
कोतमा में 10 दिन में जर्जर हुई ₹10 लाख की सड़क, तीन नोटिसों के बाद जनता के दबाव पर उखाड़ी गई – बरसात में डामरीकरण पर सवाल
अनूपपुर / कोतमा – विशेष रिपोर्ट
कोतमा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 5 एवं 6 में केशववारी तिराहे से पीपल चौक तक ₹10 लाख की लागत से बनाई गई नव-निर्मित सड़क मात्र 10 दिनों में ही जर्जर होकर उखड़ गई। घटिया निर्माण और गुणवत्ता मानकों की अनदेखी से बनी इस सड़क पर जगह-जगह गड्ढे पड़ गए, जिससे क्षेत्रीय जनता में भारी आक्रोश फैल गया।
लगातार शिकायतों और तीन-तीन नोटिसों के बाद, शुक्रवार को नगर पालिका अध्यक्ष अजय सराफ, उपाध्यक्ष व पार्षदों की मौजूदगी में सड़क को पूरी तरह उखड़वा दिया गया। जिम्मेदारों का कहना है इस सड़क निर्माण का भुगतान अब तक ठेकेदार को नहीं किया गया है।
बरसात में डामरीकरण – नियमों के खिलाफ
मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) और Indian Roads Congress (IRC-37) मानकों के अनुसार, जून से सितंबर के बीच बरसात के मौसम में डामरीकरण कार्य सख्त वर्जित है। तकनीकी कारण:
बिटुमिन सतह पर सही तरीके से चिपक नहीं पाता, जिससे सड़क जल्दी टूटने लगती है।
नमी के कारण सतह में पानी फंस जाता है, जिससे गड्ढे और दरारें जल्दी पड़ती हैं।
कार्य के लिए आवश्यक तापमान, रोलिंग और परत की मजबूती बरसात में संभव नहीं हो पाती।
इसके बावजूद बरसात के बीच यह निर्माण कराया गया, जो तकनीकी रूप से भी गलत और वित्तीय दृष्टि से संदेहास्पद है।
जिम्मेदारों की भूमिका पर सवाल
उपयंत्री और नगर पालिका इंजीनियर को मौसम व गुणवत्ता की जांच कर कार्य रोकना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों को भी अनुमति देने से पहले गुणवत्ता परीक्षण कराना था।
इसके बावजूद, सभी जिम्मेदार पक्ष जानते हुए भी कार्य कराते रहे, जिससे जनता में यह धारणा बनी कि या तो फंड समापन का दबाव था, या ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की मंशा। जनता की मांगें
क्षेत्रीय नागरिकों ने कहा कि बरसात में सड़क निर्माण ही भ्रष्टाचार का प्रमाण है। उन्होंने मांग रखी
ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
निर्माण में संलिप्त सभी जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर विभागीय जांच हो।
बरसात खत्म होने के बाद IRC मानकों के अनुसार सड़क का पुनर्निर्माण हो।



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