महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए स्वदेशी गायों को ‘राजमाता-गौ माता’ का दर्जा देने का ऐलान किया है। यह निर्णय भारतीय संस्कृति, कृषि और स्वास्थ्य देखभाल में गायों के महत्व को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस घोषणा का उद्देश्य स्वदेशी गायों की संख्या को बढ़ावा देना और उनकी देखभाल में मदद करना है, खासकर उन गौशालाओं के लिए जो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही हैं।
गायों का महत्व
सरकार के अनुसार, स्वदेशी गायों का दूध मानव पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह आयुर्वेदिक उपचारों में भी उपयोगी है। इन गायों का गोबर जैविक खेती में उपयोग किया जाता है, जिससे कृषि को लाभ होता है। सरकार ने इस निर्णय को भारतीय समाज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपराओं से जोड़ा है, जिसमें गायों को ‘कमरेनु’ के नाम से जाना जाता है, जो उनके ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है।
निर्णय के उद्देश्य
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि स्वदेशी गायों की देखभाल के लिए प्रति दिन ₹50 की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना ऑनलाइन कार्यान्वित की जाएगी और हर जिले में एक जिला गौशाला सत्यापन समिति बनाई जाएगी। इससे गौशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश की जाएगी।
चुनावी संदर्भ
यह निर्णय राज्य विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है, जिससे इसकी राजनीतिक प्रासंगिकता भी बढ़ जाती है। सरकार का उद्देश्य किसानों को प्रोत्साहित करना है ताकि वे स्वदेशी गायों की देखभाल करें, जो न केवल उनके लिए आर्थिक लाभ ला सकती हैं, बल्कि पर्यावरणीय और कृषि लाभ भी दे सकती हैं।
इस निर्णय के साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने गायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और भारतीय कृषि में उनके योगदान को मान्यता दी है। यह उम्मीद की जा रही है कि इससे स्वदेशी गायों की संख्या में वृद्धि होगी और इससे जुड़ी परंपराओं का संरक्षण भी होगा
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