय जिलों को तबाह कर दिया और पूरी अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया। इसके बाद से, ओडिशा सरकार ने चक्रवातों से निपटने के लिए बेहतर तैयारियों और बचाव योजनाओं को लागू किया है, जिसमें समय पर चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।

चक्रवात के कारण बाढ़, भूस्खलन और तटवर्ती कटाव भी होते हैं, जिससे कृषि, उद्योग, और स्थानीय जीवन पर गहरा असर पड़ता है। हालांकि, सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें अब पहले से ज्यादा सक्षम हैं और त्वरित कार्रवाई के माध्यम से हताहतों की संख्या को कम करने का प्रयास करती हैं।

इन घटनाओं के पीछे वैश्विक जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारक माना जाता है, जो चक्रवातों की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहा है। ओडिशा का मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन एजेंसियां लगातार मौसम पर नजर रखती हैं, ताकि समय रहते प्रभावी कदम उठाए जा आपदा प्रबंधन संरचना: ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) स्थापित किया गया, जो आपातकालीन योजनाओं और रणनीतियों पर काम करता है।


समय पर चेतावनी: बेहतर मौसम निगरानी प्रणाली, सैटेलाइट इमेजरी, और आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि सटीक और समय पर चेतावनी दी जा सके।


चक्रवात शरण केंद्र: तटीय इलाकों में हजारों चक्रवात शरण केंद्र बनाए गए हैं, जहां लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है।


बचाव एवं राहत दल: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य बलों को पहले से ही तैनात किया जाता है ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके।


सामुदायिक जागरूकता: स्थानीय समुदायों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाता है, और स्कूलों तथा पंचायत स्तर पर बचाव योजनाएं चलाई जाती हैं।


सड़क और संचार व्यवस्था: चक्रवात के समय तटीय इलाकों से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने के लिए सड़क और संचार नेटवर्क को मजबूत किया गया है।


पुनर्वास: विस्थापित लोगों के लिए राहत शिविर बनाए जाते हैं, जहां भोजन, पानी और चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके साथ ही, कृषि और मछलीपालन के प्रभावित क्षेत्रों के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।


सतत विकास: तटवर्ती इलाकों में हरित बाड़े (ग्रीन बेल्ट) और मैंग्रोव वनस्पति को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि प्राकृतिक अवरोध चक्रवातों के प्रभाव को कम कर सके।

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