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अनूपपुर की छह निकायों में पार्षदों की खींचतान, पदों पर मोलभाव तेज

अनूपपुर की छह निकायों में पार्षदों की खींचतान, पदों पर मोलभाव तेज



भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच अविश्वास प्रस्ताव की संभावना धुंधली

अनूपपुर।
जिले की छह निकायों में इन दिनों पार्षदों के बीच खींचतान और राजनीतिक मोलभाव का दौर चरम पर है। कुछ निकायों में अघोषित रूप से अध्यक्ष व उपाध्यक्षों को पद से हटे हुए मान लिया गया है, हालांकि अभी तक औपचारिक कार्यवाही सामने नहीं आई है। यह हालात स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

सूत्र बताते हैं कि पार्षदों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और व्यक्तिगत हित साधने के आरोप आम हो चले हैं। विकास कार्यों की जगह ठेकेदारी, कमीशन और राजनीतिक संरक्षण की चर्चाएँ गलियारों में गूँज रही हैं। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव की संभावना बहुत कम है, क्योंकि अधिकांश पार्षद खुद विवादों में फंसे हुए हैं और एक-दूसरे की कमज़ोरियों को भुनाकर पद पर टिके रहने की रणनीति अपना रहे हैं।

स्थानीय जानकार बताते हैं कि अनूपपुर जिले की  छह निकायों में पार्षद गुटबाजी के खेल में उलझे हुए हैं। कई जगह अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ‘नाम के पदाधिकारी’ बनकर रह गए हैं, जबकि असली फैसले पार्षदों के आपसी समझौते और दलगत दबाव पर निर्भर हैं।

एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक—“यहाँ स्थिति ऐसी है कि पार्षद सत्ता की डोर खींचने में लगे हैं, लेकिन जनता की बुनियादी समस्याओं जैसे पानी, सफाई, सड़क और रोशनी को लेकर कोई गंभीर नहीं है। भ्रष्टाचार का माहौल इतना गहरा है कि पार्षद एक-दूसरे पर अविश्वास जताने की बजाय समझौता करके पदों पर बने रहना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं।”

सागर का उदाहरण—देवरी में बर्खास्तगी के बाद नया अध्यक्ष कौन?

समान हालात सागर ज़िले के देवरी नगर पालिका में भी देखने को मिले। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते राज्य सरकार ने नगरपालिका अध्यक्ष नेहा अलकेश जैन को पद से हटा दिया। इस फैसले ने नगर की राजनीति में भूचाल ला दिया। विधायक पं. बृजबिहारी पटैरिया ने मीडिया से कहा—“नगर का विकास तभी संभव है जब भ्रष्टाचार की जड़ों को खत्म किया जाए। अब देवरी पारदर्शी विकास की ओर बढ़ेगा।”

अब सवाल उठ रहा है कि नया अध्यक्ष कौन होगा? चर्चा में भाजपा समर्थक सरिता संदीप जैन का नाम सबसे आगे है। खास बात यह है कि 2022 के चुनाव में नेहा और सरिता आमने-सामने थीं। कांग्रेस पार्षदों के समर्थन से नेहा अध्यक्ष बनीं थीं, लेकिन कार्यकाल में 15 में से 12 पार्षद लगातार उनके खिलाफ खड़े रहे।

देवरी नगर पालिका में 13 भाजपा और 2 कांग्रेस पार्षद हैं। नेहा जैन पर विकास कार्य रोकने और भ्रष्टाचार बढ़ाने के आरोप इतने गहरे हो गए कि विधायक ने विधानसभा में मुद्दा उठाया और सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी। उनकी बर्खास्तगी के बाद नगर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया और अब जनता को उम्मीद है कि विकास की नई शुरुआत होगी।

अनूपपुर की निकायों की स्थिति हो या सागर के देवरी का मामला—दोनों जगह एक समान तस्वीर उभर रही है। पार्षद और जनप्रतिनिधि जनता के लिए चुने गए थे, लेकिन सत्ता की खींचतान और भ्रष्टाचार ने स्थानीय स्वशासन को खोखला कर दिया है। सवाल यह है कि क्या आने वाले दिनों में वाकई पारदर्शिता और विकास का रास्ता खुलेगा, या फिर यह मुद्दा भी राजनीति और मोलभाव की भेंट चढ़ जाएगा?

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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