सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी उमरिया जिले में भूमाफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, इसका साफ मतलब यह माना जा रहा है कि कार्यवाही के नाम पर केवल कोरम पूरा किया जाता है, जिसके कारण वह अपने कारनामें में चरम सीमा में पहुंच रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जिला मुख्यालय में सामने आया है जहां पीड़ित ने शिकायत करते हुए कहा है कि जमीन तो मैंने ली थी मगर कुछ दिन बाद उस जमीन पर जाने वाला रास्ता गायब हो गया या पीड़ित का यह भी कहना है कि वह रास्ता चोरी हो गया है, यह माफिया का अनोखा मामला कहा जा सकता है। जहां भूमि बिकी बकायदा रजिस्ट्री हुई, तहसीलदार ने प्रकरण तैयार कर पट्टा भी प्रदान कर दिया लेकिन वह भूमि पर खरीददार कैसे और कहां से आना जाना करेगा यह समझ से परे है, खरीददार को सालों से इंतजार है कि उसे उसके पैसे मिल जायें या फिर जमीन जहां वह घर बना सके। होमगार्ड आफिस के समीप हुए इस फर्जी भूमि बिक्री में बड़े भूमाफिया का हाथ बताया जा रहा है, जिन पर जिला प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की जिसके कारण उसके हौसलें बुलंद होते जा रहे हैं और यहां सरकारी आदेश दिया जा रहा है कि किसी भी हालत में भूमाफियाओं को पनपने नहीं दिया जाये, मगर जिले में बैठे राजस्व विभाग के अधिकारी ही सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। उक्त भूमि में खसरा क्रमांक 477/1 में से 2400 वर्ग फुट भूमि खरीदी गई थी, जिसमें पहुंचने के लिए जिस रास्ते को चौहद्दी में दर्शाया गया है वह गायब बताया जा रहा है या फिर वह दूसरे का है, जिसे अपना बताकर भूमाफिया ने अपनी रोटी सेंक डाली है। हालांकि पीड़ित जिले से थक हार कर हाईकोर्ट की शरण में जाने की पुरजोर तैयारी में है, जहां से उसे न्याय की पूरी उम्मीद है।
होमगार्ड डिपार्टमेंट ने भी नहीं लिया एक्शन
पीड़ित अनिल सिंह के अनुसार प्रथम बार जो भूमि दिखाकर भूमाफिया ने अनुबंध किया था, उसके अनुसार इनका सौदा पक्का हुआ और चौहद्दी भी रिकार्ड के साथ संलग्न की गई। यह अनुबंध पीड़ित अनिल सिंह और राकेश गुप्ता के बीच में हुआ था। अनिल सिंह ने जब भूमि खरीद ली तो वह अपनी भूमि पर कब्जा करने गया तब मामला खुला कि माफियाओं ने होमगार्ड डिपार्टमेंट की ही भूमि को अपना रास्ता बताकर उक्त बेच दिया है। पीड़ित ने इसका विरोध किया और कलेक्टर से लेकर अन्य अधिकारियों के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई लेकिन कार्यवाही के नाम पर कागजों में बयान ही दर्ज होकर रह गये और अभी भी पीड़ित न्याय की आश में दिन गिन रहा है। वहीं यह भी सवाल खड़ा होता है कि जब होमगार्ड डिपार्टमेंट को पता चला कि यह भूमि बेच दी गई है तो उन्होंने अपनी ओर से कोई कार्यवाही क्यों नहीं की। जबकि उक्त भूमि के आसपास भी उन्हीं विक्रेताओं ने जमीन बेची है, तो सवाल यह है कि जब प्रथम बार ही नाप हुई थी तो होमगार्ड ने आपत्ति क्यों नहीं की। बहरहाल मामले में एक बार फिर माफिया राज का कारनामा सामने आया है, जिस पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है और पीड़ित को कब तक न्याय मिलता है, जो देखने लायक होगा..?




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