
होलाष्टक के आगमन पर माहेश्वरी समाज का भव्य होली स्नेह मिलन समारोह, उमंग और उल्लास में सराबोर हुआ आयोजन
अनूपपुर राजस्थानी संस्कृति की गरिमा और रंगों के महापर्व होली की पूर्व संध्या पर माहेश्वरी समाज ने होलाष्टक की शुरुआत के साथ ही एक भव्य और उल्लासपूर्ण स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया। संभाग स्तरीय यह आयोजन रविवार को होटल लेवल वन में हुआ, जहां शहडोल, बुढ़ार, अमलाई, चचाई, धनपुरी, अनूपपुर और जैतहरी से बड़ी संख्या में समाज के पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए।
संस्कृति, स्नेह और सामंजस्य का अद्वितीय संगम
समारोह की शुरुआत भगवान महेश की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद समाज के उत्थान, विभिन्न गतिविधियों और समरसता को बढ़ाने वाले विषयों पर सारगर्भित चर्चा की गई। इस मिलन समारोह का मुख्य आकर्षण पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य रहे, जिनमें समाज के सभी वर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और होली पूर्व उमंग का भरपूर आनंद उठाया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और रोमांचक प्रतियोगिताएं बनीं आकर्षण का केंद्र
समारोह को और अधिक मनोरंजक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के गेम्स का आयोजन किया गया, जिनमें तंबोला समेत कई रोचक प्रतियोगिताएं शामिल थीं। समाज के सभी सदस्यों ने इन खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लिया और शानदार पुरस्कार भी प्राप्त किए। कार्यक्रम के दौरान गरमा-गरम नाश्ते की विशेष व्यवस्था थी, जबकि मध्य में पारंपरिक स्नेह भोज का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने स्नेहपूर्वक एक-दूसरे को होली की अग्रिम शुभकामनाएं दीं।
अतिथियों का स्वागत और समाज की एकजुटता का संदेश
समारोह में समाज के नए अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों ने समाज की प्रगति और संगठन की एकजुटता पर अपने विचार रखे। पूरे संभाग से आए माहेश्वरी समाज के सदस्यों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर इस आयोजन को यादगार बना दिया और भविष्य में इसी तरह मिलते रहने का संकल्प लिया।
सफल आयोजन के लिए समाज का आभार
माहेश्वरी समाज के जिलाध्यक्ष सुनील मंत्री ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी उपस्थितजनों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। समारोह का समापन चाय की चुस्कियों और स्नेहिल बातचीत के साथ हुआ, जहां सभी ने होली के रंगों में सराबोर होने के संकल्प के साथ विदाई ली।
संस्कृति और परंपरा का अद्भुत मेल
यह आयोजन केवल होली स्नेह मिलन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने समाज के भीतर परस्पर सहयोग, स्नेह और एकता को भी और अधिक सशक्त किया। माहेश्वरी समाज का यह उत्सव आने वाले वर्षों में भी इसी जोश और उल्लास के साथ जारी रहेगा।



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