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बिजुरी शिक्षा का मंदिर या अनैतिकता का अड्डा? बाल संरक्षण आयोग की छापेमारी और उजागर हुआ काला सच

बिजुरी शिक्षा का मंदिर या अनैतिकता का अड्डा? बाल संरक्षण आयोग की छापेमारी और उजागर हुआ काला सच


सुनिए! सुनिए! इस दौर में शिक्षा के मंदिर अब नैतिकता के व्याख्यान नहीं, बल्कि अंधकारमय रहस्यों के गोदाम बन चुके हैं। अनूपपुर के बिजुरी नगर स्थित सेंट जोसेफ स्कूल में जो कुछ सामने आया, वह आपके रोंगटे खड़े कर देगा और आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगा कि हम अपने बच्चों को वास्तव में शिक्षा दिला रहे हैं या किसी गहरी साजिश के हवाले कर रहे हैं?
मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह के नेतृत्व में टीम स्कूल में पहुँची,  अंदर घुसते ही जो दृश्य देखने को मिले, उन्होंने प्रशासन और समाज—दोनों के होश उड़ा दिए।
विद्यालय की अलमारियों में रखी किताबों के पीछे कोई और ही पाठ्यक्रम छिपा था, फ्रिज में पोषण आहार की जगह मांस रखा था, और छात्रों को संस्कार देने की बजाय अजीबो-गरीब ‘सामग्री’ परोसी जा रही थी। यह खबर जंगल की आग की तरह फैली और पूरे क्षेत्र में हंगामा मच गया।
विद्यालय में छापेमारी: मांस, अनैतिक सामग्री और शिक्षा पर काले बादल

छात्राओं और छात्रों के लिए जो स्थान ज्ञान और अनुशासन का केंद्र होना चाहिए, वह कुछ और ही बन चुका था। शिक्षा विभाग और अभिभावकों के लिए यह छापेमारी नेतृत्व और  स्कूल की नैतिकता पर सवाल
जांच के प्रमुख निष्कर्ष
किचन का फ्रिज: बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन की जगह मांस का भंडारण। अब सवाल यह है कि यह मांस कहाँ से आया? किस उद्देश्य से रखा गया? और सबसे महत्वपूर्ण, किसे परोसा जा रहा था?  अनैतिक सामग्री: स्कूल के विभिन्न कमरों में संदिग्ध और अनुशासनहीनता को दर्शाने वाली सामग्री मिली। क्या यह शिक्षा के नाम पर ठगी नहीं?
संदेह के घेरे में स्कूल प्रबंधन: जब टीम ने स्कूल प्रशासन से सवाल किए, तो उत्तरों की जगह बचकाने बहाने मिले। वही पुराने घिसे-पिटे शब्द—”हमें नहीं पता,” “यह साजिश है,” “गलतफहमी हुई है।”
स्थानीय जनता का आक्रोश और प्रशासन का रुख
इस खुलासे के बाद स्थानीय जनता में उबाल आ गया। सड़कें नारों से गूंजने लगीं, “शिक्षा के नाम पर कलंक बर्दाश्त नहीं करेंगे!” हर माता-पिता अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। विद्यालय की मान्यता समाप्त करने और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग तेज हो गई।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल: क्या यह सिर्फ एक स्कूल तक सीमित है, या अन्य संस्थान भी इसी दिशा में चल रहे हैं?
अब आगे क्या होगा? बाल संरक्षण आयोग की अगली कार्रवाई
आयोग ने स्कूल प्रबंधन से जवाब माँगा है, लेकिन शिक्षा प्रणाली की कार्यशैली को देखते हुए जनता की उम्मीदें धूमिल हैं। क्या शिक्षा के मंदिर को व्यापार का अड्डा बनने दिया जाएगा? क्या कोई भी ज़िम्मेदारी लेगा? या यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह “भूल जाइए और आगे बढ़िए” की नीति का शिकार हो जाएगा?
शिक्षा का नया रूप!
शिक्षा का मूल उद्देश्य क्या था? नैतिकता, चरित्र निर्माण और ज्ञान देना। लेकिन अब? शिक्षा के नाम पर मांस परोसा जा रहा है, किताबों की जगह संदिग्ध सामग्री रखी जा रही है, और छात्रों को किस दिशा में ले जाया जा रहा है—इसका कोई ठिकाना नहीं।

शायद अब हमें बोर्ड परीक्षा की जगह यह पूछना चाहिए:
फ्रिज में रखा मांस किस ग्रेड का था?
अनैतिक सामग्री से नैतिकता की परीक्षा कैसे ली जाए?
विद्यालयों में शिक्षा के अलावा सबकुछ चल रहा है, तो यह किसका षड्यंत्र है?
अब गेंद सरकार और प्रशासन के पाले में है। जनता देख रही है कि न्याय होगा या फिर वही पुराना खेल दोहराया जाएगा!

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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