
जबलपुर। अनूपपुर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अमनदीप सिंह छाबड़ा के सरकारी आवास पर हुए हमले ने प्रदेश की न्यायिक सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जमानत आवेदन निरस्त करने के बाद हुए इस हमले को जबलपुर हाईकोर्ट ने अत्यंत गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार, पुलिस व प्रशासन से विस्तृत जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने पुलिस-प्रशासन से तलब किया जवाब, 4 दिसंबर अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराज़गी
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से संबंधित संज्ञान याचिका पर सुनवाई के दौरान बताया गया कि हाल ही में न्यायाधीशों के साथ कई आपराधिक घटनाएँ हुई हैं।
अनूपपुर की घटना का उल्लेख करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों के निर्णयों से असंतुष्ट होकर उन पर हमला करना न्याय व्यवस्था पर हमला है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अधिकारी करेंगे जवाब पेश
उप महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि संबंधित पुलिस अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उन्होंने सरकार से आवश्यक दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 4 दिसंबर निर्धारित की है।
न्यायाधीशों की सुरक्षा में लगातार चूक
हाईकोर्ट को बताया गया कि इससे पहले भी न्यायाधीशों पर हमले और चोरी की घटनाएँ हो चुकी हैं—
2016 में मंदसौर: राष्ट्रीय राजमार्ग पर न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ मारपीट का मामला सामने आया था।
इस घटना पर हाईकोर्ट ने तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल मनोहर ममतानी से जाँच करवाई थी और रिपोर्ट के आधार पर न्यायाधीशों की सुरक्षा पर जनहित याचिका की सुनवाई शुरू करने के निर्देश दिए थे।हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश फिर केंद्र में।
हाईकोर्ट ने पहले भी प्रदेश सरकार को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे कोर्ट परिसरों के चारों ओर पर्याप्त ऊँचाई की बाउंड्री वॉल,परिसरों में पुलिस चौकियां,
और जजों के आवासीय क्षेत्रों में मजबूत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश।
अनूपपुर की घटना ने इन व्यवस्थाओं की कमजोरियों को फिर उजागर कर दिया है।मामला अब हाईकोर्ट की विशेष निगरानी में
जबलपुर हाईकोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि न्यायाधीशों और उनके परिवारों की सुरक्षा से किसी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।
अनूपपुर प्रकरण पर साझा की गई जानकारी को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने कहा कि सरकार को अब ठोस और व्यापक कार्रवाई की दिशा में जवाब देना होगा।
अगली सुनवाई में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों और सुरक्षा प्रबंधन की वास्तविक स्थिति पर हाईकोर्ट की दृष्टि केंद्रित रहेगी।



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