
नर्मदा महोत्सव के दौरान अव्यवस्थाओं की ऐसी स्थिति रही कि आरक्षित दीर्घा का सम्मान भी भीड़ की धक्का-मुक्की के आगे टिक न सका। आमंत्रण पास लेकर पहुंचे लोग जब अपनी जगह पर पहुँचे, तो देखा कि वहां पहले से अन्य लोग बैठे हैं। पासधारी दर्शकों ने जब आपत्ति जताई तो हंगामे की स्थिति बन गई। कई लोग अपनी आरक्षित सीट छोड़कर बाहर चले गए, जबकि आयोजन से जुड़े कर्मचारी बेबस होकर तमाशा देखते रहे।
विशेष अतिथियों ने बनाई दूरी, आयोजन पर सवाल
इतने बड़े आयोजन में कई प्रमुख अतिथि नदारद रहे। चर्चाएं हैं कि आयोजन में विभिन्न संस्थाओं से सहयोग तो लिया गया, लेकिन सम्मानजनक आमंत्रण न मिलने से नाराजगी के चलते कई लोग शामिल नहीं हुए। वहीं, विशेष मेहमानों की बजाय कुछ प्रभावशाली लोगों को वीआईपी दीर्घा में स्थान मिल गया, जिसने कार्यक्रम की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए।
मीडिया को नजरअंदाज किया गया, कवरेज के दौरान बदसलूकी
पत्रकारों के लिए अलग से दीर्घा बनाई गई थी, लेकिन वहां पहले से ही बाहरी लोग कब्जा जमाए बैठे थे। जैसे ही पत्रकार कवरेज के लिए पहुंचे, कुछ देर बाद 100 से अधिक लोग जबरन बैरिकेट तोड़कर घुस आए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अफरा-तफरी में कई पत्रकारों को जान बचाकर भागना पड़ा। कुछ महिला पत्रकारों को भी धक्का-मुक्की का शिकार होना पड़ा।
रुकने की व्यवस्था का अभाव, पत्रकार परेशान
महोत्सव में कवरेज के लिए पत्रकारों को पास तो दे दिए गए, लेकिन उनके लिए भोजन और ठहरने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई। अधिकांश पत्रकार दिनभर असमंजस में इधर-उधर भटकते नजर आए। कुछ को निराश होकर लौटना पड़ा, जबकि कुछ ने निजी स्तर पर ठहरने और खाने का इंतजाम किया। दूसरी ओर, आयोजन में ड्यूटी पर लगे कर्मचारी अपने में व्यस्त रहे।
पत्रकारों के साथ आधिकारिक संवादहीनता
पहले दिन के कार्यक्रम के लिए पत्रकारों को पास तो जारी कर दिए गए, लेकिन यह नहीं बताया गया कि उनके आने-जाने या ठहरने की क्या व्यवस्था होगी। इस कारण कई पत्रकार पहले दिन कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके। जब उपेक्षा की खबरें बाहर आईं, तो दूसरे दिन प्रशासन हरकत में आया और फोन कर कुछ पत्रकारों को वाहन देने की बात कही बाकी सब अपनी व्यस्था से गए ।
रात 11 बजे जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ, चारों ओर यातायात की अफरा-तफरी मच गई। वाहनों और पैदल चलने वालों की भीड़ से सड़कें अवरुद्ध हो गईं। शोभायात्रा के दौरान भी दोपहर में कई जगह ऐसी ही स्थिति बनी, जिससे श्रद्धालु घंटों तक जाम में फंसे रहे। आयोजकों की ओर से यातायात नियंत्रण के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए, जिससे लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।
समारोह भव्य था, लेकिन इंतजाम नाकाफी
नर्मदा महोत्सव एक भव्य आयोजन था, लेकिन अव्यवस्थाओं ने इसकी चमक को फीका कर दिया। आमंत्रण की गरिमा टूट गई, मीडिया कवरेज बाधित हुआ, और अतिथि व्यवस्था में असंतुलन ने कार्यक्रम की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए। अगर प्रशासनिक तैयारी पहले से मजबूत होती, तो यह महोत्सव यादगार बन सकता था, लेकिन फिलहाल यह अव्यवस्थाओं की वजह से चर्चा में है।



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