
भूकंप प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जो पृथ्वी की आंतरिक हलचलों का परिणाम होता है। जब धरती की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें अपनी स्थिति बदलती हैं, टकराती हैं या खिसकती हैं, तो इससे भूकंपीय ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो सतह पर झटकों के रूप में महसूस की जाती है। कई बार यह हल्के झटकों तक सीमित रहता है, तो कभी-कभी इसका प्रभाव विनाशकारी हो सकता है।
सिंगरौली में भूकंप के झटके, लोग घरों से बाहर निकले
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में 27 मार्च, गुरुवार की दोपहर करीब 3:07 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप की तीव्रता 3.5 रिक्टर स्केल पर मापी गई, जिसका केंद्र धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे स्थित था। हालांकि, गनीमत यह रही कि इस झटके से किसी तरह की जान-माल की हानि की सूचना नहीं मिली है। यह पिछले डेढ़ महीने में सिंगरौली में महसूस किया गया दूसरा भूकंप है।
लोगों में दहशत, घरों से बाहर निकले
भूकंप के झटके महसूस होते ही सिंगरौली के अलावा आसपास के जिलों जैसे सिद्धी, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) और मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी लोग डर के कारण घरों से बाहर निकल आए। हालांकि भूकंप हल्की तीव्रता का था, लेकिन लगातार झटकों से लोगों में भय का माहौल बन गया है।
प्रशासन बेखबर, कोई नुकसान नहीं
जिला प्रशासन के अनुसार, भूकंप से किसी प्रकार की क्षति की सूचना नहीं मिली है। आमतौर पर रिक्टर स्केल पर 3.5 से 4.0 तक की तीव्रता वाले भूकंप हल्के माने जाते हैं और इनसे किसी बड़े नुकसान की संभावना नहीं होती। प्रशासन ने लोगों को आश्वस्त किया है कि घबराने की आवश्यकता नहीं है।
38 दिन पहले भी आया था भूकंप
गौरतलब है कि इससे पहले, 17 फरवरी की सुबह 8:02 बजे सिंगरौली क्षेत्र में 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। उस समय भी इसका केंद्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित था और गहराई 261 किलोमीटर थी। उस घटना में भी कोई हानि नहीं हुई थी, लेकिन बार-बार झटकों से स्थानीय लोग चिंतित हैं।
भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण उत्पन्न होते हैं। ये प्लेटें जब टकराती हैं, अलग होती हैं या एक-दूसरे के ऊपर चढ़ती हैं, तो इनके बीच संचित ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है और भूकंपीय तरंगों के रूप में धरती की सतह तक पहुंचती है। इन तरंगों के कारण ही भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
मानवजनित कारण भी हो सकते हैं जिम्मेदार
प्राकृतिक कारणों के अलावा, कुछ मानवजनित गतिविधियां भी भूकंप का कारण बन सकती हैं। जैसे—
खनन गतिविधियाँ: जब गहरी खुदाई की जाती है, तो धरती की सतह में अस्थिरता आ सकती है।
बड़े बांध और जलाशय: भारी जलभराव से भूमिगत चट्टानों में दबाव बढ़ सकता है, जिससे भूकंप आने की संभावना रहती है।
भवन निर्माण और विस्फोटक प्रयोग: बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य और विस्फोटक पदार्थों का उपयोग भी धरती की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
सावधानी और सतर्कता आवश्यक
भूकंप भले ही हल्की तीव्रता का रहा हो, लेकिन इससे सतर्क रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार, बार-बार आने वाले हल्के झटके कभी-कभी किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं। इसलिए प्रशासन और स्थानीय निवासियों को सतर्क रहना चाहिए और भूकंप से बचाव के लिए आवश्यक उपाय अपनाने चाहिए।
सिंगरौली और उसके आसपास के क्षेत्रों में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों ने लोगों में चिंता बढ़ा दी है। हालांकि अब तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन भूकंप की संभावनाओं को देखते हुए प्रशासन को आपदा प्रबंधन योजनाओं को मजबूत करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूकता और सही कदम उठाने से संभावित नुकसान को रोका जा सकता है।



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