मध्य प्रदेश की रेत खनिज नीति का उद्देश्य राज्य में रेत खनन को व्यवस्थित और नियंत्रित करना है। न की अवैध खनन कराना

मध्य प्रदेश की रेत खनिज नीति का उद्देश्य राज्य में रेत खनन को व्यवस्थित और नियंत्रित करना है। न की अवैध खनन कराना

मध्य प्रदेश सरकार की रेत खनिज नीति और रेत के प्रकार  इसकी विभिन्न  मुद्दों  जैसे नीति के उद्देश्यों, प्रकार  मूल्य निर्धारण, उपभोक्ताओं की सुरक्षा, और पर्यावरणीय के प्रभाव पर   हम सभी मुख्य मुद्दों का विश्लेषण करेंगे  उपभोक्ताओं को रेत खनन की प्रक्रिया और उनसे जुड़े  सवालों को समझने में मदद मिले ।

मध्य प्रदेश की रेत खनिज नीति एक परिचय

ताकि अवैध खनन को रोका जा सके, रेत खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके और रेत के उपयोग को सही तरीके से प्रबंधित किया जा सके।

नीति के उद्देश्य पारदर्शिता
रेत खनन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना प्रमुख उद्देश्य है। इसके लिए ई-टेंडरिंग और ई-नीलामी जैसे प्रक्रियाओं को अपनाया गया है, जिससे किसी भी प्रकार की हेरा-फेरी की संभावना कम हो जाती है।


पर्यावरण संरक्षण
रेत खनन को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से संचालित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। अवैध खनन के कारण नदियों और अन्य जल स्रोतों पर अत्यधिक दबाव न पड़े, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है।राजस्व वृद्धि
रेत खनन से राज्य को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि करना भी इस नीति का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इससे राज्य की आय बढ़ती है, जिसे विभिन्न विकास परियोजनाओं में निवेश किया जा सकता है।

अवैध खनन पर रोक
अवैध खनन पर सख्त प्रतिबंध और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नीति का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य है। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि सरकार को होने वाले राजस्व की भी हानि नहीं होती।



रेत के प्रकार और उनका वर्गीकरण

रेत को उसके स्रोत और उपयोग के आधार पर कई प्रकारों में बांटा जा सकता है। सामान्य तौर पर, रेत के निम्नलिखित प्रकार होते हैं

नदी रेत (River Sand)
यह रेत नदियों के तल से निकाली जाती है और इसे उच्च गुणवत्ता वाली रेत माना जाता है। यह निर्माण कार्यों के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि इसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है और यह जल निकासी और निर्माण में उपयोगी होती है।


बजरी रेत (Coarse Sand)
इस रेत का उपयोग आमतौर पर कंक्रीट के निर्माण में किया जाता है। यह मोटे कणों से युक्त होती है, जिससे इसकी पकड़ मजबूत होती है और इसे ढांचे की मजबूती बढ़ाने में उपयोगी माना जाता है।

एम-सैंड (Manufactured Sand)
एम-सैंड कृत्रिम रूप से निर्मित रेत है, जिसे पत्थरों को कुचलकर तैयार किया जाता है। यह नदी रेत का पर्यावरण अनुकूल विकल्प माना जाता है और बड़ी निर्माण परियोजनाओं में इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।

खदान रेत (Pit Sand)
यह रेत खुले खदानों से निकाली जाती है और इसका उपयोग मुख्य रूप से सड़क निर्माण और बड़े संरचनात्मक कार्यों में किया जाता है। इसका कण आकार मोटा होता है, जो इसे बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के लिए उपयुक्त बनाता है।



सरकार द्वारा निर्धारित रेत के मूल्य

मध्य प्रदेश सरकार ने रेत की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक मूल्य निर्धारण प्रणाली विकसित की है। रेत की कीमतें विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं, जिनमें शामिल हैं:

स्रोत का प्रकार
नदी रेत, एम-सैंड और बजरी रेत की कीमतें अलग-अलग होती हैं। नदी रेत की कीमत अधिक होती है क्योंकि यह प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त होती है और इसकी आपूर्ति सीमित होती है।

