
अनूपपुर की राजनीति इन दिनों एक ही नाम के इर्द-गिर्द घूम रही है—अनिल गुप्ता। भाजपा के वरिष्ठ कहे जाने वाले यह नेता अब पार्टी के लिए नासूर बन चुके हैं। वजह है महिलाओं को लेकर दिया गया उनका विवादित बयान, जिसने पूरे जिले से लेकर प्रदेश तक हलचल मचा दी है।
महिला नेता की खुली बगावत
भाजपा की ही महिला मोर्चा जिला महामंत्री और पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष नवरत्नि शुक्ला ने लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए साफ कहा कि अनिल गुप्ता ने मंच से अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर उन्हें अपमानित किया है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
इस पत्र ने भाजपा के भीतर की असहजता को उजागर कर दिया। सवाल यह है कि जब अपनी ही महिला नेता सार्वजनिक रूप से गुहार लगा रही है, तो संगठन की चुप्पी क्यों?
कांग्रेस का हमला और भाजपा की चुप्पी
कांग्रेस ने भाजपा को घेरते हुए कहा है
“जब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जितु पटवारी के नाम पर झूठ फैलाकर भाजपा ने पुतला जलाया, तो अब अपने बदजुबान नेता पर क्या कार्रवाई करेगी? क्या भाजपा जिलाध्यक्ष खुद FIR दर्ज कराएंगे या फिर लाडली बहना योजना सिर्फ वोट बैंक का खेल है?”
भाजपा के जिला अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम ने बयान तो दिया, मगर उसमें सिर्फ औपचारिकता झलक रही थी। उन्होंने कहा कि संगठन महिलाओं का सम्मान करता है और अगर बयान अमर्यादित है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पर कार्रवाई का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।
सिर्फ गुप्ता की सफाई
इस पूरे विवाद में चुप्पी तोड़ते हुए अकेले अनिल गुप्ता सामने आए। उनका कहना है कि उनके बयान को “एडिट करके वायरल” किया गया है और उन्हें “साजिश के तहत बदनाम” किया जा रहा है।
लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा के अन्य नेता—चाहे वह विधायक हों, सांसद हों या पदाधिकारी—किसी ने भी खुलकर गुप्ता का बचाव नहीं किया। पार्टी के भीतर भी उन्हें एक बोझ की तरह देखा जाने लगा है।
जनता का सवाल
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने लोगों को गुस्से से भर दिया है। जनता पूछ रही है
“जब भाजपा चाल, चरित्र और चेहरे की दुहाई देती है, तो बदजुबान नेता पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या भाजपा महिलाओं के सम्मान से बड़ा अपने विवादित नेताओं की इज्जत बचाने में लगी है?”
अनूपपुर की राजनीति में अनिल गुप्ता आज अकेले पड़ गए हैं। सफाई वही दे रहे हैं, बचाव वही कर रहे हैं। पार्टी चुप है, साथी नेता किनारा कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि –
क्या भाजपा अपने लिए नासूर बन चुके इस नेता से निपटने की हिम्मत दिखाएगी, या फिर ‘चुप्पी साधकर’ पूरे संगठन की छवि को दांव पर लगाएगी?



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