
विकास की असली कहानी वहां लिखी जाती है जहां लोग खुद आगे आकर बदलाव का झंडा उठाते हैं। मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने गंगा जलस्ववर्धन जलसंरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इस दिशा में अनूपपुर जिले के पड़ौर गांव ने जो किया, वह पूरे जिले के लिए एक मिसाल बन गया। कलहारिन तालाब, जो कभी बदहाली का शिकार था, आज जलसंरक्षण की प्रेरणा का केंद्र बन गया है।
गांव पड़ौर की सुबह उस दिन जैसे जाग ही उठी थी। खेतों में से बहकर आती ताजी हवा में हल्की नमी थी, और दूर कलहारिन तालाब के पास लोगों का जमावड़ा देखकर लगता था मानो कोई उत्सव हो। बच्चों की किलकारियां, महिलाओं की गीतों की गूंज और कुदाल-फावड़े की आवाजें मिलकर एक नई ऊर्जा का निर्माण कर रही थीं।
तालाब के चारों ओर लोग कतारबद्ध होकर गाद साफ कर रहे थे। हर हाथ में एक उद्देश्य था—तालाब को फिर से जीवित करना।
“पानी बचाना सिर्फ सरकार का काम नहीं, यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। पड़ौर गांव जैसे प्रयास ही असली बदलाव की नींव रखते हैं।”

जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक श्री उमेश पांडेय और सामाजिक अंकेक्षण समन्वयक श्री संदीप शुक्ला, नवांकुर संस्था के युवा कार्यकर्ता, सीएमसीएलडीपी छात्र-छात्राएं और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद थे। गांव के सरपंच रामलाल और सचिव मोहन सिंह लगातार सबकी हिम्मत बढ़ा रहे थे। तालाब की सीढ़ियों पर महिलाएं अपने पल्लू से पसीना पोंछते हुए हंस-हंसकर काम कर रही थीं।
घसीटा और चौरंगी लाल की नोकझोंक ने माहौल में हंसी की खनक घोल दी।
घसीटा बोला, “अरे चौरंगी, तेरे हाथ में कुदाल देखकर लग रहा जैसे नेता जी खुद मैदान में उतर आए हों!”
चौरंगी लाल ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “घसीटा, अब तो तेरा घर भी इस तालाब से पानी भरेगा, तब देखना नेता की असली ताकत!”
तालाब के चारों ओर नीम और पीपल के पेड़ जैसे इस पुनर्जन्म के साक्षी बन रहे थे। पक्षियों का कलरव और तालाब में वापस लौटते साफ पानी का प्रतिबिंब पूरे गांव को एक नई उम्मीद दे रहा था। हवा में मिट्टी की महक और मेहनत की खुशबू रच-बस गई थी।

सफाई के बाद तालाब के किनारे श्री उमेश पांडेय ने सभी को संबोधित किया
“आज पड़ौर गांव ने बता दिया कि बदलाव तभी संभव है जब गांव खुद जिम्मेदारी उठाए। कलहारिन तालाब अब केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक शक्ति का प्रमाण है।”
इसके बाद जल गंगा संवर्धन अभियान की शपथ दिलाई गई
“मैं शपथ लेता हूं कि जल को व्यर्थ नहीं बहाऊंगा, जल स्रोतों को साफ रखूंगा और जलसंरक्षण में हर संभव योगदान दूंगा।”
सरपंच रामलाल बोले
“हमारा गांव अब सरकार की ओर ताकने वाला नहीं रहेगा। हर खेत में रिचार्ज गड्ढा बनेगा, हर तालाब को संरक्षित किया जाएगा। यह संकल्प अब हर घर का है।”
कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली का संदेश

“आज पड़ौर गांव के लिए प्रेरणा का दिन है। आप सभी ने जो जज्बा दिखाया है, वह सभी गांवों के लिए मिसाल बनेगा। जलसंरक्षण के इस आंदोलन को जारी रखें, ताकि आने वाली पीढ़ियां आपको धन्यवाद दे सकें।”

शाम होते-होते कलहारिन तालाब के पानी में सूरज की लालिमा झलक रही थी। महिलाएं दीप जलाकर तालाब की परिक्रमा कर रही थीं। हर चेहरे पर गर्व की चमक थी। तालाब अब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं रहा; वह गांव की आत्मा बन चुका था।
कक्का ने आखिरी बार हाथ उठाकर कहा
“पानी बचेगा, तभी जीवन बचेगा। यह तालाब हमारी धरती की सांस है। इसे जिंदा रखना हमारा धर्म है।” और चौपाल के सन्देश को हर गांव सभी लोगों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य भी है गूगल में सर्च करना 000miles .com और कक्का की चौपाल पर पहुंच जाना है हम अलग अलग गांव शहर में फिर किसी मुद्दे को लेकर मिलेंगे ,
मुख्यमंत्री मोहन यादव जी की दूरदर्शी सोच और ग्रामीणों के अथक प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि जलसंरक्षण केवल एक योजना नहीं, बल्कि जीवन की जरूरत है। पड़ौर गांव में जनअभियान परिषद का प्रयास सभी को यह संदेश देती है कि यदि दिल में सच्ची नीयत हो और हाथ में मेहनत की ताकत, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं ।
कैलाश पाण्डेय



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