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बिना रिचार्ज न चमकेगा बंगला — बिजली विभाग का झटका VIP तक पहुँचा!

बिना रिचार्ज न चमकेगा बंगला — बिजली विभाग का झटका VIP तक पहुँचा!

अब मंत्रियों के बंगले और सरकारी दफ्तरों में बिना रिचार्ज नहीं जलेगी बिजली — प्रीपेड स्मार्ट मीटर से होगा सप्लाई नियंत्रण

भोपाल।
प्रदेश सरकार ने ऊर्जा उपभोग में पारदर्शिता लाने और बकाया बिलों की समस्या खत्म करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब मध्यप्रदेश में सभी सरकारी भवनों, दफ्तरों और मंत्रियों के बंगलों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। यानी—बिजली अब “रिचार्ज सिस्टम” से मिलेगी। जैसे मोबाइल में बैलेंस खत्म होने पर कॉल बंद हो जाती है, वैसे ही रिचार्ज न होने पर सरकारी बंगले, कार्यालय और विभागों की बिजली आपूर्ति स्वतः बंद हो जाएगी।

यह व्यवस्था भारत सरकार की आरडीएसएस (पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना) के अंतर्गत की जा रही है। वल्लभ भवन, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल भवन से लेकर तहसील स्तर के सरकारी कार्यालयों तक इन मीटरों की स्थापना की जा रही है। प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों ने बताया कि अब तक 45,191 शासकीय कनेक्शनों पर स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 18,177 कनेक्शनों पर प्रीपेड बिलिंग सुविधा शुरू हो चुकी है।

एक प्रीपेड स्मार्ट मीटर की लागत करीब ₹10,000 बताई गई है। प्रदेशभर में कुल 55 लाख मीटर लगाए जाएंगे, जिनमें घरेलू उपभोक्ता भी शामिल होंगे। इस व्यापक परियोजना पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।

अब बिजली पाने के लिए संबंधित विभागों को अपने कनेक्शन पर पहले रिचार्ज कराना होगा। भुगतान समाप्त होते ही आपूर्ति स्वतः रुक जाएगी। इससे न केवल पारदर्शी बिलिंग होगी बल्कि मीटर रीडिंग प्रणाली और ऊर्जा लेखांकन में भी सटीकता आएगी।

निकायों और पंचायतों पर भी सख्ती
प्रदेश के 413 नगर निकायों और हजारों पंचायतों में लंबे समय से बिजली बिलों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा था। कई निकायों पर छह माह से लेकर एक वर्ष तक का बिल बकाया है। कई बार वितरण कंपनियों को भुगतान न करने पर नोटिस जारी करने की नौबत आती रही है।

हालांकि सरकार द्वारा निकायों को बिजली बिल भुगतान हेतु चुंगी क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है, परंतु राशि का समय पर आवंटन न होने से बिल अक्सर लंबित रह जाते हैं। यही स्थिति पंचायत स्तर पर भी देखने को मिलती है।

अब ऊर्जा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि समय पर भुगतान नहीं हुआ तो संबंधित निकायों और पंचायतों की विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। बकाया की भारी राशि
नगरीय विकास एवं आवास विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर करीब 800 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। वहीं सभी शासकीय विभागों को मिलाकर यह बकाया 1300 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

राज्य सरकार का कहना है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर व्यवस्था से न केवल ऊर्जा उपयोग की निगरानी आसान होगी, बल्कि सरकारी विभागों में अनुशासन भी आएगा।
ऊर्जा विभाग के अनुसार यह कदम “भुगतान पहले, उपभोग बाद में” की दिशा में एक ऐतिहासिक सुधार साबित होगा।

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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