Globe’s most trusted news site

, ,

अमेरिका द्वारा मध्यस्थता के बावजूद पाकिस्तान ने सीज़फायर का उल्लंघन किया

     

अमेरिका द्वारा मध्यस्थता के बावजूद पाकिस्तान ने सीज़फायर का उल्लंघन किया     

पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और सामाजिक संकट


संकटों के बीच फंसा एक देश आंतरिक समस्याओं का जाल
जहां हर दिन एक नई मुश्किल संघर्ष और अस्थिरता  विकास की राह में अड़चनें और संकट

पाकिस्तान, जिसकी स्थापना धार्मिक आधार पर 1947 में हुई थी, आज विश्व के सबसे जटिल और संघर्षग्रस्त देशों में गिना जाता है। इसकी अस्थिरता का प्रभाव केवल इसकी सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण दक्षिण एशिया और वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित करता है। भारत के विरुद्ध बार-बार सीजफायर उल्लंघन, आतंकवाद को आश्रय देने के आरोप, चरमराती अर्थव्यवस्था, धार्मिक कट्टरता और असंगठित शिक्षा प्रणाली—ये सब इस देश की गहराई से जड़ें जमाई समस्याएं हैं।

शिक्षा और मदरसा संस्कृति की विफलता

पाकिस्तान में शिक्षा का ढांचा दो भागों में बंटा है: एक ओर सरकारी स्कूल, और दूसरी ओर मदरसे। मदरसों की संख्या 35,000 से अधिक है, लेकिन इनमें से 10-15% ऐसे हैं जो उग्रवादी मानसिकता और भारत विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं। इनमें आधुनिक विज्ञान, गणित, समाजशास्त्र जैसे विषयों का लगभग अभाव है। यह धार्मिक चरमपंथ को पोषण देता है और युवाओं को रोजगार योग्य नहीं बनाता।
लाहौर के पास एक मदरसे में पढ़े एक युवक ने बाद में आत्मघाती हमले में भाग लिया, जिसे जैश-ए-मोहम्मद ने प्रायोजित किया था। उसकी पढ़ाई केवल धार्मिक ग्रंथों तक सीमित थी, और उसमें कोई व्यावसायिक या तकनीकी कौशल नहीं था।

जनसंख्या विस्फोट और संसाधनों पर दबाव

पाकिस्तान की जनसंख्या 24 करोड़ से अधिक हो चुकी है। हर साल लगभग 50 लाख बच्चे पैदा होते हैं। इतने बड़े जनसंख्या वृद्धि के बावजूद न पर्याप्त स्कूल हैं, न अस्पताल और न ही रोज़गार के अवसर। सरकारी नीतियाँ जनसंख्या नियंत्रण पर कारगर नहीं रही हैं, जिससे संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है।

कराची जैसे शहर में झुग्गियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जहां प्रति परिवार औसतन 6-7 बच्चे हैं। इनमें से अधिकांश स्कूल कभी नहीं गए हैं।

बेरोजगारी, गरीबी और हताशा की स्थिति

पाकिस्तान की युवा आबादी बेरोजगारी से पीड़ित है। अनुमानतः हर चार में से एक युवा बेरोजगार है। सरकार GDP का केवल 2.5% शिक्षा और 1.2% स्वास्थ्य पर खर्च करती है। इसके परिणामस्वरूप न केवल कौशल की कमी है, बल्कि सामाजिक असंतोष भी बढ़ता जा रहा है। ड्रग्स  वहां का मुख्य व्यवसाय बन चुका है

धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता

पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे हिंदू, ईसाई, अहमदिया और शिया समुदाय के लोगों पर अत्याचार, जबरन धर्मांतरण, और हत्या की घटनाएं आम हैं। 2023 में पाकिस्तान में कुल 104 ईशनिंदा के मामले दर्ज हुए, जिनमें 60% से अधिक अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ थे।

सेना और लोकतंत्र का असंतुलन

पाकिस्तान में सेना हर महत्वपूर्ण फैसले में दखल देती है। रक्षा बजट हर साल बढ़ता है, जबकि विकास बजट में कटौती होती है। 2024 में पाकिस्तान ने रक्षा पर $11.5 अरब खर्च किए, जबकि शिक्षा पर मात्र $3.2 अरब। सेना का प्रभाव इतना व्यापक है कि वह सुप्रीम कोर्ट तक के निर्णयों को प्रभावित कर सकती है।

2022 में जब सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को बहाल करने का आदेश दिया, तो सेना के दबाव में संसद ने तुरंत नए चुनाव की घोषणा कर दी।

आतंकवाद और वैश्विक अलगाव

पाकिस्तान ने कई आतंकी संगठनों को पनाह दी है, जिनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन खुलेआम रैलियाँ निकालते हैं। FATF जैसी संस्थाएं पाकिस्तान को बार-बार ग्रे लिस्ट में डालती रही हैं। यह न केवल आर्थिक प्रतिबंध लाता है, बल्कि उसकी वैश्विक छवि को भी धूमिल करता है।

ओसामा बिन लादेन की मौत एबटाबाद में हुई, जो एक सैन्य क्षेत्र के करीब था। इससे पूरी दुनिया को पाकिस्तान की भूमिका पर संदेह हुआ।

सीजफायर उल्लंघन और भारत विरोधी मानसिकता

पाकिस्तान की सीमा पर हर साल सैकड़ों बार संघर्ष विराम का उल्लंघन होता है। 2022 में ही 4,500 से अधिक बार सीजफायर तोड़ा गया। यह घटनाएं केवल सीमा पर तनाव नहीं बढ़ातीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व को भी प्रभावित करती हैं।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में 2023 में एक स्कूली बस को गोलीबारी के दौरान निशाना बनाया गया ।मीडिया पर नियंत्रण और असहमति की हत्या

पाकिस्तान में पत्रकारों की हत्या, अपहरण, धमकी और समाचार चैनलों पर प्रतिबंध आम हैं। 2023 में 8 प्रमुख पत्रकारों की हत्या हुई जिनमें से अधिकतर सेना विरोधी रिपोर्टिंग करते थे।

प्रसिद्ध पत्रकार हामिद मीर को 2021 में गोली मार दी गई थी, क्योंकि उन्होंने ISI की आलोचना की थी।राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार

हर 3-4 साल में पाकिस्तान में सरकारें गिराई जाती हैं, राजनीतिक दलों में आपसी टकराव चरम पर है। इमरान खान की सरकार को सेना ने गिराया, नवाज़ शरीफ को अयोग्य ठहराया गया, और अब शाहबाज़ शरीफ भी दबाव में हैं।

पाकिस्तान एक ऐसा राष्ट्र बन चुका है जो आंतरिक और बाह्य दोनों मोर्चों पर संकटग्रस्त है। उसकी शिक्षा प्रणाली, जनसंख्या नीति, धार्मिक सहिष्णुता, लोकतांत्रिक व्यवस्था और सुरक्षा नीति में गहरे दोष हैं। वैश्विक मंच पर भी वह अलग-थलग हो गया है क्योंकि वह न तो अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता है, न ही आंतरिक स्थायित्व का कोई मॉडल स्थापित कर पाया है। यह स्थिति न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि उसके सभी पड़ोसियों और वैश्विक शांति के लिए एक स्थायी खतरा बन चुकी है।

Tags

Leave a Reply

Ad with us

Contact us : admin@000miles.com

Admin

Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

Categories

error: Content is protected !!