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सच  पर्दे के पीछे — एक सस्पेंस-थ्रिलर अपराध कथा भाग 2

सच  पर्दे के पीछे — एक सस्पेंस-थ्रिलर अपराध कथा भाग 2





कभी-कभी सच इतने करीब होता है कि वह हमारी आंखों से ओझल हो जाता है। हम जो देख रहे होते हैं, वो सिर्फ एक परछाईं होती है — एक ऐसा पर्दा जो हमारे चारों ओर बुन दिया जाता है। और जब कोई उस पर्दे को हटाने की कोशिश करता है, तो या तो वो गुम हो जाता है… या गुमनाम कर दिया जाता है। यह कहानी है अद्या सेन की — एक महिला, जिसे दुनिया ने एक हत्यारिन माना, पर जो वास्तव में एक गहरी साजिश का खुलासा करने वाली गवाह थी।

यह कहानी है उन रिश्तों की, जो प्रेम नहीं, बल्कि योजना थे। यह कहानी है उस व्यवस्था की, जो अपराध को कानून के पर्दे में छुपा देती है। और यह कहानी है एक ऐसे मिशन की, जिसकी शुरुआत एक हत्या से नहीं, बल्कि एक शादी से हुई थी।

परिचय — एक रिश्ता जो मिशन था

अद्या सेन, एक शांत-सी दिखने वाली, आकर्षक और पढ़ी-लिखी युवती, जिसने आदित्य वीर भंडारी नामक ट्रांसपोर्ट व्यवसायी से शादी की थी। शादी का आयोजन हेमवन रिज़ॉर्ट टाउन के आलीशान रिसॉर्ट में हुआ था, और सबने इसे एक आदर्श प्रेम विवाह कहा। लेकिन अद्या की आंखों में जो प्रेम था, वह असल में एक मिशन की झलक थी।

दरअसल, अद्या कभी एक सरकारी खुफिया एजेंसी के लिए काम कर चुकी थी — “स्ट्रेटेजिक इंटेलिजेंस फोर्स (SIF)”। उसे निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन मिशन अधूरा था। उसे एक स्वतंत्र एजेंट की तरह काम पर रखा गया — मिशन था “प्रोजेक्ट स्वतंत्र”।

इस मिशन का लक्ष्य था — आदित्य भंडारी। एक ऐसा व्यापारी जो असल में अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का मास्टर की था। उसके पास तमाम कोड, पासवर्ड और संपर्क थे — और ये सब कुछ उसकी डिजिटल घड़ी में सुरक्षित थे। अद्या का काम था शादी के बहाने उस तक पहुँचना, विश्वास जीतना, और सबूत हासिल करना।

सच जो पर्दे के पीछे है

बरसात की रात थी। हवा में नमी और पत्तों पर बूँदों की सरसराहट थी। मयूरघाटी जंगल की एक पगडंडी पर टॉर्च की रोशनी लहराती है — कोई पीछे मुड़कर देख रहा है। सन्नाटा टूटता है — एक चीख। और फिर, सब कुछ शांत। झाड़ियों के बीच एक मोबाइल गिरता है, जिसकी स्क्रीन पर अंतिम संदेश चमक रहा है — “सबूत सुरक्षित हैं। आगे बढ़ो।”

उस रात, आदित्य भंडारी की हत्या हो गई। सिर पर गहरी चोट, शरीर मिट्टी में आधा दबा हुआ। और अद्या — गायब।

पर अगले दिन, वह खुद रूद्रगढ़ के एक किराए के फ्लैट से पुलिस स्टेशन पहुंचती है और कहती है:
“मैंने मारा है उसे। क्योंकि वो राक्षस था।”साजिश की परतें


सीलबंद कमरे में CCTV कैमरे की बीप-बीप की आवाज़, घड़ी की टिक-टिक और एक धीमी रिकार्डिंग “Phase 1 Complete… Proceed with acquisition.”

घटनाक्रम

पुलिस ने मामला हत्या का समझा, लेकिन जैसे ही अद्या की कॉल हिस्ट्री और ईमेल्स खंगाले गए, सामने आई एक गुप्त श्रृंखला — ढेरों पासवर्ड प्रोटेक्टेड फोल्डर्स, क्लाउड एक्सेस कोड्स और सिग्नल ऐप पर मिट चुके मेसेजेज़।

CBI ने केस हाथ में लिया। तभी सामने आया नीलव शर्मा — एक युवा साइबर एक्सपर्ट, जो SIF के लिए आउटसोर्स प्रोजेक्ट्स करता था। उसने दावा किया कि उसने अद्या का फोन क्लोन किया था।

और वहीं से शुरू हुआ असली सस्पेंस

एक निजी बैंक के डार्क सर्वर में 8 देशों की कंपनियों का मनी ट्रेल

एक फर्जी NGO, जिसे आदित्य ने अपनी भाभी के नाम पर पंजीकृत किया था

एक ऑडियो क्लिप, जिसमें अद्या की आवाज़ नहीं, बल्कि एक महिला नेता की थी — “अब वह हमारे पास नहीं है, लेकिन घड़ी आनी चाहिए।”

हेमवन की घड़ी और मालिननगर का बॉक्स

CBI को CCTV फुटेज में अद्या हेमवन रिज़ॉर्ट से निकलते दिखी थी, लेकिन उसके बाद वह मालिननगर रेलवे स्टेशन पर आखिरी बार देखी गई। वहाँ उसने एक कुरियर एजेंसी के बॉक्स में घड़ी डाल दी थी — वही घड़ी, जो आदित्य के सभी बैंक खातों, क्रिप्टो वॉलेट्स और इन्वेस्टमेंट स्कीम्स की “मास्टर चाबी” थी।

रात का स्टेशन, झींगुरों की आवाज, लाउडस्पीकर पर गूंजता अनाउंसमेंट, और एक ब्लैक बॉक्स धीरे-से स्लाइड होता है काउंटर की ओर।
लौटती परछाई — अद्या जिन्दा है

चार महीने बाद, रूद्रगढ़ के एक छोटे से कैफे में एक विदेशी रिपोर्टर के लैपटॉप पर एक वीडियो चलता है

अद्या सेन सामने बैठी है — आँखों में धुआँ, लेकिन चेहरे पर ठंडी स्थिरता। वह कहती है


“मैंने सिर्फ शुरुआत की है। असली खून तो वो कर रहे थे जो सत्ता में हैं — मैं तो बस वह खिड़की थी जिससे रोशनी आई।”


रिपोर्टर की आँखें फैल जाती हैं। वीडियो वहीं कट हो जाता है।


अंतिम मोड़

जांच कर्ता की एक गुप्त रिपोर्ट में दर्ज है कि अद्या द्वारा छोड़ा गया डाटा बॉक्स अब सरकारी संरक्षण में है — लेकिन उसमें से कुछ फाइलें ‘अनएक्सेसिबल’ बताई गई हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि “प्रोजेक्ट स्वतंत्र” को रोकने के आदेश आए थे सीधे केंद्र से।


अंतिम संवाद

“हर हत्या एक अंत नहीं होती — कभी-कभी वह शुरुआत होती है। और सच… वह अब भी सांस ले रहा है, पर्दे के पीछे।”



(जारी…) अगला भाग तीन 

यह सस्पेंस भरी कहानी पूर्णतः काल्पनिक है

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