
IGNTU में जहरीला खाना: 60 छात्राएं फूड पॉइजनिंग की शिकार, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बच्चों का स्वास्थ्य
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) में हॉस्टल मेस की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। खराब और दूषित भोजन खाने से करीब 60 छात्राएं गंभीर रूप से बीमार हो गईं, जिससे पूरे विश्वविद्यालय परिसर में हड़कंप मच गया। छात्राओं को रातभर अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
भ्रष्टाचार के कारण बच्चों की थाली में परोसा जा रहा जहर
IGNTU में हॉस्टल का भोजन लंबे समय से सवालों के घेरे में रहा है। प्रशासन की अनदेखी और ठेकेदारों की मनमानी के चलते घटिया, बासी और दूषित भोजन परोसा जा रहा है, जिसकी शिकायतें पहले भी सामने आई हैं। लेकिन इस बार यह लापरवाही 60 छात्राओं की जान पर भारी पड़ गई। सवाल यह उठता है कि क्या ठेकेदारों को किसी बड़े अधिकारी या प्रशासनिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है, जिसके कारण अब तक इस समस्या पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई?

कैसे हुई घटना?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छात्राओं ने हॉस्टल मेस में रात का खाना खाया था, जिसमें आलू की सब्जी, चावल, रोटी और दाल शामिल थे। भोजन करने के कुछ समय बाद ही छात्राओं को सिरदर्द, पेट दर्द और उल्टियां होने लगीं। देखते ही देखते कई छात्राएं अस्वस्थ हो गईं, जिसके बाद उन्हें विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर ले जाया गया। डॉक्टरों ने इसे फूड पॉइजनिंग का मामला बताया है और कहा कि यह भोजन की खराब गुणवत्ता का नतीजा है।
प्रशासन हुआ सक्रिय, लेकिन क्या होगी सख्त कार्रवाई?
मीडिया में खबर आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। पुष्पराजगढ़ के एसडीएम महिपाल सिंह गुर्जर ने विश्वविद्यालय पहुंचकर छात्राओं का हाल जाना और इस मामले की जांच के आदेश दिए।
IGNTU में यह कोई पहली घटना नहीं
यह पहली बार नहीं है जब विश्वविद्यालय में हॉस्टल मेस की लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हुआ हो। पहले भी भोजन की गुणवत्ता को लेकर छात्र-छात्राओं द्वारा शिकायतें की जाती रही हैं, लेकिन हर बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की। सवाल यह उठता है कि आखिर ठेकेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ को गंभीरता से नहीं लेता?
बड़े अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा खेल?
छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल मेस की अनदेखी, भ्रष्टाचार और घटिया गुणवत्ता का खेल लंबे समय से चल रहा है। इसके पीछे विश्वविद्यालय प्रशासन की मौन स्वीकृति भी मानी जा रही है। ठेकेदारों को किसका संरक्षण प्राप्त है? क्यों हर बार लापरवाही सामने आने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती? यह ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब विश्वविद्यालय प्रबंधन और प्रशासन को देना होगा।
क्या छात्रों की जान से खिलवाड़ पर लगेगी रोक?
IGNTU में घटिया भोजन और लापरवाही के कारण छात्रों की सेहत से खिलवाड़ कोई नई बात नहीं है। यदि प्रशासन जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई नहीं करता तो भविष्य में इससे भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। छात्रों और उनके अभिभावकों का सवाल है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इस बार सच में सख्त कदम उठाएगा, या यह मामला भी पूर्व की घटनाओं की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?



Leave a Reply