
ग्वादर एयरपोर्ट पाकिस्तान का ‘हवाई हाथी’, जो टेक-ऑफ से पहले ही क्रैश हो गया!
बलूचिस्तान में अस्थिरता और विद्रोह
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर एयरपोर्ट, जिसे चीन के आर्थिक सहयोग से वर्ष 2024 में तैयार किया गया था, अब अपनी दुर्दशा के कारण सुर्खियों में बना हुआ है। जिस एयरपोर्ट को “दक्षिण एशिया का आर्थिक केंद्र” बताया जा रहा था, वह अब पाकिस्तानी हुकूमत के लिए एक और सिरदर्द बन चुका है।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह एयरपोर्ट बलूचिस्तान के अशांत क्षेत्र में स्थित है। पाकिस्तानी सेना खुद यहां के विद्रोहियों से डरती है और ग्वादर में “प्रोजेक्ट संभालने” की बजाय अपनी “जान बचाने” में लगी हुई है। स्थानीय बलूच अलगाववादी इस परियोजना को अपना शोषण मानते हैं, और इस पर लगातार हमले कर रहे हैं।

इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लेकिन सुविधाएं गायब!
ग्वादर एयरपोर्ट को भले ही “अंतरराष्ट्रीय स्तर का” बताया गया हो, लेकिन असल में यहां घरेलू उड़ानें भी मुश्किल से संचालित हो रही हैं। एयरलाइंस भी इस हवाई अड्डे से दूरी बनाए हुए हैं, और जिन विमानों की हिम्मत होती है, वो या तो बिजली की कमी से अंधेरे में उतरने को मजबूर होते हैं या फिर विद्रोहियों के डर से उड़ान ही रद्द कर देते हैं।
बिजली गुल! – एयरपोर्ट की हालत ऐसी है कि पायलट को टॉर्च जलाकर रनवे देखना पड़ता है।
पानी नहीं! – यात्रियों को पानी की बोतल तक नसीब नहीं, क्योंकि खुद सरकार पानी को तरस रही है।
सुरक्षा रामभरोसे! – पाकिस्तानी सेना खुद यहां आने से डरती है, तो आम नागरिक “हिम्मत के धनी” ही होंगे।
चीन की बढ़ती झुंझलाहट!
चीन ने सीपैक (CPEC) प्रोजेक्ट के तहत इस एयरपोर्ट और अन्य परियोजनाओं में अरबों डॉलर झोंक दिए, लेकिन नतीजा सिफर! चीन को उम्मीद थी कि यह एयरपोर्ट उसके व्यापार के लिए वरदान साबित होगा, लेकिन जब बिजली, पानी और सुरक्षा तक नहीं, तो चीनी व्यापारी यहां क्यों आएंगे?

अब खबरें आ रही हैं कि चीन इस एयरपोर्ट और अन्य प्रोजेक्ट्स से धीरे-धीरे अपने हाथ खींचने की तैयारी कर रहा है।
ग्वादर एयरपोर्ट एक सफेद हाथी साबित हो रहा है। पाकिस्तान इसे बेच नहीं सकता, सुधार नहीं सकता, और चला भी नहीं सकता। यह एयरपोर्ट बना तो था “इंटरनेशनल उड़ानों” के लिए, लेकिन अब ऐसा लगता है कि यहां सबसे ज्यादा उड़ानें भ्रष्टाचार और आतंकवाद की होंगी।
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