
भगोरिया हाट 2025: एक पारंपरिक उत्सव का आयोजन
क्या है भगोरिया हाट?
भगोरिया हाट मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी समुदायों (विशेष रूप से भील और भिलाला जनजाति) का एक पारंपरिक उत्सव है, जो फागुन मास में होली से पहले आयोजित किया जाता है। यह हाट (मेले) का रूप लेता है, जहां न केवल व्यापार और सामाजिक मेलजोल होता है, बल्कि युवा आदिवासी पुरुष और महिलाएं अपने जीवनसाथी को चुनने की परंपरा भी निभाते हैं।

यह हाट मध्य प्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन और गुजरात के कुछ हिस्सों में आयोजित किया जाता है। इसे ‘आदिवासी वैलेंटाइन्स डे’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें युवा अपने प्रेम का इजहार कर सकते हैं और परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की योजना बना सकते हैं।

भगोरिया हाट 2025 का आयोजन (स्थान व तिथि)
भगोरिया हाट हर साल होली से एक सप्ताह पहले विभिन्न बाजारों में आयोजित किया जाता है। 2025 में भगोरिया हाट का आयोजन 7 से 14 मार्च तक होगा ।
भगोरिया हाट का महत्व और परंपरा
नाम और अर्थ
“भगोरिया” शब्द “भग” से बना है, जिसका अर्थ है “भागना”।
परंपरागत रूप से यह मेलों की श्रृंखला इसलिए प्रसिद्ध हुई क्योंकि युवा जोड़े प्रेम प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद परिवार की अनुमति के बिना भागकर विवाह कर लेते थे।सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
यह उत्सव फसल कटाई के बाद आता है, जब आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं।
यह एक व्यापारिक हाट भी होता है, जहां दूर-दराज से व्यापारी आते हैं और कृषि व दैनिक उपयोग की वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है।

लोग पारंपरिक वेशभूषा, आभूषण और वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य व संगीत का आनंद लेते हैं।
आदिवासी युवाओं के लिए विवाह की परंपरा
यह युवाओं को जीवनसाथी चुनने का अवसर प्रदान करता है।
पारंपरिक रूप से, यदि कोई युवक किसी युवती को पसंद करता है, तो वह उसे गुड़ खिलाता है, और यदि युवती भी राजी होती है, तो वे विवाह का निर्णय लेते हैं।
व्यापार और आर्थिक गतिविधियाँ
यहाँ विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बेची और खरीदी जाती हैं, जैसे कपड़े, आभूषण, अनाज, मसाले, कृषि उपकरण, और पारंपरिक हथियार।
मेले में हाथ से बने उत्पादों और स्थानीय शिल्पकला की भी बिक्री होती है।
धुलेंडी (14 मार्च 2025) का महत्व
धुलेंडी भगोरिया हाट का अंतिम दिन होता है, जब रंगों की होली मनाई जाती है। इस दिन:

लोग गुलाल और रंगों से खेलते हैं।
नृत्य, गीत-संगीत और पारंपरिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
यह पूरे हाट उत्सव का समापन दिवस होता है।
भगोरिया हाट केवल एक मेला नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, प्रेम, सामाजिक मेलजोल, व्यापार और उल्लास का संगम है। यह आदिवासी समाज के लिए एक बड़ा पर्व है, जिसे वे अपनी परंपराओं के अनुसार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।



Leave a Reply