भालूमाड़ा में रेत माफियाओं का बेखौफ खेल, पुलिस की संदिग्ध भूमिका उजागर
(नोट: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ऑडियो की सत्यता की पुष्टि 000miles .com The Zero Miles नहीं करता है।)
अनूपपुर, मध्य प्रदेश के भालूमाड़ा थाना क्षेत्र में रेत माफियाओं का प्रभाव किस कदर हावी है, इसका सनसनीखेज खुलासा एक वायरल ऑडियो के जरिए हुआ है। इस ऑडियो में माफिया खुद स्वीकार कर रहे हैं कि किस प्रकार अवैध रेत खनन निर्बाध रूप से संचालित किया जाता है, पुलिस से उनकी सांठगांठ कैसे रहती है, और जब कोई अधिकारी ईमानदारी से कार्रवाई करता है, तो उसे हटा दिया जाता है।
“मैं चोरी नहीं करता, मेरा टाइम फिक्स है” – माफियाओं की बेबाक स्वीकृति
वायरल ऑडियो में एक रेत माफिया बेखौफ होकर कहता है, “मेरा टाइम फिक्स है, सुबह 4 बजे! मैं चोरी नहीं करता, सब सेटिंग के साथ चलता है।” इसका सीधा अर्थ है कि रेत माफिया चोरी-छिपे काम नहीं करते, बल्कि खुलेआम अवैध खनन जारी है, और पूरा सिस्टम उनके नियंत्रण में है।
“राघव बगारी लाइन हाजिर हो गए, बधाई हो!” – ईमानदारी की हार

ऑडियो में सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब एक माफिया ने गर्व से बताया कि जब सब-इंस्पेक्टर राघव बगारी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की, तो उन्हें तत्काल लाइन हाजिर कर दिया गया। माफिया खुशी से कहता है, “बधाई हो! बगारी साहब, आपका लाइन अटैच हो गया!” मतलब साफ है – जिसने अपराध के खिलाफ कदम उठाया, उसे ही व्यवस्था ने हटा दिया।
यह केवल एक संयोग नहीं था, बल्कि सुनियोजित बदला था। ऑडियो में माफिया खुद कहता है, “राघव बगारी ने कोई गलत काम नहीं किया, लेकिन हमारे खिलाफ गए, इसलिए लाइन हाजिर हो गए!” यानी जो भी इनकी अवैध गतिविधियों के आड़े आता है, उसका सफाया तय है।
“पुलिस पहले ही खबर कर देती थी” – कानून का डर खत्म
ऑडियो में यह भी उजागर हुआ कि पुलिस खुद ही रेत माफियाओं को पहले से सतर्क कर देती थी। माफिया स्वीकार करता है, “कोतमा से फोन आ गया था कि आज गाड़ी मत लगाना, फील्डिंग तेज है!”
इसका मतलब है कि कार्रवाई से पहले ही पुलिस अपने संरक्षित अपराधियों को आगाह कर देती थी, जिससे वे बच निकलते थे। यह गठजोड़ इतना मजबूत है कि कानून पूरी तरह बेबस नजर आता है।
मंदिर में “धन्यवाद यात्रा” – अपराधियों का अजीब जश्न
जब राघव बगारी को लाइन हाजिर किया गया, तो एक रेत माफिया खुशी से मंदिर गया और भगवान का धन्यवाद किया। “जैसे ही खबर आई कि बगारी साहब को लाइन हाजिर कर दिया गया, मैं मंदिर गया और प्रसाद चढ़ाया।” जब अपराधी इस तरह ईमानदार अफसरों को हटाने पर जश्न मनाने लगें, तो यह स्पष्ट संकेत है कि पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार की जकड़ में है।
“हम चोरी नहीं करते, पैसा देते हैं!” – किसके संरक्षण में फल-फूल रहे हैं अपराधी?
ऑडियो में माफिया दावा करता है, “हम चोरी थोड़ी करते हैं, पैसा देते हैं! जब सपोर्ट मिलेगा, तब गाड़ी लगाएंगे, जब सपोर्ट नहीं मिलेगा, तो बंद कर देंगे!”
इस बयान से यह साफ होता है कि किसी का संरक्षण इन्हें प्राप्त है। सवाल यह उठता है – कौन है इनका गॉडफादर? क्या नेता इनके पीछे खड़े हैं? क्या पुलिस पूरी तरह बिक चुकी है? क्या प्रशासन भी इनसे लाभ उठा रहा है?
रेत माफियाओं का गढ़ – देवगवा से हो रहा संचालन
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा रेत माफिया नेटवर्क ग्राम पंचायत देवगवा से संचालित किया जा रहा है। देवगवा के कई प्रभावशाली लोग इस अवैध कारोबार में शामिल बताए जा रहे हैं, जो पुलिस, प्रशासन और नेताओं तक अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।
अब होगा कोई एक्शन या फिर मामला दब जाएगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इन रेत माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करेगा, या फिर हमेशा की तरह मोटी रकम के एवज में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
भालूमाड़ा में रेत माफियाओं का दबदबा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और कानून की स्थिति कमजोर होती जा रही है। जनता इस अन्याय के खिलाफ जवाब चाहती है। लेकिन क्या इस बार भी सच नोटों की गर्मी में दब जाएगा, या फिर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?
(नोट: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ऑडियो की सत्यता की पुष्टि The Zero Miles नहीं करता है।)
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