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इति श्री कोतमा बीमार अस्पताल सुधार अध्याय समाप्त

इति श्री कोतमा बीमार अस्पताल सुधार अध्याय समाप्त

कोतमा अस्पताल सुधार आंदोलन: भूख हड़ताल का नाटकीय अंत!
“न इलाज बदला, न व्यवस्था सुधरी – बस अनशनकारी हुए मेडिकल अनफिट!”
जब मरीज से ज्यादा बीमार निकली स्वास्थ्य व्यवस्था
क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई व्यक्ति बिना बुखार, सर्दी, या किसी बीमारी के मेडिकल अनफिट घोषित कर दिया जाए?
यह चमत्कार हुआ है कोतमा अस्पताल के सामने! जहाँ दो युवकों ने चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर चार दिनों तक भूख हड़ताल की, लेकिन नतीजा निकला – ‘अनशन समाप्त, अस्पताल जस का तस!’
इस धरने में न कोई राजनीतिक दल साथ आया, न कोई सामाजिक संगठन, और स्वास्थ्य विभाग ने समस्या सुलझाने के बजाय अनशनकारियों को ही मेडिकल अनफिट करार देकर अस्पताल से बाहर कर दिया!
तो क्या कोतमा अस्पताल का सुधार आंदोलन एक बीमार अध्याय बनकर समाप्त हो गया? या फिर यह सवाल छोड़ गया कि “आखिर कब तक जनता की आवाज अनसुनी की जाती रहेगी?”

भूख हड़ताल की शुरुआत – उम्मीदों के साथ संघर्ष
चार दिन पहले, कोतमा के दो युवकों ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की माँग करते हुए अस्पताल के सामने भूख हड़ताल शुरू की।
उन्होंने माँग की
चिकित्सकों की नियमित उपलब्धता हो
अस्पताल में दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था हो
आपातकालीन सेवाओं में सुधार किया जाए
लेकिन इन माँगों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया
जब भूख से बड़ा खतरा बन गया मेडिकल अनफिट होना!
चार दिन बाद, जब अनशनकारियों का संघर्ष देखने कोई न आया, तो प्रशासन ने “हल” निकाल लिया।
सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) ने दोनों अनशनकारियों को “मेडिकल अनफिट” घोषित कर रेफर कर दिया!

बिना किसी बीमारी के अनफिट?
क्या भूख हड़ताल से लड़ने का नया तरीका खोज निकाला प्रशासन ने?
क्या अस्पताल की बीमारी अनशनकारियों को हो गई, और डॉक्टर बिलकुल ठीक थे?
यह पहला मौका था जब जनता ने महसूस किया कि मरीजों को ठीक करने वाला अस्पताल खुद ही बीमार हो चुका है!
भूख हड़ताल समाप्त – लेकिन समस्या वहीं की वहीं!
अंततः, बिना किसी समाधान के, चार दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त हो गई।
पर क्या अस्पताल की दवा आई? – नहीं!
क्या डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित हुई? – नहीं!
क्या व्यवस्था सुधरी? – नहीं!
पर भूख हड़ताल खत्म हो गई, क्योंकि अनशनकारी

“मेडिकल अनफिट” घोषित कर दिए गए !
“इति श्री कोतमा बीमार अस्पताल सुधार अध्याय समाप्त”
कोतमा अस्पताल का यह आंदोलन स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, प्रशासनिक लापरवाही, और जनता की आवाज दबाने की मिसाल बन गया।

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One response to “इति श्री कोतमा बीमार अस्पताल सुधार अध्याय समाप्त”

  1. Devesh Pratap Singh Gaharwar Avatar
    Devesh Pratap Singh Gaharwar

    कोतमा क्षेत्र के सभी जनसेवक और जनप्रतिनिधि अंधाधुंध कमाई में लगे हैं उन्हें जनसेवा से कोई सरोकार नहीं रहा.अंधाधुंध लूट-खसोट देखकर मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करता हूं कि वे अपनी पार्टी के सिद्धांतों के अनुरूप कोतमा नगर का भी नाम बदलकर “लूट-खसोट नगर” रख दें…….!!!

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