मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों को कई प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

मछली उत्पादन  को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों को कई प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

मछली उत्पादन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को कई प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और मछली पालन के क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाना है। यहाँ कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ और सहायता दी गई हैं:

1. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY):

लक्ष्य: मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास और उत्पादन में वृद्धि।

आर्थिक सहायता: तालाब की स्थापना, मछली बीज की खरीद, और उपकरणों की व्यवस्था के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। SHGs को 40-60% तक की सब्सिडी मिल सकती है, खासकर महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों के लिए।

क्रेडिट सुविधा: मछली पालन के लिए आसान शर्तों पर लोन की व्यवस्था भी की जाती है।


2. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD):

NABARD द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत मत्स्य पालन के लिए ऋण की सुविधा दी जाती है।

SHGs को मछली पालन के लिए उपकरण, बीज, और खाद्य सामग्री खरीदने के लिए आर्थिक मदद मिलती है।


3. स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को समर्थन:

SHGs को सरकारी स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे मछली पालन के आधुनिक तरीकों और प्रबंधन की जानकारी प्राप्त कर सकें।

सहकारी समितियों के माध्यम से भी महिलाओं को मछली पालन में आर्थिक सहायता और विपणन सहायता दी जाती है।


4. अन्य योजनाएँ:

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना (कुछ राज्यों में): इस योजना के तहत राज्य सरकारें मछली पालन करने वाले किसानों को 50% तक की सब्सिडी देती हैं।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भी मछली पालन और मत्स्य पालन से जुड़ी इकाइयों को स्थापित करने में मदद करता है, जैसे कि मछली प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर अनुदान।


इन योजनाओं का उद्देश्य मछली पालन में अधिक उत्पादन लाना, महिलाओं को रोजगार देना और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। SHGs इन योजनाओं के तहत उपलब्ध वित्तीय और तकनीकी सहायता का लाभ उठा सकती हैं।

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