
मध्यप्रदेश में बीपीएल कार्ड घोटाला सक्षम लोगों ने छीना गरीबों का हक, अब अनूपपुर कोयलांचल में होगी कार्रवाई
अनूपपुर/भोपाल।
गरीबों और जरूरतमंदों के लिए बनी सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की परछाई एक बार फिर उजागर हुई है। मध्यप्रदेश में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड योजना, जिसका उद्देश्य था समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक भोजन और बुनियादी सुविधाएँ पहुँचाना, अब घोटालों और अनियमितताओं की वजह से सवालों के घेरे में है। हाल ही में प्रदेश के कई जिलों – छतरपुर, खरगौन, भोपाल और अनूपपुर – से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें आयकरदाता, सरकारी कर्मचारी, शिक्षक और बिजनेसमैन जैसे सक्षम लोग भी बीपीएल कार्ड बनवाकर वर्षों से गरीबों के हिस्से का राशन हड़प रहे थे।
प्रशासन ने जब ई-केवाईसी और दस्तावेज़ों की जांच शुरू की, तो हजारों अपात्र लोगों की पोल खुल गई।
छतरपुर में 22,500 उपभोक्ताओं को अपात्र घोषित कर सूची से बाहर किया गया।
खरगौन में 4300 लाखपति परिवारों को नोटिस भेजा गया।
भोपाल के नक़्लखेड़ा गांव में तो पूरे गांव को बीपीएल परिवार घोषित कर दिया गया था, जबकि कई परिवारों के पास आयकर रिटर्न और बड़ी जमीनें थीं।
अब बारी अनूपपुर जिले की
अनूपपुर जिले के कोयलांचल क्षेत्र और नगर पालिका परिषदों में भी फर्जी बीपीएल कार्डधारकों की बड़ी संख्या सामने आने की शिकायतें मिल रही हैं। यहां पर कोल खदानों में कार्यरत सक्षम श्रमिकों और अधिकारियों ने भी बीपीएल कार्ड बनवा रखे हैं। नगर पालिका क्षेत्र में तो कई ऐसे परिवार सामने आए हैं, जिनके पास पक्के मकान, मोटर साइकिलें और स्थायी आय है, फिर भी वे गरीबों के हिस्से का राशन और लाभ उठा रहे हैं। गरीबी रेखा कार्ड से अनेक अपात्र लोगों द्वारा लाभ उठाया जा रहा है।इसमें दलालों और सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत सामने आ रही है।
जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने संकेत दिया है कि सितंबर माह के पहले सप्ताह से नगर पालिका क्षेत्र और ग्रामीण अंचलों में विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा। इसमें सबसे पहले कोयलांचल के नगर पालिका क्षेत्रों – – को प्राथमिकता दी जाएगी। यहां से बड़ी संख्या में फर्जी बीपीएल कार्डधारकों की सूची बनने की संभावना है।
राज्य के मंत्री विश्वास सारंग ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है।
“गरीबों का हक मारने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अपात्रों के कार्ड रद्द होंगे और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला सिर्फ राशन तक सीमित नहीं है बल्कि गरीबों के अधिकार, सामाजिक न्याय और प्रशासनिक पारदर्शिता से सीधा जुड़ा हुआ है। अगर सक्षम लोग ही गरीबों की थाली से निवाला छीन लेंगे तो सरकारी योजनाओं की पूरी मंशा पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।



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