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कोतमा अदानी पावर प्रोजेक्ट पर विरोध भड़का
वादाखिलाफी के आरोप, विस्थापित किसानों का कार्य बहिष्कार

कोतमा अदानी पावर प्रोजेक्ट पर विरोध भड़कावादाखिलाफी के आरोप, विस्थापित किसानों का कार्य बहिष्कार

वादों का पावर प्लांट… भरोसे का ब्लैकआउट!

किसानों का करंट हाई, 3200 मेगावाट परियोजना ठप
अनूपपुर/कोतमा।
ग्राम पंचायत उमदरा एवं मझौली-छतई क्षेत्र में 3200 मेगावाट पावर प्रोजेक्ट के तहत भूमि विस्थापित किसानों में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार को किसान यूनियन संघ के बैनर तले विस्थापित परिवार धरने पर बैठ गए तथा कार्य बंद करने की घोषणा कर दी। किसानों ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने जनसुनवाई के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं किया है।

करीब 15 वर्ष पूर्व बेलस्पन कंपनी द्वारा पावर प्लांट की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था। उस दौरान किसानों को रोजगार, भत्ता, शिक्षा, स्वास्थ्य व पेयजल की सुविधाएं देने के आश्वासन दिए गए थे। बेलस्पन से परियोजना खरीदने के बाद अब अदानी पावर लिमिटेड द्वारा 3200 मेगावाट विद्युत परियोजना की स्थापना की जा रही है। इसी क्रम में 15 मई को हुई जनसुनवाई में पुरानी सभी सुविधाएँ बहाल करने का वादा किया गया था, परंतु 5 माह बाद भी स्थिति यथास्थिति बनी हुई है।

किसानों का आरोप है कि भत्ते की लंबित किस्तें अब तक जारी नहीं हुई हैं, वहीं कई सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। साथ ही रोजगार व आजीविका को लेकर भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। किसानों ने कहा कि यदि लिखित रूप से उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज करेंगे।

किसानों की प्रमुख मांगें

विस्थापन भत्ता की रुकी हुई किस्तों का तत्काल भुगतान

पेंशन पात्रता का लाभ कार्य समय की स्पष्ट सीमा मशीनरी एवं निर्माण सामग्री आपूर्ति में विस्थापितों को प्राथमिकता
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पेयजल की स्थायी व्यवस्था किसान यूनियन संघ ने कहा कि भूमि दे दी गई, अब जीवन बचाने की बारी है। विकास की रोशनी से पहले हमारे घर में अंधेरा न आए। आंदोलनकारी किसान

सूत्रों के अनुसार कंपनी प्रबंधन वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है। हालांकि किसान लिखित आश्वासन से कम पर तैयार नहीं हैं।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

ग्रामीणों ने कहा कि जनसुनवाई में शासन-प्रशासन मौजूद था, इसलिए वादों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उनकी भी है। किसानों ने ज्ञापन सौंपकर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।

औद्योगिक विकास के साथ विस्थापन और सामाजिक सुरक्षा की बहस एक बार फिर अनूपपुर के कोयलांचल में गर्म हो चुकी है।
विकास के मॉडल पर प्रश्न स्पष्ट है
“पूंजी का लाभ किसे? और कीमत कौन चुकाए?”

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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