
(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का देश के नाम संबोधन)
नवरात्रि की साधना और आर्थिक शक्ति का संगम
भारत की परंपरा में नवरात्रि शक्ति और साधना का पर्व है। देवी की उपासना से जहां आत्मबल मिलता है, वहीं समाज में नई ऊर्जा का संचार होता है। इस वर्ष नवरात्रि का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक संबोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने “GST बचत उत्सव” की घोषणा कर नागरिकों को नई आर्थिक दिशा दी।
मोदी जी का संबोधन केवल कर सुधारों का खाका नहीं था, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी उद्योग, गरीबी पर विजय और नए मध्यमवर्ग की आकांक्षाओं का घोषणापत्र था।
GST बचत उत्सव हर वर्ग को राहत
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि GST बचत उत्सव हर वर्ग के लिए लाभकारी होगा।
उपभोक्ता अब रोजमर्रा की चीजें सस्ती दामों पर खरीद सकेंगे।
व्यापारी टैक्स घटने से अधिक बिक्री करेंगे।
MSME को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
मोदी ने इसे बचत और समृद्धि का उत्सव बताते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि जनशक्ति का उत्सव है।
नेक्स्ट जेनरेशन GST—सरल और पारदर्शी व्यवस्था
मोदी ने अपने संबोधन में याद दिलाया कि 2017 से पहले देश में दर्जनों कर और टोल की जटिलताएं थीं। GST ने उस जाल से मुक्ति दिलाई। अब इसे और सरल बनाते हुए केवल दो स्लैब (5% और 18%) रखे जाएंगे।
इससे न केवल उपभोक्ता को राहत मिलेगी बल्कि कर प्रणाली पारदर्शी होगी।
रोजमर्रा की चीजें होंगी सस्ती प्रधानमंत्री ने बताया कि
99% दैनिक उपयोग की वस्तुएं टैक्स-फ्री या 5% टैक्स के दायरे में हैं।
इससे आम नागरिक की जेब पर बोझ कम होगा।
दूध, अनाज, सब्ज़ी, कपड़े और अन्य आवश्यक सामान अब और सस्ते होंगे।
गरीबी से बाहर आए 25 करोड़ लोग और नया मिडिल क्लास
मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा
पिछले 11 सालों में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया है।
यह नया मिडिल क्लास अब आत्मनिर्भर भारत की ताकत है।
उनके लिए सरकार ने GST में कमी और इनकम टैक्स 12 लाख तक छूट का प्रावधान किया है।
यह कदम मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अभूतपूर्व राहत है।
MSME और व्यापार जगत को नई उड़ान
मोदी ने MSME को भारत की अर्थव्यवस्था की धड़कन बताया।
उन्होंने कहा कि जब हमारी अर्थव्यवस्था सर्वोच्च थी, तब MSME का योगदान सबसे अधिक था।
अब GST कटौती से उनकी बिक्री बढ़ेगी, टैक्स का बोझ घटेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
स्वदेशी का बिगुल: गर्व से कहो—मैं स्वदेशी खरीदता हूं, बेचता हूं
प्रधानमंत्री जी का संबोधन केवल टैक्स तक सीमित नहीं था। उसमें स्वदेशी का गूढ़ संदेश था।
उन्होंने कहा—“हर घर स्वदेशी का प्रतीक बने।”
“स्वदेशी के मंत्र से जैसे आजादी को ताकत मिली, वैसे ही अब समृद्धि को ताकत मिलेगी।”
उन्होंने गर्व से कहने का आह्वान किया—“मैं स्वदेशी खरीदता हूं, स्वदेशी बेचता हूं।”
यह नारा भारत की सांस्कृतिक चेतना को नई दिशा देने वाला है।
राज्यों से अपील निवेश का अनुकूल माहौल बनाएं
मोदी ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दें और निवेश का अनुकूल वातावरण तैयार करें। आत्मनिर्भर भारत की सफलता तभी संभव है जब केंद्र और राज्य मिलकर काम करें।
विशेषज्ञों की नजर से सुधारों का महत्व
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि
दो स्लैब वाली GST प्रणाली व्यापार और उपभोक्ता दोनों के लिए लाभकारी है।
इससे अनुपालन आसान होगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में भारत की रैंकिंग सुधरेगी।
मिडिल क्लास की क्रय-शक्ति बढ़ेगी जिससे मांग और उत्पादन दोनों में उछाल आएगा।
नवरात्रि से समृद्धि तक नागरिक देवो भवः का मंत्र
मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा—
“हम नागरिक देवो भवः के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। GST और इनकम टैक्स सुधारों का संगम केवल टैक्स राहत नहीं बल्कि पूरे देश का बचत उत्सव है। यह हमारे उद्योग, हमारे किसान, हमारे व्यापारी और हर उपभोक्ता की ताकत है।”
बचत उत्सव से समृद्धि उत्सव की ओर
प्रधानमंत्री मोदी जी का संबोधन आर्थिक सुधार, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और स्वदेशी गौरव का संगम था। इसमें नवरात्रि की शक्ति, स्वदेशी की आत्मा और आत्मनिर्भर भारत का सपना शामिल है।
GST बचत उत्सव, टैक्स में राहत, MSME को सहारा और स्वदेशी का बिगुल—ये सभी मिलकर भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखते हैं।
आज जब करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आकर नए मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं, तब यह सुधार उनके लिए नई उम्मीद, नई दिशा और नए युग



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