
“दीपोत्सव पर्व” — जब नर्मदा उद्गम धरा पर उतरेगा उजास का ब्रह्मलोक
देवउठनी एकादशी और मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर अमरकंटक में जगमगाएंगे 51,000 दीप, गूंजेगी मां नर्मदा की महाआरती और भक्ति की स्वर लहरियां
अमरकंटक — मां नर्मदा की उद्गम स्थली, जहां धरती का हर कण तप और श्रद्धा से भरा है। इस पवित्र भूमि पर जब आस्था के दीप प्रज्वलित होते हैं, तो ऐसा लगता है मानो स्वयं देवलोक धरातल पर उतर आया हो। मंद शीतल पवन का स्पर्श, झिलमिलाते तारों की चादर, चांद की मुस्कुराती परछाईं और नर्मदा के शीतल जल में झिलमिलाती हजारों दीप लौ — सब मिलकर रचते हैं एक अनुपम दृश्य, एक ऐसा आध्यात्मिक वातावरण, जो श्रद्धा को दिव्यता में रूपांतरित कर देता है।
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस और देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर “दीपोत्सव पर्व” का आयोजन 1 नवम्बर 2025, शाम 6:30 बजे से रामघाट, अमरकंटक में किया जा रहा है।
यह आयोजन श्रीरामघाट पथ मानव न्यास, मध्यप्रदेश शासन एवं संस्कृति विभाग के तत्वावधान में तथा जिला प्रशासन अनूपपुर के सहयोग से होगा।
दीप आराधना — मां नर्मदा के पुण्य तट पर 51,000 दीपों का सामूहिक प्रज्वलन, जहां हर लौ श्रद्धा की प्रतीक बनेगी।
मां नर्मदा की महाआरती — आरती की मंत्रोच्चारित ध्वनियों के बीच जल तरंगों पर तैरते दीपों का दृश्य, मानो स्वयं गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम हो रहा हो।
भक्ति गायन — जबलपुर के सुप्रसिद्ध भजन गायक मनीष अग्रवाल अपनी सुरमयी आवाज़ में भक्ति रस का अमृत घोलेंगे।
सांझ ढलते ही रामघाट दीपमालाओं से सुसज्जित हो उठेगा। मंदिरों की घंटियां और शंखध्वनि वातावरण में गूंजेगी।
आकाश में उड़ते आकाशदीप, जल में तैरते दीपक, पर्वतों से टकराती आरती की गूंज — सब मिलकर ऐसा दृश्य रचेंगे मानो स्वयं ब्रह्मांड नर्मदा के उद्गम तट पर झुककर आशीर्वाद दे रहा हो।
हवा में हल्की ठंडक और चंपा-चमेली की सुगंध, चंद्रमा का प्रतिबिंब जलधारा में जैसे स्वयं देख रहा हो अपनी सृष्टि को यह क्षण न केवल भक्ति का, बल्कि प्रकृति के सौंदर्य और मानव संवेदना के संगम का उत्सव होगा।
अमरकंटक का यह “दीपोत्सव पर्व” केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, ऊर्जा और एकात्मता का दिव्य संगम है।
यह वह क्षण होगा जब नर्मदा के तट पर हजारों दीपों की ज्योति में मध्यप्रदेश की आत्मा झिलमिलाएगी — एक उज्जवल, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से गौरवशाली राज्य का प्रतीक बनकर।



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