
अनूपपुर, 6 फरवरी 2025 जनसंपर्क विभाग, अनूपपुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कटनी निवासी दिव्यांग पिता की 11 वर्षीय बच्ची के मामले में ‘रेस्क्यू’ (Rescue) शब्द का इस्तेमाल किया गया, जो कई दृष्टिकोणों से असंगत और अनुचित प्रतीत होता है। जबकि मामला बाल संरक्षण और पुनर्स्थापन से जुड़ा था, इसमें आपातकालीन या जानलेवा स्थिति जैसी कोई बात सामने नहीं आई, जिससे ‘रेस्क्यू’ शब्द का प्रयोग औचित्यहीन हो जाता है।
क्या था पूरा मामला?
एक व्यक्ति जो कटनी के निवासी हैं, ने 5 फरवरी को कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली को शिकायत दी कि उनकी पत्नी उनकी 11 वर्षीय पुत्री को जबरन छात्रावास से ले जाकर भिक्षावृत्ति करवा रही थी। इस मामले की शिकायत पहले कटनी पुलिस अधीक्षक को भी सौंपी गई थी।
कलेक्टर हर्षल पंचोली ने इस शिकायत पर त्वरित संज्ञान लेते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि बच्ची को शीघ्र खोजकर उसे उचित संरक्षण में लिया जाए और बाल संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए।
बच्ची की खोज और पुनर्स्थापन, ‘रेस्क्यू’ नहीं
कलेक्टर के निर्देशानुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं – कात्यायनी द्विवेदी और मीना सोनवानी की मदद से महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने अमरकंटक में बच्ची को खोजा और उसे सुरक्षित संरक्षण में लेकर काउंसलिंग की।
महज आधे घंटे में बच्ची को खोजकर नियमानुसार उसे बाल कल्याण समिति, अनूपपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति के निर्देशानुसार बच्ची को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया गया और वह पुनः छात्रावास, कटनी लौट गई।
प्रेस विज्ञप्ति में ‘रेस्क्यू’ शब्द का प्रयोग क्यों अनुचित?
जनसंपर्क विभाग, अनूपपुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को ‘रेस्क्यू’ (Rescue) अभियान बताया गया, जबकि यह शब्द यहां संदर्भ से परे और ग़लत प्रतीत होता है।
‘रेस्क्यू’ शब्द आमतौर पर निम्नलिखित परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है:
1. आपदा प्रबंधन – जैसे बाढ़, भूकंप, आगजनी आदि में लोगों को सुरक्षित निकालना।
2. आपराधिक मामलों में बचाव – जैसे अपहरण, मानव तस्करी या बंधक बनाए गए व्यक्ति को छुड़ाना।
3. आपातकालीन बचाव अभियान – किसी जानलेवा संकट या दुर्घटना में फंसे व्यक्ति को निकालना।
इस मामले में, बच्ची को न तो कोई आपातकालीन संकट था, न ही वह किसी खतरनाक स्थिति में फंसी हुई थी। बल्कि, यह एक बाल संरक्षण और पुनर्स्थापन की प्रक्रिया थी, जिसमें प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई कर बच्ची को उसकी शिक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
‘रेस्क्यू’ शब्द की जगह क्या सही शब्द हो सकते थे?
यदि प्रेस विज्ञप्ति में निम्न शब्दों का प्रयोग किया जाता, तो यह ज्यादा उपयुक्त और सटीक होता
“बच्ची को खोजकर सुरक्षित संरक्षण में लिया गया”
“बाल संरक्षण एवं पुनर्स्थापन प्रक्रिया संपन्न”
“महिला एवं बाल विकास विभाग ने बच्ची को सुरक्षित संरक्षण में लेकर काउंसलिंग की”
“प्रशासन की तत्परता से बच्ची अपने पिता से मिल सकी”
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय, लेकिन शब्दावली पर सतर्कता आवश्यक
यह सत्य है कि अनूपपुर जिला प्रशासन, कलेक्टर हर्षल पंचोली और महिला एवं बाल विकास विभाग की तत्परता और संवेदनशीलता सराहनीय है, जिन्होंने एक मासूम बच्ची को भिक्षावृत्ति से बचाकर उसकी शिक्षा फिर से सुनिश्चित करने में मदद की।
लेकिन सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों में शब्दों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ‘रेस्क्यू’ शब्द का प्रयोग इस संदर्भ में अनुचित था, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बच्ची किसी जानलेवा संकट में फंसी थी, जबकि प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वास्तविकता में यह एक बाल संरक्षण और पुनर्स्थापन प्रक्रिया थी।
जनसंपर्क विभाग को आधिकारिक बयान जारी करने से पहले शब्दों की उपयुक्तता पर ध्यान देना चाहिए। सरकारी विज्ञप्तियों का उद्देश्य तथ्यों की सटीक प्रस्तुति होता है, न कि नाटकीय शब्दावली का उपयोग।



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