
ग्वालियर में दोपहर का तूफ़ान – “मुख्यमंत्री जी, मेरी पत्नी मुझे मार डालेगी!”
फूलबाग चौराहे के तपते कोलतार पर बैठा एक डरता-सहमता इंसान, चिलचिलाती धूप में कांपता शरीर, चेहरे पर पसीने की बूंदें, और आंखों में खौफ—क्या यह एक बेकसूर पति की पुकार थी, या दिमाग़ी तनाव का नतीजा?
तपती दोपहरी और घबराया हुआ पति
ग्वालियर के फूलबाग चौराहे पर दोपहर के करीब 1:30 बज रहे थे। सूरज आसमान के बीचों-बीच खड़ा था, मानो शहर को आग के गोले में बदलने पर आमादा हो। सड़कों पर गाड़ियों का कोलाहल था, लोग अपनी रोज़मर्रा की भागदौड़ में व्यस्त थे, लेकिन तभी…
एक आदमी अचानक बीच सड़क पर बैठ गया।
“मुख्यमंत्री जी, मेरी मदद कीजिए… मेरी पत्नी मुझे मार डालेगी!”

कानों तक यह चीख पहुंचते ही चौराहे पर खड़े लोग चौकन्ने हो गए। कुछ लोगों ने कंधे उचकाकर देखने की कोशिश की, तो कुछ पास आकर पूछने लगे, “क्या हुआ भैया?” लेकिन वह आदमी किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था।
उसके चेहरे पर पसीना था, लेकिन धूप की वजह से नहीं – डर की वजह से। उसकी आंखों में ऐसा खौफ था, मानो अगले ही पल मौत उसे अपनी आगोश में लेने वाली हो।
अमित की कहानी और ड्रम कांड का डर
उस आदमी का नाम था अमित कुमार सेन, उम्र 30 साल। वह ग्वालियर के जनकपुरी इलाके का रहने वाला था। जब लोगों ने उसे घेरकर सवाल पूछे, तो उसकी रुंधी हुई आवाज़ में जो कहानी निकली, उसने हर किसी के रोंगटे खड़े कर दिए।
“मेरी पत्नी के चार प्रेमी हैं… उसने मेरे बेटे हर्ष को मार डाला… अब मेरा नंबर है!”

सुनते ही भीड़ में हलचल मच गई।
“मतलब? तुम्हारी पत्नी तुम्हें क्यों मारेगी?”
अमित की आंखें डरी हुई थीं। उसने इधर-उधर देखा, मानो कोई उसे मारने ही वाला हो, फिर बोला –
“मुझे पता है… मुझे ड्रम में बंद करके फेंक दिया जाएगा! मेरी पत्नी और उसके दोस्त प्लान बना चुके हैं!”
ड्रम?
यह सुनते ही वहां खड़े लोग भी एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे।
अभी कुछ ही दिनों पहले, मेरठ में हुए ‘ड्रम कांड’ की चर्चा पूरे देश में थी – जहां एक पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मारा, फिर उसके शव को काटकर एक बड़े लोहे के ड्रम में बंद कर दिया था।
अमित की सांस तेज़ हो गई। वह घबराकर बोला –
“मेरी पत्नी भी यही करने वाली है… मुझे मार डालेगी!”
पुलिस की एंट्री और जनता की जिज्ञासा
लोगों के बीच हलचल मच गई। कुछ ने पुलिस को फोन लगा दिया, तो कुछ ने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू कर दिया।
“ग्वालियर के फूलबाग चौराहे पर एक आदमी अपनी बीवी से बचने की गुहार लगा रहा है! लाइव देखिए, क्या है सच्चाई?”
थोड़ी देर में पुलिस की जीप चौराहे पर पहुंची। लाल-नीली बत्तियां चमकने लगीं, और सायरन की आवाज़ से भीड़ दो हिस्सों में बंट गई। पुलिस ने आते ही पूछा –
“क्या हो रहा है?”
अमित की हालत खराब थी। उसने कांपते हुए अपनी पत्नी पर आरोप दोहराए। उसने कहा कि उसने कई बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जनकगंज थाने के इंस्पेक्टर ने उसे शांत करने की कोशिश की, मगर अमित बार-बार बस यही दोहरा रहा था –

“मुझे बचाइए! मुझे बचाइए!”
क्या अमित सच बोल रहा था? या कोई और कहानी छिपी थी?
पुलिस अमित को सड़क से हटाकर किनारे ले गई। उसने पानी मांगा, किसी ने उसे एक बोतल दी। थोड़ी देर बाद, उसकी सांस कुछ स्थिर हुई, लेकिन उसकी आंखों में अभी भी डर था।
इंस्पेक्टर ने कहा –
“देखो अमित, अगर तुम्हें सच में खतरा है, तो हम तुम्हारी सुरक्षा करेंगे, लेकिन हमें सबूत चाहिए।”
अमित ने अपनी पत्नी और उसके प्रेमियों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस ने कहा कि पहले उसे जांच करनी होगी।
लोगों में भी चर्चा थी –
क्या सच में उसकी पत्नी उसे मारने की साजिश कर रही है?
या यह केवल एक मानसिक तनाव का मामला है?
क्या उसने सिर्फ सुनी-सुनाई कहानियों की वजह से अपने डर को बढ़ा लिया है?
समाज के लिए सबक
यह घटना सिर्फ एक पति-पत्नी के झगड़े की नहीं है। यह आधुनिक रिश्तों में बढ़ते अविश्वास, डर और मानसिक तनाव की निशानी है।
क्या अमित सच बोल रहा था?
या यह सिर्फ उसके दिमाग़ में चल रही कल्पना थी?
इसका जवाब तो आने वाले दिनों की जांच में ही मिलेगा, लेकिन फूलबाग चौराहे की इस घटना ने पूरे ग्वालियर को सोचने पर मजबूर कर दिया था।



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