खनन स्थल की दूरी
रेत की कीमत खनन स्थल से उपभोक्ता तक पहुंचाने की दूरी पर निर्भर करती है। यदि खनन स्थल उपभोक्ता के नजदीक है, तो परिवहन लागत कम होती है, जिससे कीमतें कम रहती हैं।


परिवहन लागत
रेत की कीमत में परिवहन का खर्च भी शामिल होता है। दूरस्थ स्थानों पर रेत की कीमत अधिक हो सकती है क्योंकि इसमें परिवहन के लिए अधिक खर्च आता है।



सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य 2024 में

नदी रेत: ₹800 – ₹1200 प्रति घन मीटर (क्षेत्रीय आधार पर)

एम-सैंड: ₹600 – ₹1000 प्रति घन मीटर

बजरी रेत: ₹700 – ₹1100 प्रति घन मीटर


उपभोक्ता कैसे लूटने से बचें?

रेत की खरीद में उपभोक्ताओं के साथ अक्सर ठगी की घटनाएं होती हैं। इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरती जा सकती हैं:
सरकारी लाइसेंसधारी विक्रेताओं से ही खरीदें
सरकार द्वारा लाइसेंसधारी विक्रेताओं से रेत की खरीद सुनिश्चित करें। इन विक्रेताओं के पास सही रेट लिस्ट और मात्रा का प्रमाणपत्र होता है, जिससे उपभोक्ता ठगी से बच सकते हैं।

मूल्य की जांच करें
रेत खरीदने से पहले सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य की जांच अवश्य करें। कई बार विक्रेता अनावश्यक रूप से अधिक कीमत वसूलते हैं। यदि उपभोक्ता सरकारी मूल्य से अवगत हैं, तो वे ठगी से बच सकते हैं।


माप और तौल की जांच करें
रेत की सही माप और तौल सुनिश्चित करना आवश्यक है। कई बार विक्रेता माप में गड़बड़ी करके उपभोक्ताओं को कम रेत देते हैं। इसके लिए मापने के सही उपकरण और विधियों का उपयोग करना चाहिए।


ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करें
मध्य प्रदेश सरकार ने रेत खनन के लिए ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की है, जहां उपभोक्ता रेत खरीदने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया पारदर्शी है और इसमें ठगी की संभावना कम होती है।  रेत की गुणवत्ता जांचें
निर्माण कार्य के लिए उपयोग की जाने वाली रेत की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है। खराब गुणवत्ता की रेत से निर्माण में समस्याएं आ सकती हैं। उपभोक्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेत में मिट्टी, कंकड़, और अन्य अशुद्धियां न हों।



रेत खनन से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दे

रेत खनन का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि यह अनियंत्रित तरीके से किया जाए, तो इससे नदियों, जल निकायों, और आसपास के पर्यावरणीय तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मध्य प्रदेश में भी अवैध रेत खनन एक प्रमुख समस्या रही है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। इसके मुख्य प्रभावों में शामिल हैं:
नदियों के किनारों का क्षरण
रेत खनन के कारण नदियों के किनारे क्षरण का शिकार होते हैं, जिससे बाढ़ और भूमि क्षरण की समस्या उत्पन्न होती है।

जलस्तर में कमी
अवैध रेत खनन के कारण जलस्तर में कमी आती है, जिससे स्थानीय निवासियों को पीने के पानी की समस्या होती है।


जलीय जीवों का नुकसान
नदियों से अत्यधिक रेत खनन के कारण वहां रहने वाले जलीय जीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है।


वन्यजीवों पर प्रभाव
नदियों के किनारे बसे वन्यजीवों पर भी रेत खनन का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी भोजन और पानी की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है।



पर्यावरण संरक्षण के उपाय

सरकार ने रेत खनन से जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए कुछ सख्त नियम और निर्देश जारी किए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
ई-नीलामी:
सभी रेत खनन के ठेके ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से दिए जाते हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और अवैध खनन की संभावना कम हो जाती है।


पर्यावरणीय अनुकूलन
खनन करने से पहले पर्यावरणीय अनुकूलन की अनुमति लेना अनिवार्य है। इसके तहत, यह सुनिश्चित किया जाता है कि खनन के दौरान पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचे।


खनन के लिए निर्धारित क्षेत्र
सरकार ने रेत खनन के लिए विशेष क्षेत्र निर्धारित किए हैं, जहां से ही रेत निकाली जा सकती है ।

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