
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गजराज शिशु का शव बरामद, वन विभाग ने शुरू की जांच
सोन नदी के पास मिला गजराज शिशु का शव, वन विभाग ने किया अंतिम संस्कार बांधवगढ़ में हाथी के बच्चे का कंकाल मिलने से हड़कंप, नदी पार करते समय दलदल में फंसने की आशंका
उमरिया, मध्यप्रदेश बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा कोर एरिया में एक दर्दनाक दृश्य सामने आया, जब वन अधिकारियों को सोन नदी के पास एक हाथी के बच्चे का कंकाल मिला। यह वही इलाका है जहां से हाथियों का झुंड अक्सर नदी पार करता था। इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और अधिकारियों को स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि हाथियों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा को लेकर तमाम प्रयास किए जाते हैं।
हाथी के बच्चे का अंतिम सफर
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पाए गए कंकाल के अवशेषों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह हाथी का कोई छोटा बच्चा था, जो संभवतः नदी पार करते समय दलदल में फंस गया होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर होने के कारण वह खुद को बाहर नहीं निकाल सका और संभवतः डूब गया।
इसके बाद जलीय जीवों, जिनमें मगरमच्छ जैसे शिकारी शामिल हो सकते हैं, ने उसके शव को नदी में नीचे खींच लिया होगा। वहीं, स्थलीय मांसाहारी जीवों ने इसे सतह पर खींचकर खा लिया होगा, जिससे अब उसका कंकाल ही बचा।
वन विभाग की संवेदनशील कार्रवाई
जैसे ही बांधवगढ़ के वन अधिकारियों को इस घटना की सूचना मिली, उन्होंने तुरंत घटनास्थल को सुरक्षित कर छानबीन शुरू की। क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि “प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हो रहा है कि हाथी का यह बच्चा संभवतः नदी पार करने के दौरान दलदल में फंस गया और उसकी मृत्यु हो गई।”
वन विभाग की टीम ने कंकाल के अवशेषों को वैज्ञानिक विधि से संरक्षित किया और आवश्यक परीक्षणों के बाद अंतिम संस्कार कर दिया।
हाथियों की संवेदनशील दुनिया और उनका पारिवारिक प्रेम
हाथी अत्यधिक भावुक और सामाजिक प्राणी होते हैं। उनकी पारिवारिक इकाई में एकता और परस्पर सहयोग देखने को मिलता है। वे अपने झुंड के सदस्यों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, खासतौर पर जब बात शावकों की हो।
हाथी के बच्चे अपनी मां से अत्यधिक जुड़े होते हैं, और झुंड की अन्य मादाएं भी उनकी सुरक्षा और पालन-पोषण में अहम भूमिका निभाती हैं। अगर कोई हाथी का बच्चा अपनी मां से बिछड़ जाता है, तो वह अक्सर बीमार पड़ जाता है और अन्य हाथियों से अलग हो जाता है।
इस घटना से यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब हाथी के झुंड को इस बच्चे की मौत का आभास हुआ होगा, तो वे निश्चित रूप से दुखी हुए होंगे। कई शोध बताते हैं कि हाथी अपने मृत साथियों के शवों को देखकर शोक प्रकट करते हैं और कई दिनों तक उस स्थान पर वापस लौटते रहते हैं।
बांधवगढ़ में हाथियों की बढ़ती संख्या
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में इस जंगल में 60-65 हाथी हैं, जो अलग-अलग समूहों में रहते हैं और अपने प्राकृतिक आवास में घूमते हैं।
हालांकि, इस बढ़ती आबादी के साथ हाथियों के लिए सुरक्षित रास्तों और जलस्रोतों की उपलब्धता भी जरूरी हो गई है। हाथी बड़े परिपथों में घूमने वाले जीव हैं, और उनके लिए सुरक्षित कॉरिडोर की आवश्यकता होती है ताकि वे बिना किसी अवरोध के अपने गंतव्य तक पहुँच सकें।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की चेतावनी
हालांकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं, लेकिन लगातार बदलता पर्यावरण और सीमित जल संसाधन उनके लिए खतरा बन सकते हैं। हाथी अपने विशाल आकार के कारण पानी के बिना ज्यादा समय तक नहीं रह सकते, इसलिए वे जल स्रोतों की तलाश में कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
यह घटना एक गंभीर संकेत है कि वन विभाग को हाथियों के प्राकृतिक गलियारों (कॉरिडोर) को संरक्षित रखने की दिशा में और अधिक प्रयास करने चाहिए।
हाथियों की रक्षा की जिम्मेदारी हमारी भी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथी के बच्चे का कंकाल मिलना न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि क्या हमने अपने वन्यजीवों के लिए पर्याप्त सुरक्षा दी है?




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