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कांग्रेस के प्रवक्ता श्री अभय दुबे एवं मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष श्री मुकेश नायक की संयुक्त पत्रकार वार्ता

कांग्रेस के प्रवक्ता श्री अभय दुबे एवं मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष श्री मुकेश नायक की संयुक्त पत्रकार वार्ता


सिर्फ बजट की सुर्खियों से काम-विकास में नाकाम

मोदी सरकार नहीं देती साथ-मोहन सरकार ने प्रदेश से किया आघात

भोपाल।केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार मप्र के समावेशीय और अधोसंरचना विकास के साथ लगातार कुठाराघात कर रही है। महज मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए लाखों करोड़़ के बजट की घोषणा की जाती है। मगर बजट की बहुत बड़ी राशि खर्च ही नहीं की जाती है। न केंद्र सरकार पर्याप्त निधियां भेजती हैं न ही राज्य की सरकार अपने हिस्से की राशि खर्च करती है।
ऑडिटर जनरल ने अपनी 2024 की रिपोर्ट में तो यहां तक लिख दिया कि प्रदेश की सरकार अवास्तविक प्रस्तावों के आधार पर बजट का आलोकेशन करती है, उसके खर्च का मॉनिटरिंग मेकेनिजम बहुत घटिया है। उसकी योजनाओं को लागू करने की क्षमताएं बेहद कमजोर हैं और विकास की जरूरतों के अनुरूप नहीं है।
2024-25 के बजट की मात्र 61.60 प्रतिशत राशि खर्च की गई
11 मार्च 2025 तक मप्र का कुल बजट प्रावधान जो कि 385924.09 करोड़ रू. था में से 238025.98 करोड़ रू. अर्थात 61.60 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई है। मप्र के समावेशीय विकास और अधोसंरचना विका पर इसका बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए:-
1. आदिवासी विभाग में 13024 करोड़ रू. में से 9942 करोड़ रू. अर्थात 76 प्रतिशत राशि खर्च की गई है। 
2. पंचायत विभाग में 10344.62 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया था, जिसमें से 5795.86 करोड़ रू. अर्थात 56 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई है।
3. जल संसाधन विभाग में 10117.09 करोड़ रू. में से मात्र   7382.05 करोड़ रू. ही खर्च किये गये, अर्थात 72 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई।
4. अनुसूचित जाति विकास विभाग 2253.48 करोड़ रू. में से 1307.97 करोड़ रू. अर्थात 58 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई। उसी प्रकार पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक विभाग में 72 प्रतिशत, युवा एवं खेल विभाग में 55 प्रतिशत, पर्यावरण विभाग में 5 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई।
5. शहरी विकास विभाग में 17474.42 करोड़ रू. की राशि में से 12276 करोड़ रू. अर्थात 70 प्रतिशत राशि खर्च की गई। 
केंद्र को प्रदेश के विकास की कद्र नहीं
केंद्र प्रायोजित योजना का सच-केंद्र ने 50.82 प्रतिशत राशि ही भेजी।
वर्ष 2024-25 में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में 1 मार्च 2025 तक 60 से अधिक विभागों में खर्च का प्रावधान 54989.12 करोड़ रू. रखा गया था, जिसमें राज्य का हिस्सा 17336.37 करोड़ रू. था।

केंद्र से प्राप्ति योग्य 37652.74 करोड़ रू. था, मगर केंद्र से अब तक मात्र 19136.65 करोड़ रू. प्राप्त हुआ अर्थात केंद्र से प्राप्ति का मात्र 50.82 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
गृह विभाग में 18.24 प्रतिशत, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में  25.61 प्रतिशत, जनजातीय कार्य विभाग में 31.19 प्रतिशत, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग में 7.48 प्रतिशत, पशुपालन एवं डेयरी विभाग में 16 प्रतिशत, महिला एवं बाल विकास विभाग में 35.89 प्रतिशत, नगरीय विकास एवं आवास विभाग में 32.44 प्रतिशत, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 51.76 प्रतिशत इत्यादि।
केग रिपार्ट में बजट का चौकाने वाला खुलासा
मप्र केग ने 2024 के अंत में स्टेट फायनेंस आडिट रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की, जिसमें वर्ष 2022-23 के लिए 31 मार्च 2023 तक का मूल्यांकन किया गया।
इस रिपोर्ट के तीसरे चेप्टर ‘‘बजटरी मेनेजमेंट’’ के पृष्ठ 97 पर केग ने लिखा कि बजटरी अलोकेशन की बुनियाद अनरियलस्टिक प्रपोजल के आधार पर रखी गई है, पूअर एक्पेंडीचर मॉनिटरनिंग मैकेनिजम है। वीक स्कीम इंप्लीमेंटेशन केपेसिटीज है।
इस वर्ष राज्य सरकार ने सप्लीमेंटरी बजट सहित 321658.21 करोड़ रू. का बजट प्रावधान रखा था जिसमें से वर्ष भर में मात्र 271114 करोड़ रूप्ये खर्च किया गया। अर्थात 50543.75 करोड़ रू. (15.71 प्रतिशत राशि) खर्च ही नहीं की गई।
इस 50 हजार करोड़ से अधिक की राशि में से 35 हजार करोड़ से अधिक 57 ग्रांट का पैसा था जो रेवेन्यु सेक्शन का था।
इसी प्रकार 11 हजार करोड़ से अधिक 48 ग्रांट का पैसा केपीटल सेक्शन का था। इसमें से भी 22 हजार 984 करोड़ रूपया वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन सरेण्डर किया गया और 27 हजार करोड़ से अधिक लेप्स हो जाने दिया गया।
वर्ष 2022 में भी प्रदेश के विकास के साथ किया विश्वासघात:- 
इसी प्रकार इसके पिछले वर्ष के आडिट अर्थात 31 मार्च 2022 तक के वित्तीय वर्ष के लिए आडिटर जनरल ने बताया था कि 282779 करोड रू. के बजट में से सिर्फ 242993 करोड़ रू. खर्च किया गया, अर्थात 39786 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किया गया। इसमें से 19 हजार करोड़ रू. से अधिक आखिरी दिन सरेण्डर किया गया, और 19 हजार करोड़ रू. से अधिक लेप्स हो जाने दिया गया।
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मांग करती है कि बीते तीन साल के बजट के प्रावधान और उसके खर्च पर भाजपा सरकार एक श्वेत पत्र लाकर बताये कि प्रदेश के समावेशी विकास और अधोसंरचना विकास को कितना नुकसान हुआ है।

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Kailash Pandey
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