दिल्ली से मॉनीटरिंग के बाद भी मरीजों के साथ हो रहा अन्याय, मिनिस्ट्री में बैठे अधिकारी भी बने मूकदर्शक, चंद लोगों ने पूरे प्रदेश में फैला रखा है जाल, हर काम के रेट हैं फिक्स
जबलपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम आयुष्मान की दिल्ली से मॉनीटरिंग करने का दावा खोखला साबित हो रहा है। सच्चाई यही है कि आयुष्मान योजना चंद अफसरों और दलालों की जेबें भरने का जरिया बन कर रह गयी है। पूरे मध्यप्रदेश में आयुष्मान योजना में बतौर एक अस्पताल लिंक्ड होने के लिए रेट लिस्ट तय है। भोपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक आयुष्मान विभाग के अधिकारी अंकित गुर्जर और सुनील मुकाती के सारे काले कारनामों को शिकायत की शक्ल में भेजा जा चुका है,लेकिन इन पर कार्रवाई न होना चौंकाने वाला तथ्य है। गुर्जर-मुकाती एंड कंपनी ने मान्यता, बिल पास कराना या योजना से जुड़ी अनापत्तियां और स्वीकृतियां लेेने के लिए रेट फिक्स कर रखे हैं।
-कौन, कैसे ऑपरेट कर रहा गिरोह
इस योजना के खुलेआम दाम लगाने वालों में सबसे अहम भूमिका सुनील मुकाती की है। ये वो आदमी है,जो आया तो बिजली विभाग से है,लेकिन कभी वापिस नहीं गया और ना ही किसी की हिम्मत हुई,जो इसे वापिस
भेज सके। एक बार ऐसा हुआ था कि मुकाती को डेप्युटेशन से वापिस बिजली विभाग में भेजा गया था,लेकिन मुकाती ने चंद दिनों में ही उस आदेश को कैंसिल करा दिया था। ये तक कहा जाने लगा है कि दूसरे प्रदेशों में भले ही सरकारें आयुष्मान योजना को चलाती हों, लेकिन मध्यप्रदेश में सुनील मुकाती ही इस योजना का माई-बाप है। जिसे चाहेगा मान्यता मिलेगी और यदि चाहेगा तो मिली हुई मान्यता भी छीन लेगा। मुकाती का पदनाम भले ही उप-संचालक है,लेकिन असल में इनके ऊपर कोई अधिकारी ही नहीं है। यही सर्वोच्च है। मुकाती के साथ करप्शन के काले खेल मेे कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले चिकित्सा अधिकारी अंकित गुर्जर इस समय खूब मालामाल हो रहे हैं। मुकाती की सरपरस्ती में गुर्जर ने भी कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। यदि इनकी संपत्तियों की जांच की जाए तो जो खुलासे होंगे, वे हैरत में डालने वाले होंगे,लेकिन शर्मनाक है कि आरोपों से घिरे इन चेहरों से आज तक स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया।
-अस्पताल संचालकों ने टेक दिए घुटने
आयुष्मान को अपनी बपौती समझने वाले गिरोह के सामने अस्पतालों घुटने टेक दिए हैं। पहले उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से रोना रोया,लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो मंत्रीजी के दरबार में हाजिरी लगाई,लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो अंतत: अस्पताल वालों ने इसी गिरोह की शरण ली और इनकी मुंहमांगी रिश्वत देकर इनके रहम-ओ-करम पर हॉस्पिटल चला रहे हैं। जिस योजना को अत्यधिक कारगर बनाने के लिए पीएम श्री मोदी प्रयास कर रहे हों,उस योजना के लिए मप्र में मंत्री और उच्चाधिकारियों के होते हुये ऐलानिया वसूली हो रही है। ऐसे में सरकार की छवि पर कितने धब्बे लग रहे हैं, ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
-सीबीआई जांच पर संदेह के बादल
करीब दो साल पहले आयुष्मान योजना में दो सौ करोड़ के घोटाले की खबरें सुर्खियों में आयी थीं। उस वक्त लग रहा था कि अब इस योजना को अपनी कमाई की हवस का शिकार बनाने वाले अधिकारियों और निजी अस्पतालों के चेहरे जनता के सामने आ जाएंगे,लेकिन हैरतअंगेज तरीके से इस बहुचॢचत मामले को ऐसे दबा दिया गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो और अब तो सब कुछ इतना लीपपोत दिया गया है कि घोटाले के निशान भी नहीं दिखेंगे,लेकिन ये भी हकीकत है कि प्रमाण छिपाए जा सकते हैं,लेकिन मिटाए नहीं जा सकते। घोटाले के बाद कुछ आयुष्मान निरामयं भारत के कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया और एफआईआर करा दी गयी। इसके बाद भी जब आवाजें बुलंद होती रहीं तो सीबीआई को इसकी जांच सौंप दी गयी,लेकिन सीबीआई की जांच रिपोर्ट और भी चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट में घोटाले को लेकर ना तो अफसरों की मिलीभगत का जिक्र है और ना ही किसी तरह के नए तथ्य जोड़े गये। सीबीआई ने जांच में क्या किया, ये सवाल लगातार गूंज रहा है।
-वीडियो वायरल हुआ, पर जांच नहीं हो सकी
आयुष्मान निरामयं भारत की तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी सुश्री सपना लोवंशी के रिश्तेदार का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो सपना लोवंशी के नाम से निजी अस्पताल संचालक से पैसे ले रहा था। इस वीडियो पर एक्शन लिया गया और लोवंशी का ट्रांसफर इंदौर कर दिया और जांच यही समाप्त हो गयी। ऐसे ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग चौधरी का स्थानांतरण अतिरिक्त सचिव के रूप में पशु एवं डेयरी उद्योग विभाग दिया गया परन्तु किसी भी प्रकार की जांच नहीं की गयी। इन पर भी कई तरह के आरोप लगे थे। उनके स्थान पर 2015 बैच की तेजतर्रार आईएएस अदिति गर्ग ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी का ओहदा संभाला,लेकिन वे भी कुछ कर नहीं सकीं। हेल्थ विभाग के एसीएस मोहम्मद सुलेमान से आज तक किसी तरह की पूछताछ नहीं की गयी,जबकि इनकी भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े किए जा चुके हैं। एक और चौंकाने वाला नाम है सुनील मुकाती,ये बिजली विभाग के एई के पद पर कार्यरत था,लेकिन एक दिन अचानक इसे आयुष्मान निरामयं भारत में डिप्टी डायरेक्टर बना दिया जाता है। मुकाती पर भी गड़बड़ियों के ढेरों आरोप लगाए गये हैं,लेकिन किसी तरह की जांच नहीं की जा सकी। दूसरे विभाग से आए मुकाती ने इस विभाग में खूब नाम कमाया,लेकिन कभी पूछताछ तक का सामना नहीं किया।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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