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फिल्म समीक्षा सियारा संगीत और मौन के बीच जन्मी मोहब्बत की एक गूढ़ और भावनात्मक यात्रा

(Saiyaara)

फिल्म समीक्षा सियारा संगीत और मौन के बीच जन्मी मोहब्बत की एक गूढ़ और भावनात्मक यात्रा (Saiyaara)



निर्देशक मोहित सूरी
मुख्य कलाकार अहान पांडे, अनीत पड्डा
शैली रोमांटिक ड्रामा, म्यूजिकल
रिलीज़ जुलाई 2025

“सियारा” दो टूटे हुए दिलों  कृष कपूर, एक उभरता रॉक संगीतकार और वाणी बत्रा, एक अंतर्मुखी गीतकार — की आत्म-खोज, प्रेम और त्याग की कहानी है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे संगीत सिर्फ एक ध्वनि नहीं, बल्कि उन जज़्बातों का माध्यम है जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

अभिनय का विश्लेषण

अहान पांडे ने कृष के किरदार में आत्मसंघर्ष और संवेदनशीलता को ईमानदारी से जिया।

अनीत पड्डा ने अपनी पहली ही फिल्म में वाणी के रूप में भावों की गहराई को परिपक्वता से निभाया।

संगीत फिल्म की आत्मा

टाइटल ट्रैक “सैयारा…” और “तुम हो तो…” जैसे गीत फिल्म को भावनात्मक गहराई देते हैं।

Tanishk Bagchi और अन्य संगीतकारों का संगीत फिल्म को आत्मा की तरह संचालित करता है।

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

मोहित सूरी का निर्देशन भावनात्मक लेकिन कहीं-कहीं पूर्वानुमेय है।

सिनेमैटोग्राफी सुंदर है, विशेषकर रेन सीन और स्टेज परफॉर्मेंस।

एडिटिंग धीमी है, लेकिन कहानी की शैली के अनुसार संतुलित है।

संवाद और भावना

“कभी-कभी सबसे खूबसूरत गीत वो होते हैं जो अधूरे रह जाते हैं…”
यह संवाद फिल्म की मूल भावना को अभिव्यक्त करता है।

“सियारा” एक संवेदनशील प्रेम कहानी है जो उन लोगों के लिए बनी है जो रिश्तों की खामोश परतों और संगीत की आत्मीय शक्ति को महसूस करना जानते हैं। यह फिल्म उन जज़्बातों को छूती है जिन्हें कहना आसान नहीं, सिर्फ जीना होता है।

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