
भोपाल/ विशेष रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) द्वारा किए गए संविदा नियुक्तियों में भारी भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो रहा है। T&M Services Consulting Pvt. Ltd. नामक निजी कंपनी को भर्ती प्रक्रिया सौंपकर सरकार ने जिस पारदर्शिता और निष्पक्षता की बात कही थी, वह अब सवालों के घेरे में है। RTI दस्तावेजों, कर्मचारियों की शिकायतों और जमीनी जांच से स्पष्ट हो रहा है कि इस कंपनी ने सरकार की गाइडलाइन और नैतिक जिम्मेदारियों को ताक पर रखकर महिला कल्याण की योजनाओं को ही लूट की दुकान बना दिया।
महिलाओं के पदों पर पुरुषों की अवैध नियुक्ति
भर्ती नियमों के अनुसार अनेक पद विशेष रूप से महिलाओं के लिए आरक्षित थे—जैसे केस वर्कर, सलाहकार, हेल्पलाइन कर्मचारी आदि। लेकिन T&M कंपनी द्वारा महिलाओं के स्थान पर पुरुषों की नियुक्तियाँ कर दी गईं, जो स्पष्ट रूप से भारत सरकार की दिशा-निर्देशों और WCD की नीति के विपरीत है। यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और अवसरों की खुली लूट है।
पात्र अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क लेकर किया गया छल
हजारों बेरोजगारों ने नौकरी पाने की उम्मीद में फॉर्म भरे, परीक्षा शुल्क चुकाया। लेकिन न तो उन्हें कोई परीक्षा सूचना दी गई और न ही इंटरव्यू की जानकारी। सैकड़ों अभ्यर्थी आज भी वेबसाइट और मेल पर चक्कर काट रहे हैं। कंपनी ने सीधे सीधे परीक्षा शुल्क वसूल कर “शोषण” और “ठगी” का खेल खेला। यह एक प्रकार का नियोजित आर्थिक अपराध है।
मध्य प्रदेश बना भ्रष्टाचार का केंद्र, अन्य राज्यों में जिलों द्वारा हुई पारदर्शी भर्ती

जहाँ भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अन्य राज्यों में जिला प्रशासन के माध्यम से संविदा भर्ती कराई गई, वहीं मध्य प्रदेश में WCD ने निजी कंपनी को ठेका देकर व्यवस्था को ही ध्वस्त कर दिया। जिला स्तर की पारदर्शिता को दरकिनार कर निजी लाभ के लिए विभागीय अफसरों ने कंपनी से सांठगांठ कर नियुक्तियों में मनमानी की।
भोपाल में बैठे महिला बाल विकास विभाग के नीतिकारों की भूमिका संदिग्ध
महिला एवं बाल विकास संचालनालय भोपाल के उच्च अधिकारियों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध बन रही है। कैसे बिना उचित सत्यापन के एक ऐसी कंपनी को कार्य दिया गया जो पहले भी कई राज्यों में विवादों में रह चुकी है? क्या इसके पीछे कमीशनखोरी, राजनीतिक संरक्षण और विभागीय उदासीनता है?
उच्च स्तरीय जांच की माँग
यह मामला अब केवल भर्ती का नहीं, बल्कि व्यवस्था के भरोसे को तोड़ने का बन चुका है। महिला अधिकार, रोजगार, सरकारी गाइडलाइन—सब कुछ को व्यवस्थित तरीके से दरकिनार किया गया है। अब समय आ गया है कि:
T&M Services Consulting Pvt. Ltd. द्वारा किए गए समस्त कार्यों की CBI या EOW जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए।
भोपाल मुख्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की गहराई से पड़ताल की जाए।
पात्र अभ्यर्थियों को न्याय दिया जाए, और उनसे लिए गए परीक्षा शुल्क की तत्काल वापसी हो।
जनता पूछ रही है: क्या यही है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का चेहरा?
महिला सशक्तिकरण के नाम पर बजट तो पास हुआ, लेकिन उसी बजट की मलाई खाने के लिए पद भी छीन लिए गए। यह प्रशासनिक गिरावट की पराकाष्ठा है। भोपाल से लेकर जिलों तक जवाबदेही तय करना जरूरी है, वरना यह मॉडल अन्य योजनाओं में भी दोहराया जाएगा।
यदि इस प्रकरण की निष्पक्ष और सख्त जांच नहीं हुई, तो आने वाले समय में सरकार की समूची भर्ती प्रणाली और महिला कल्याण योजनाओं पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। आज प्रश्न केवल पद या प्रक्रिया का नहीं, बल्कि न्याय, नीति और नैतिकता का है।



Leave a Reply